तेंव्हाही - २ |
आजानुकर्ण |
4 |
( कणा ) |
अमोल केळकर |
5 |
तनुलीचे गद्य,पद्य |
श्रीकृष्ण सामंत |
5 |
दाखविली मातेची व्यथा कौतुके |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
बघ तुला आठवण येते का ? |
मूखदूर्बळ |
0 |
(तसा कुठे मी....) |
चतुरंग |
1 |
पहाट |
दत्ता काळे |
16 |
रम्य एका सकाळी |
चन्द्रशेखर गोखले |
7 |
विडंबन - सांग सांग भोलानाथ |
श्रीमंत दामोदर पंत |
5 |
दोन कविता |
दत्ता काळे |
6 |
स्मृति बालपणाची |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
भैया हलेना |
मूखदूर्बळ |
18 |
(आशिक मी अन माल भेटली होती 'कविता') |
चतुरंग |
16 |
आवरताना काल मिळाल्या काही कविता... |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
18 |
मग मी असा ..शांत ... |
निखिलचं शाईपेन |
0 |
पालखी |
बेसनलाडू |
14 |
निःशब्द होता सारा परिसर |
श्रीकृष्ण सामंत |
3 |
आजीची काठी |
श्रीकृष्ण सामंत |
1 |
द्विधा मनाची.... |
पारोळेकर |
4 |
अलौकिक |
द्विज |
34 |
या रे या! |
चन्द्रशेखर गोखले |
9 |
"अरे, आतातरी 'खो' दे ।" |
हर्षदा विनया |
7 |
सहज सुचलं म्हणून |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
आजाचं गुपीत |
श्रीकृष्ण सामंत |
5 |
शांती अन् मुक्ता |
धनंजय |
10 |
प्रकाशाशी जुळावं नातं! .. तुम्हा सगळ्यांस दिवाळीच्या हार्दिक शुभेच्छा! |
राघव |
9 |
दिवाळी |
मनीषा |
8 |
विषकन्या (पूर्ण) |
अरुण मनोहर |
3 |
मनुवादी आचरटपणा |
द्विज |
33 |
(कुंतलांचा पसारा) |
चतुरंग |
12 |
नवागताच्या दोन चारोळ्या |
दत्ता काळे |
6 |
फक्त तुझ्यातच |
द्विज |
2 |
आठवांचा पसारा.. |
प्राजु |
25 |
दिवाळी (?) |
हर्षदा विनया |
2 |
नव्या भोंडल्यातले एक गाणे |
दत्ता काळे |
8 |
बागेची गोष्ट. |
रामदास |
10 |
निघून गेली रात्रपरी |
अरुण मनोहर |
11 |
<strong>नव्या भोंडल्यातले एक गाणे</strong> |
दत्ता काळे |
0 |
(मदार) |
चतुरंग |
4 |
त्रिवेणीचा प्रयत्न : |
प्राजु |
80 |
अमृतरूपी झरा |
शर्मीला |
1 |
चारोळ्या |
mina |
2 |
वादळ... |
हर्षदा विनया |
8 |
आठवण |
चन्द्रशेखर गोखले |
4 |
श त्रू |
दत्ता काळे |
4 |
निरोप...... |
sanjubaba |
0 |
गर्भ मंदीर |
चन्द्रशेखर गोखले |
8 |
तुझ्यासवे पुन्हा नवा जन्म घेतो... |
विजुभाऊ |
12 |
चारोळी म्हणजे |
विजुभाऊ |
18 |
त्रिवेणींची वेणी |
बेसनलाडू |
26 |
बिघडलिये मान |
लिखाळ |
8 |
ती येण्याची चाहूल लागली |
धुमधडाका |
0 |
...हमने इश्क किया है.(१) |
रामदास |
11 |
नाट्यसंगीत |
mina |
0 |
तुझ्याशिवाय |
धुमधडाका |
5 |
(भलताच जाच!) |
चतुरंग |
13 |
बिघडलीये काच! |
नीधप |
29 |
चिंतन |
चन्द्रशेखर गोखले |
4 |
नशीब |
दत्ता काळे |
3 |
हिच जगाची रीत असावी |
शर्मीला |
2 |
वेळ |
अनिरुध्द |
6 |
(अशीही एक) कोजागिरी |
बेसनलाडू |
11 |
प्रिय कोकिळा |
शर्मीला |
2 |
मला मुम्बईत रहायचय..........!!!!!!!!! |
नुसताधिन्गाना |
4 |
कृतार्थ जोडी |
स्वाती फडणीस |
3 |
गंधविभोर |
दत्ता काळे |
7 |
(कोलाज) |
चतुरंग |
0 |
मी संवेदनशील कवि |
चन्द्रशेखर गोखले |
11 |
आम्ही मराठी |
चन्द्रशेखर गोखले |
8 |
काव्य |
शर्मीला |
11 |