अभिजात मराठी |
बाजीगर |
1 |
दिवाळी अंक २०२४ :) |
अनन्त्_यात्री |
1 |
भोंडला खेळू |
Bhakti |
0 |
परतीचा पाऊस... |
चक्कर_बंडा |
5 |
स्मशान |
अत्रुप्त आत्मा |
2 |
तृषा |
Bhakti |
0 |
रानफुले |
पाषाणभेद |
3 |
हाकामारी |
कर्नलतपस्वी |
9 |
दिवा |
अनन्त्_यात्री |
1 |
( वर्दी ) |
कर्नलतपस्वी |
2 |
कुण्या कवितेची ओळ |
अनन्त्_यात्री |
1 |
प्रवास |
प्रसाद गोडबोले |
7 |
"मी, शिल्पकार माझ्या जीवनाचा !!" |
भम्पक |
2 |
चप्पल . . |
अत्रुप्त आत्मा |
8 |
साक्षीला दिवस आहे |
गंगाधर मुटे |
3 |
मोकलाया दाहि दिश्या |
सतिश |
320 |
कवितेत भेटती... |
अनन्त्_यात्री |
0 |
पट नीटस स्थळकाळाचा |
अनन्त्_यात्री |
2 |
अहत पेशावर , तहत तंजावूर |
चौकस२१२ |
2 |
**भूत त्याचे ठार काही होत नाही** |
कानडाऊ योगेशु |
5 |
कवितेचा शब्द शब्द |
अनन्त्_यात्री |
4 |
विलक्षणाच्या उभ्या पिकावर |
अनन्त्_यात्री |
5 |
X/0 = ∞ ? ! |
अनन्त्_यात्री |
5 |
पाऊस-कविता झाली पाडून |
अनन्त्_यात्री |
7 |
आठवती.. |
अनन्त्_यात्री |
3 |
'बाट्या' (पुणेकर झालेल्या इंदोरकराची व्यथा) |
चित्रगुप्त |
44 |
सद्दीत सुमारांच्या ह्या |
अनन्त्_यात्री |
5 |
माझी योगचर्या |
अनन्त्_यात्री |
1 |
शुष्क शब्दचित्र |
कर्नलतपस्वी |
6 |
अरण्यऋषीचं वनोपनिषद |
चक्कर_बंडा |
5 |
मनोरथाच्या वाटेवर जरी |
अनन्त्_यात्री |
10 |
देशद्रोहींच्या उड्या आणि देशप्रेमींनाच सात्विक संतापाचीही चोरी? |
माहितगार |
1 |
तटबंदी |
अनन्त्_यात्री |
2 |
पूणे ससून |
बाजीगर |
7 |
पाऊले चालती … विडंबन |
OBAMA80 |
4 |
इच्छापत्र |
कर्नलतपस्वी |
9 |
नाळ |
अनन्त्_यात्री |
2 |
आदिमाय |
अनन्त्_यात्री |
0 |
मं...(मग)! |
प्राची अश्विनी |
4 |
रे.....! |
प्राची अश्विनी |
9 |
गं...! |
प्राची अश्विनी |
9 |
त्या तरूतळी |
अनन्त्_यात्री |
14 |
एक आत्मशोध... |
बाजीगर |
2 |
(चार दिवस मिळाले असता ) |
कर्नलतपस्वी |
13 |
काय करावे |
श्रीकृष्ण सामंत |
5 |
अनमोल आहे जीवन अपुले मित्रांनो |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
मिसळाख्यान |
शैलेश |
8 |
सुंदर गीते ही स्मरणात येती |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
चार दिवस मिळाले असतां हसू खेळून निभवावे |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
कसं जमतं तुला (डुआयडी काढणं) |
टवाळ कार्टा |
39 |
अक्षय्य तृतीया |
बाजीगर |
10 |
'उरा'तली सर! |
मेघवेडा |
38 |
रोबोटमय जगाने लावला माणसाचा पुर्नशोध |
माहितगार |
5 |
एआय रोबोट प्रोफेसर |
माहितगार |
4 |
आता फक्त काढ दिवस |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
तरी हरकत नाही |
श्रीकृष्ण सामंत |
9 |
लिव अंधभक्ता लिव |
अमरेंद्र बाहुबली |
2 |
लिव बामणां लिव |
श्रीकृष्ण सामंत |
20 |
अरे संस्कार संस्कार |
श्रीकृष्ण सामंत |
1 |
लाख म्हणू देत जगाला, ही संगत अटळ आहे |
श्रीकृष्ण सामंत |
7 |
पेय निघून गेले (विडंबन) |
कांदा लिंबू |
2 |
मानवंदना, अनामिक कच्च्यापक्क्या भारतीय गुप्तच'वी'रास |
माहितगार |
1 |
आई घरात असतां घर,घरासम भासले |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
प्रीतीची परंपरा आचरणात आणू कशी |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
कोण दळण दळतयं आणी कोण पिठ खातयं... |
कर्नलतपस्वी |
2 |
मिराशी |
कर्नलतपस्वी |
5 |
कॉफी __२ |
प्राची अश्विनी |
11 |
आता काही लिहीन म्हणतो. |
उग्रसेन |
7 |
वाटले नव्हते कधी |
नाहिद नालबंद |
12 |
अदृष्ट |
अनन्त्_यात्री |
1 |