रात्ररंग.. |
प्राजु |
17 |
कष्ट करणार्या " तिला " |
दत्ता काळे |
2 |
कंटाळा..... |
विवेकवि |
8 |
ओढ वादळी ...(लवंगलता छंद) |
मनीषा |
3 |
--- ओढ वादळी ...(सवंगलता छंद) --- |
केशवटुकार |
5 |
हि कार! |
केसुरंगा |
1 |
कधीच नाही |
जयवी |
14 |
काही माणसं |
ग्रीष्म |
9 |
समस्यापूर्ती |
सागरलहरी |
4 |
भुक |
जयेश माधव |
1 |
संक्रांतीच्या शुभेच्छा |
नंदन |
17 |
सासुरवाशीण |
अनंत छंदी |
3 |
रितेपण |
जयवी |
7 |
डोरियन ग्रे |
सुवर्णमयी |
18 |
खेळ दोन ओळींचा - २ |
राघव |
20 |
आठवण.... |
सौरभ वैशंपायन |
8 |
शाक्त पंथीय साधक साधिकांची शक्ति उपासना |
अविनाशकुलकर्णी |
5 |
उद्वेग विसरून कसं चालेल? |
श्रीकृष्ण सामंत |
25 |
हिशोब |
उपटसुंभ |
6 |
<पुन्हा पुन्हा मी!!!!> |
पिवळा डांबिस |
12 |
गारवा कृपेचा..! |
राघव |
6 |
माझ्यातल्या कवीला सूचना.... (माझ्या पुरत्याच इतरांनी राग मानू नये ) |
सागरलहरी |
0 |
यमकाचा खेळ |
सागरलहरी |
1 |
पसंत अपनी अपनी |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |
येऊ तशी कशी मी फारीनला? |
पिवळा डांबिस |
25 |
खपली |
भास्कर केन्डे |
5 |
प्रभात राग रंगती... |
विसोबा खेचर |
18 |
अज्जे अज्जे ऐक जरा.. |
स्वाती फडणीस |
4 |
पहिली रात (धुवांधार द्वंद्व) |
केशवटुकार |
16 |
अमुची चिमुकली गादी |
श्रीकृष्ण सामंत |
4 |
देवद्वारी (देवद्वार छंद) |
लिखाळ |
3 |
(अष्टाक्षरी छंद) |
मनीषा |
5 |
मी परत एकदा |
द्विज |
6 |
पहिली रात (देवद्वार) |
रामजी |
4 |
मिसळपाव काव्यकट्टा - काव्यस्पर्धा नोव्हेंबर २००८ - अभिप्राय |
धोंडोपंत |
2 |
कडुलींब (देवद्वार छंद) |
दत्ता काळे |
4 |
गारवा (देवद्वार छंद) |
चन्द्रशेखर गोखले |
5 |
पाण्याच्या थेंबासाठी |
सुवर्णमयी |
15 |
निरगाठी... |
नीधप |
9 |
तुलना ( अष्टाक्षरी) |
कपिल काळे |
4 |
माय मराठी |
veebee009 |
2 |
स्फोटात फाटलेले डबे |
ग्रीष्म |
1 |
पाउस |
ब्रिटिश |
16 |
वसंत (पादाकुलक) |
चेतन |
1 |
आठवण (देवद्वार छंद) |
चेतन |
2 |
(धोरण) देवद्वार छंद |
चेतन |
0 |
ओंजळभर पाणी |
हर्षदा विनया |
6 |
आमची बायको कुत्रा पाळते |
अरुण मनोहर |
4 |
बरेच काही..! |
उपटसुंभ |
4 |
(चकणा ) |
अमोल केळकर |
0 |
भुलण्याचे वय तुझे... सावर सावर |
धोंडोपंत |
25 |
वसुली |
श्रीकृष्ण सामंत |
4 |
हा स्पंद फुलण्याचा |
दत्ता काळे |
4 |
माझी विठ्ठल माऊली.. |
राघव |
7 |
काळ्या पिशवीत पिशवीत |
मूखदूर्बळ |
7 |
फुलपाखरु |
अरुण मनोहर |
16 |
अर्थ काय ह्याचा? |
अरुण मनोहर |
5 |
येथे..! |
उपटसुंभ |
7 |
एक फक्कड लावणी |
शशिकांत ओक |
5 |
तेंव्हाही - २ |
आजानुकर्ण |
4 |
( कणा ) |
अमोल केळकर |
5 |
तनुलीचे गद्य,पद्य |
श्रीकृष्ण सामंत |
5 |
दाखविली मातेची व्यथा कौतुके |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
बघ तुला आठवण येते का ? |
मूखदूर्बळ |
0 |
(तसा कुठे मी....) |
चतुरंग |
1 |
पहाट |
दत्ता काळे |
16 |
रम्य एका सकाळी |
चन्द्रशेखर गोखले |
7 |
विडंबन - सांग सांग भोलानाथ |
श्रीमंत दामोदर पंत |
5 |
दोन कविता |
दत्ता काळे |
6 |
स्मृति बालपणाची |
श्रीकृष्ण सामंत |
0 |