(ए, बैठ ना जरासा)
ए, बैठ ना जरासा, मीठी मीठी करेंगे बाते,
अभी तू आता नई रे, पहेले इधरीच गुजारता राते,
वो पक्या गया कल, मेरेको बहोत बेइज्जत करके,
दिखा दो सालेको औकात, दो चार फटके मारके,
समझताहै मुझको भी, बहोत देर हो गयी है,
चलना भुर्जीपाव खायेंगे, बहोतही भुख लगी है,
पैले बोतता था, रानी तूम रोज मेरे ख्वाब मे आती हो,
लेकीन आजकल तो तुम, किसी और पास ही जाते हो,
चौराहेपे खडे रहे रहे के, गुजर जाती है सारी सारी रात,
आजकल सब दूर से जाते है, कोई लगाता नही मेरेको हाथ,