गुरू आतला |
रोहन जगताप |
12 |
वाहुनी तू रहावे |
रोहन जगताप |
8 |
भास-आभास |
चक्कर_बंडा |
1 |
इलेक्शनी चारोळ्या |
विवेकपटाईत |
15 |
तो परत आला... |
बाजीगर |
5 |
देणाऱ्याचे हात घ्यावे |
अनन्त्_यात्री |
3 |
उभा ठाकला |
रोहन जगताप |
2 |
पश्चिमाई |
कुमार जावडेकर |
0 |
थोडा थोडा |
अनन्त्_यात्री |
1 |
नसूनी तयात |
रोहन जगताप |
6 |
कुण्या कवितेची ओळ |
अनन्त्_यात्री |
2 |
भय इथले संपत नाही (विडंबन- काम इथले संपत नाही) |
OBAMA80 |
8 |
वळुन जे बघतेस त्याचा त्रास होतो |
अजय जोशी |
12 |
मी आणि तू (प्रणय कविता) |
OBAMA80 |
0 |
मातृत्वाचा शृंगाररस |
गंगाधर मुटे |
93 |
चैत्रगौर |
क्रान्ति |
19 |
हा स्पंद फुलण्याचा |
दत्ता काळे |
6 |
...देव आहे अंतरी |
अजय जोशी |
5 |
पावे मराठी |
रोहन जगताप |
9 |
प्रेषित |
अनन्त्_यात्री |
2 |
चकलीची भाजणी |
कर्नलतपस्वी |
10 |
साक्षीला दिवस आहे |
गंगाधर मुटे |
4 |
शास्त्रीय संगीत/ वाद्यांची ओळख - उत्तम माहितीपट |
चौकस२१२ |
0 |
भोंडला खेळू |
Bhakti |
2 |
रानफुले |
पाषाणभेद |
4 |
अभिजात मराठी |
बाजीगर |
17 |
परतीचा पाऊस... |
चक्कर_बंडा |
6 |
दिवाळी अंक २०२४ :) |
अनन्त्_यात्री |
0 |
स्मशान |
अत्रुप्त आत्मा |
2 |
तृषा |
Bhakti |
0 |
हाकामारी |
कर्नलतपस्वी |
9 |
दिवा |
अनन्त्_यात्री |
1 |
( वर्दी ) |
कर्नलतपस्वी |
2 |
प्रवास |
प्रसाद गोडबोले |
7 |
"मी, शिल्पकार माझ्या जीवनाचा !!" |
भम्पक |
2 |
चप्पल . . |
अत्रुप्त आत्मा |
8 |
मोकलाया दाहि दिश्या |
सतिश |
320 |
कवितेत भेटती... |
अनन्त्_यात्री |
0 |
पट नीटस स्थळकाळाचा |
अनन्त्_यात्री |
2 |
अहत पेशावर , तहत तंजावूर |
चौकस२१२ |
2 |
**भूत त्याचे ठार काही होत नाही** |
कानडाऊ योगेशु |
5 |
कवितेचा शब्द शब्द |
अनन्त्_यात्री |
4 |
विलक्षणाच्या उभ्या पिकावर |
अनन्त्_यात्री |
5 |
X/0 = ∞ ? ! |
अनन्त्_यात्री |
5 |
पाऊस-कविता झाली पाडून |
अनन्त्_यात्री |
7 |
आठवती.. |
अनन्त्_यात्री |
3 |
'बाट्या' (पुणेकर झालेल्या इंदोरकराची व्यथा) |
चित्रगुप्त |
44 |
सद्दीत सुमारांच्या ह्या |
अनन्त्_यात्री |
5 |
माझी योगचर्या |
अनन्त्_यात्री |
1 |
शुष्क शब्दचित्र |
कर्नलतपस्वी |
6 |
अरण्यऋषीचं वनोपनिषद |
चक्कर_बंडा |
5 |
मनोरथाच्या वाटेवर जरी |
अनन्त्_यात्री |
10 |
देशद्रोहींच्या उड्या आणि देशप्रेमींनाच सात्विक संतापाचीही चोरी? |
माहितगार |
1 |
तटबंदी |
अनन्त्_यात्री |
2 |
पूणे ससून |
बाजीगर |
7 |
पाऊले चालती … विडंबन |
OBAMA80 |
4 |
इच्छापत्र |
कर्नलतपस्वी |
9 |
नाळ |
अनन्त्_यात्री |
2 |
आदिमाय |
अनन्त्_यात्री |
0 |
मं...(मग)! |
प्राची अश्विनी |
4 |
रे.....! |
प्राची अश्विनी |
9 |
गं...! |
प्राची अश्विनी |
9 |
त्या तरूतळी |
अनन्त्_यात्री |
14 |
एक आत्मशोध... |
बाजीगर |
2 |
(चार दिवस मिळाले असता ) |
कर्नलतपस्वी |
13 |
काय करावे |
श्रीकृष्ण सामंत |
5 |
अनमोल आहे जीवन अपुले मित्रांनो |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
मिसळाख्यान |
शैलेश |
8 |
सुंदर गीते ही स्मरणात येती |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
चार दिवस मिळाले असतां हसू खेळून निभवावे |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |