एका तळ्यात होती बदके पिले अनेक... |
मृगनयनी |
6 |
(सांगा ढेकुण कुणी हा पाहिला ) |
अमोल केळकर |
8 |
खेळी. |
स्वाती फडणीस |
16 |
"किती धटिंगण किती भयंकर"... ई डंबन... |
बेचवसुमार |
1 |
मोजणी |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
37 |
अगागागागाऽऽगाऽऽऽगा!!!!! |
पिवळा डांबिस |
28 |
मालवुन टाक दीप... ई -डंबन |
बेचवसुमार |
4 |
भेळपुरीच्या गाड्या |
केशवसुमार |
15 |
कविकिरडुंची साठमारी ... (विडंबनाची भेळपुरी) |
केशवटुकार |
10 |
(जिज्ञासू) |
चतुरंग |
12 |
पाउस..! |
उपटसुंभ |
14 |
नव्हतो ग! मी सजणे असा |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
श्रावणातील सण |
अथांग सागर |
5 |
(चाहूल) |
चतुरंग |
6 |
त्याला जरा रागवा ना बाई ! |
संदीप चित्रे |
6 |
..ढोसुनि गुत्त्यात सार्या ब्रँड माझा वेगळा..ई-डंबन |
बेचवसुमार |
4 |
म्हणून म्हणतो ऐका माझे ... |
अंकुश चव्हाण |
1 |
आज कल प्रेम फार स्वस्त झालंय..... |
भुषण भोले |
1 |
स्वप्न |
विष्णु |
0 |
नेहमीच ... तुझ्यामुळे |
बेसनलाडू |
17 |
कालनिर्णय... |
खादाड_बोका |
0 |
रानात वनात |
सुवर्णमयी |
0 |
(एक पेग संपून गेला..) |
केसुरंगा |
6 |
असूनी दोस्त करितो दुष्मनी |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
(जत्रा) |
केशवटुकार |
8 |
(नेहमीच ... तुझ्यामुळे) |
केशवटुकार |
18 |
( अटी मान्य केला सर्व ह्या, ) |
अमोल केळकर |
1 |
एक क्षण निसटू गेला.. |
स्वाती फडणीस |
10 |
(एक कवी संपून गेला ..) |
चतुरंग |
11 |
नको बागेत येऊस |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
((नेहेमीच...तुझ्यामुळे)) |
चतुरंग |
6 |
श्रावणमासी, विरस मानसी,हळहळ दाटे चोहिकडे |
अविनाश ओगले |
13 |
(सारक) |
केसुरंगा |
6 |
आला आला हा श्रावण... |
अथांग सागर |
0 |
जीवनगाणे |
घाटावरचे भट |
16 |
खरचं तु हवी होतीस .. |
पंचम |
8 |
(नूर) |
चतुरंग |
8 |
बंधने |
स्नेहश्री |
0 |
सहजीवन |
शितल |
11 |
जागतिक मैत्री दिनाच्या शुभेच्छा !!! |
फटू |
2 |
अस्तित्व |
पेशवे बाजीराव तिसरे |
1 |
भानगड |
अमोल केळकर |
11 |
चैन |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
27 |
दिल्लीच्या दरबारामधली राजा आणिक राणी. |
उपटसुंभ |
8 |
(चैन) |
केशवटुकार |
17 |
(बेचैन) |
चतुरंग |
14 |
दूरदेशी... |
पद्मश्री चित्रे |
13 |
विरह |
ल्ल्या |
0 |
(दूर आहे डेडलाईन अजूनि) |
संदीप चित्रे |
5 |
कविता कसली करू तुजवरती |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
तुझे नि माझे मिटू दे अंतर |
पुष्कराज |
6 |
माझी पाखरे |
पुष्कराज |
6 |
ओळखा पाहूं! |
श्रीकृष्ण सामंत |
1 |
आमची 'चैन' आहे! |
मिसळपाव |
3 |
स्वप्नपरी |
पुष्कराज |
7 |
तुझ्या गळा, माझ्या गळा..! |
उपटसुंभ |
3 |
एक शून्य ...... |
अरुण मनोहर |
6 |
विडंबन - विश्वासदर्शक ठरावाच्या निमित्ताने |
उपटसुंभ |
1 |
"कवडसा" |
मनीषा |
1 |
बुश:काल होता होता, `लाल'रात्र झाली... |
अविनाश ओगले |
24 |
पहाट |
पंचम |
9 |
सार्याच आठवणी आहेत अजून मनात ताज्या |
फटू |
3 |
देवाची मुलाखत |
अरुण मनोहर |
2 |
माझी सुंदर आई |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
ठपका! |
चतुरंग |
13 |
घरात भरल्या घुसले उंदीर... |
अविनाश ओगले |
15 |
(माउस) |
बेसनलाडू |
15 |
ठिपका |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
22 |
कार्यालय |
विनोद इन्गळे |
2 |
निवॄती |
केशवसुमार |
30 |