जाम कोणी देइ |
धनंजय |
19 |
पाऊस - बालगीत |
भास्कर केन्डे |
1 |
मधुशाला - एक मुक्तचिंतन आणि भावानुवाद (भाग १०) |
चतुरंग |
14 |
मराठी भाषा एक चिरन्तन जीवनप्रवाह |
अनिरुद्धशेटे |
9 |
आत्मक्लेश२ |
नंदकिशोर साळ्वे |
4 |
मन |
दत्ता काळे |
3 |
तुझ्या माझ्यासवे कधी गायचा दाऊदही...! |
उपटसुंभ |
5 |
आत्मक्लेश |
नंदकिशोर साळ्वे |
1 |
ते आणि आम्ही |
अजय जोशी |
1 |
एका सुन्दर मुलीसाठी |
अनिरुद्धशेटे |
4 |
वाटले की शेवटी होकार झाला |
धनंजय |
20 |
काटा रुते कुणाला |
अरुण मनोहर |
3 |
बिहारी कणा .. (कुसुमाग्रजांची क्षमा मागून) |
उपटसुंभ |
6 |
पटकन एक छोटीशी |
मुक्तसुनीत |
21 |
चारोळ्यांचा चखणा |
अरुण मनोहर |
8 |
तू अशी स्वप्नात माझ्या |
अमोल केळकर |
0 |
आकाश-जमीन |
अमोल केळकर |
5 |
निरर्थक... |
अजय जोशी |
11 |
सार काही क्षम्य असतं |
विजुभाऊ |
26 |
कुणी बेभान म्हणतं मला... |
फटू |
2 |
(प्रवाह) |
बिनडोक बनी |
8 |
कका ची बाराखडी (भारूड) |
अरुण मनोहर |
2 |
ऋण मातीचे.. |
राघव |
13 |
प्रवाह |
आर्यचाणक्य |
3 |
(करमणूक) |
चतुरंग |
15 |
मीही एक मृगजळ |
गिरीराज |
3 |
आत्मक्लेश |
नंदकिशोर साळ्वे |
2 |
तूझे येणे....... |
नीता |
2 |
राख..... |
किरण मल्लाव |
2 |
राधा |
पद्मश्री चित्रे |
20 |
दूर पळ दूर पळ |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
11 |
श्यामसखा. |
सौरभ वैशंपायन |
5 |
डाव वेळेने साधला |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
विराणी |
यशोधरा |
20 |
बाप्पा मोरया.. |
स्वाती फडणीस |
1 |
वाढदिवस म्हणजे |
दिप्ती |
2 |
(...बोकडाचे खूर काही!) |
चतुरंग |
9 |
एक छोटी कविता (तक्रारवजा) |
पांथस्थ |
13 |
एका (पेक्षा एक) कवीं चे मनोगत----! |
मनीषा |
4 |
कळी संगे निर्दय भोंवरा मधूर गुंजन करतो कसे? |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
जराशी खिडकी उघडा राव..! |
उपटसुंभ |
15 |
तेंव्हा एक कर! (विडंबन) |
दिप्ती |
3 |
एक सुरवात व शेवट नसलेली कविता |
दत्ता काळे |
2 |
भातुकलीच्या खेळामधले, राजा आणिक राणी..... |
मृगनयनी |
6 |
मन कातर कातर... |
मृगनयनी |
16 |
ओंडका |
स्वाती फडणीस |
5 |
आमची मुंबई |
वृषाली |
5 |
भास |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
42 |
आमची ही-"मुंबई" |
पद्मश्री चित्रे |
7 |
सप्तर्षि |
सौरभ वैशंपायन |
10 |
मातृदिनाच्या निमित्ताने |
पद्मश्री चित्रे |
13 |
फांसे |
हेरंब |
1 |
...आदिम ध्यास... |
स्वाती फडणीस |
4 |
छायाचित्र क्र. ४ चे परिक्षण |
ऋषिकेश |
6 |
(लावू कशी पाटी मी दुकानला हो ) |
अमोल केळकर |
0 |
फोड रे मटका... |
ऋषिकेश |
21 |
कधी सांगु शकलो नाही तुम्हाला...... |
चिंतामणराव |
1 |
(...आदिम घास...) |
चतुरंग |
4 |
झाडाच्या मुळांना मला एकदा विचारायचंय... |
अविनाश ओगले |
3 |
सल ... |
मनीषा |
3 |
जोक |
सत्या |
6 |
पाहुनी तुमची सोंगेढोंगे |
शंकर पु. देव |
1 |
फाळणी |
सौरभ वैशंपायन |
9 |
मिसळपावार आमचे लेखनाचे शतक |
श्रीकृष्ण सामंत |
20 |
स्पर्श तुझ्या शब्दांचा... |
अंकुश चव्हाण |
2 |
हा पहाटवारा... |
अंकुश चव्हाण |
3 |
रिता गाभारा ..... |
मनीषा |
8 |
शोध |
वैशाली हसमनीस |
6 |
आवाहन |
राघव |
8 |
तुला खात्री आहे? |
ऋषिकेश |
6 |