कातरवेळ |
VRINDA MOGHE |
2 |
उष्णकटिबंधीय वसंत |
माहितगार |
4 |
इंद्रजाल |
अनन्त्_यात्री |
2 |
वैशाखाची ऊन्हं .. |
प्राची अश्विनी |
17 |
मुक्तक |
सागरसाथी |
2 |
(थू) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
10 |
रोज किती पाणी प्यावे? |
माहितगार |
6 |
आङळे वाङळें साहित्य संमेलन |
माहितगार |
1 |
पुस्तके… |
मनिष |
25 |
कविता वसंत ऋतु |
VRINDA MOGHE |
2 |
आठवतो आज पुन्हा... |
Deepak Pawar |
2 |
मरीआई बारागाड्या यात्रा |
बाजीगर |
4 |
पंचमीतले रंग सांडले........ |
कर्नलतपस्वी |
8 |
ईट्स माय लाईफ |
निनाद |
3 |
कळले मला न काही. |
Deepak Pawar |
0 |
50 लाखांचं घड्याळ |
बाजीगर |
3 |
तरीही… |
मनिष |
3 |
प्रवास |
अनन्त्_यात्री |
0 |
उर्दू शायरीमधील "हर्फ गिराना" आणि हिन्दी चित्रपट संगीतावर त्याचा परिणाम |
धष्टपुष्ट |
27 |
बकध्यान.... |
कर्नलतपस्वी |
2 |
रिसाँर्ट |
बाजीगर |
3 |
भरून येईल आभाळ. |
Deepak Pawar |
1 |
आनंदयात्री |
कर्नलतपस्वी |
5 |
मुखवटे. |
Deepak Pawar |
13 |
एक माणूस.... |
बाजीगर |
12 |
मुखवटे |
अनुस्वार |
0 |
ठेचेचा दगड |
पाषाणभेद |
0 |
आनंदी आनंद गडे........मेट्रू |
कर्नलतपस्वी |
16 |
तुझी वाट पाहत. |
Deepak Pawar |
5 |
अजि सोनियाचा दिनु |
बाजीगर |
6 |
अमर्त्य |
कर्नलतपस्वी |
2 |
एकाकी वाट चालताना |
मालविका |
6 |
नको पुन्हा एकदा |
सागरसाथी |
1 |
मेघ भरुनी येताना. |
Deepak Pawar |
0 |
नकोच ते युद्ध नको |
पाषाणभेद |
0 |
कातरवेळ |
बिपीन सुरेश सांगळे |
1 |
मीर तकी मीरची एक गझल |
आदित्य कोरडे |
2 |
मराठी भाषा गौरव दिन अभंग |
सागरसाथी |
7 |
जगत् त्राही माम् |
बाजीगर |
6 |
कॉलेज |
अमरेंद्र बाहुबली |
2 |
एकाकी |
सागरसाथी |
0 |
राजकारणाचा ढासळला दर्जा |
बाजीगर |
1 |
निघाले किरीट सोमय्या.... |
बाजीगर |
7 |
रात्रंदिन आम्हा युद्धाचा प्रसंग..... विठ्ठल विठ्ठल |
बाजीगर |
3 |
तुझ्याचमुळे |
सागरसाथी |
0 |
रिमझिमत्या धारातून आलीस. |
Deepak Pawar |
3 |
शब्दचित्र |
कर्नलतपस्वी |
3 |
आशा |
निनाद |
0 |
व्हॅलेंटाईन दिनी |
श्रीगणेशा |
0 |
आक्रीत |
अनन्त्_यात्री |
2 |
सिर्फ त्रिवेदी बचेगा। |
कर्नलतपस्वी |
6 |
(मेरा कुछ सामान... (भावा...(बघ)..अनुवाद.)) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
17 |
किचनमधून ती सांगते |
श्रीगणेशा |
13 |
शर्यत |
नीळा |
0 |
शोध |
अनन्त्_यात्री |
6 |
का संपली पुण्याई..... |
कर्नलतपस्वी |
2 |
(शोध) |
गड्डा झब्बू |
3 |
रानवट |
Bhakti |
2 |
कळते जगत जाताना |
चांदणे संदीप |
6 |
या ग्रूपवर आलं की लाईफ सुरू होतं! |
nemake_va_mojake |
2 |
यु आर लेट यु फुल |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
85 |
गझल अनुवाद मालिका - कौस्तुभ आजगांवकर |
nemake_va_mojake |
1 |
मुर्द्राक्षास... |
nemake_va_mojake |
8 |
(वल्लीदांच्या सहवासात) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
23 |
मुखपट्टी (मास्क) |
VRINDA MOGHE |
1 |
कविता |
अनन्त्_यात्री |
9 |
सारे प्रवासी घडीचे |
कर्नलतपस्वी |
14 |
मायेचे वस्त्र जिर्ण झाले विरले फाटले |
पाषाणभेद |
16 |
चांदण्यांच्या सहवासात |
मालविका |
7 |
हे डोंगरकड्या |
बिपीन सुरेश सांगळे |
4 |