(आच्छू) |
विकास |
9 |
<<गुत्ता>> |
ब्रिटिश |
19 |
<<रात्र थोडी जाहली पण>> |
नाटक्या |
3 |
<तूच आहेस तो!!> |
पिवळा डांबिस |
7 |
<पब> |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
26 |
खूण |
सौरभ वैशंपायन |
6 |
करार |
क्रान्ति |
7 |
तूच आहेस तो... |
शरदिनी |
4 |
? |
शितल |
14 |
भारनियमन.. |
उपटसुंभ |
7 |
'मिपाभूषण' |
लक्ष्मणसुत |
15 |
हुरहुर |
प्रमोद अम्बरनाथ |
3 |
तरच मग कविता कर... |
विसुनाना |
11 |
'विज्ञान दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा' !!! |
लक्ष्मणसुत |
7 |
लग्न ठरलेल्या मुलीचे मनोगत |
दत्ता काळे |
14 |
रंगलेल्या कबुतरांची गाठ पडली त्या वळूशी |
चतुरंग |
10 |
निर्बलता |
शिवापा |
2 |
माझी पाखरे माझे पक्षी दूर उडून गेले |
पुष्कराज |
6 |
भारुड-२ |
विनायक प्रभू |
15 |
चारोळी |
जयेश माधव |
13 |
(अंमळ) |
केशवसुमार |
5 |
मला इश्वर दिसतो आहे ! |
चन्द्रशेखर गोखले |
0 |
सूर्यास्त |
जयवी |
7 |
ओढ |
कौतुक शिरोडकर |
0 |
घनगंध |
सागरलहरी |
2 |
श्री शिवस्तुती |
पुष्कराज |
10 |
तहान |
सागरलहरी |
0 |
तुझा सूर्य मला उसना दे ! |
सागरलहरी |
0 |
अंतीच्या कळान्चे | जिवाला लागीर | |
सागरलहरी |
0 |
महाराज.., शिवछत्रपती अवतरले त्राते | |
सागरलहरी |
8 |
सावर ग स्वतःला ..... |
मितालि |
7 |
( मी लिहिल्यावर पळुनी जातील -- ) |
अमोल केळकर |
9 |
निराकारी रंगारी |
तिमा |
0 |
कशी कोण जाणे |
कौतुक शिरोडकर |
1 |
काव्यप्रसववेदना |
आपला अभिजित |
4 |
शेवटची रात्र ! |
विशाल कुलकर्णी |
0 |
(काव्यप्रसववेदना) |
अनामिक |
5 |
पहाट |
पद्मश्री चित्रे |
13 |
ते पण एक वय असतं |
ashwin joshi |
4 |
te pan ek vay asta |
ashwin joshi |
12 |
मी गेल्यावर वि़झुनी जातील-- |
पुष्कराज |
12 |
मागवेन व्हिस्की, मागवेन ब्रॅंडी..! |
उपटसुंभ |
6 |
आतुर |
विशाल कुलकर्णी |
1 |
वेणू |
कौतुक शिरोडकर |
1 |
श्रावण शृंगार (गझल) |
संदीप चित्रे |
12 |
राधा ही बावरी |
विशाल कुलकर्णी |
2 |
(आड गल्लीतल्या काही कविता) |
चतुरंग |
17 |
तो बेत कालचा मुळीच ठरला नव्हता |
केशवसुमार |
5 |
मी कोण ...... |
चिंतामणराव |
0 |
क्षण |
झेल्या |
0 |
एक भावगीत |
रामदास |
25 |
मराठी शाळेचे भारुड |
विनायक प्रभू |
18 |
सखे ठोठावते आहेस कुठले दार देहाचे? |
ॐकार |
9 |
तिची रुणूझुणू चाल--- |
पुष्कराज |
2 |
व्हॅलेंटाईनच्या निमीत्ताने |
मूखदूर्बळ |
7 |
आई |
ज्याक ऑफ ऑल |
3 |
उन्मुक्त |
जयवी |
21 |
कुणाच्या ह्या वेणा |
नीधप |
28 |
या पाखरांस आता--- |
पुष्कराज |
2 |
प्रेमदिनाची पूर्वसंध्या |
जयवी |
11 |
-गणेश स्तवन- |
अनिरुद्धशेटे |
2 |
कशी येशील कोंदणी??...(व्हॅलेंटाईन डे स्पेशल) |
चतुरंग |
24 |
दुधवाच्या जंगलात मी एक जिवंत वाघ पाहिला |
माझी दुनिया |
9 |
अमृतराय झोपडीत का गेला? |
चतुरंग |
19 |
कधी रे येशील तू... अनामिका.... |
मृगनयनी |
9 |
सजनासाठी... |
अंकुश चव्हाण |
0 |
सुख पुढे वाटे.... |
संध्यानंदन |
0 |
असा ही एक भावानुवाद "हो ना गं आई" |
श्रीकृष्ण सामंत |
13 |
(गंधांच्या उलाढाली) |
चतुरंग |
2 |
अटी शर्थी लागु |
सुचेता |
5 |