बालगीत -खेळायचं खूप आता सुट्टीच सुट्टी. |
अमोल केळकर |
5 |
प्रेम म्हणजे .. |
jenie |
1 |
पौर्णिमा.. |
प्राजु |
23 |
(पौर्णिमा) |
राघव |
6 |
तुझे नि माझे नाते....... |
चंद्रशेखर महामुनी |
6 |
अनंगरंग |
मनीषा |
7 |
वाटा वेगळ्या |
क्रान्ति |
6 |
उजाडले तरी..... |
उदय सप्रे |
2 |
स्वप्न |
मनोज |
4 |
मी मराठी! |
उमेश कोठीकर |
2 |
बस इतकंच सांगायचंय |
धनंजय |
13 |
सागर किनारी... |
उमेश कोठीकर |
10 |
गोठलेले शब्द (या संग्रहातून ;) |
लिखाळ |
28 |
वाढत वय..... |
jenie |
4 |
जगावे की जगू नये? |
उमेश कोठीकर |
7 |
तक्रार |
विशाल कुलकर्णी |
4 |
<तक्रार> |
मराठमोळा |
1 |
चकाट्या - २ |
ॐकार |
5 |
चित्र-काव्य स्पर्धा |
सुनील |
7 |
(बुरुंडीतला जालिंदर) - विडंबन |
पाषाणभेद |
10 |
कामवाली! |
उमेश कोठीकर |
12 |
सावळा |
विशाल कुलकर्णी |
2 |
कोणास ठाउक...! |
चन्द्रशेखर गोखले |
0 |
ति.... |
संध्यानंदन |
1 |
जालिंदर महिमा |
मराठमोळा |
5 |
(मी एकदा चहा केला) |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
51 |
माझ्या आठवणी |
संध्यानंदन |
0 |
उन्मनी |
क्रान्ति |
12 |
भाकरीतला जलालाबादी |
कवटी |
4 |
(ब्यूटी पार्लर अर्थात काव्यफुफाटा) |
चतुरंग |
23 |
<बाई मी पळाली (एक वैताग विडंबन)> |
मराठमोळा |
14 |
यल्गार |
विशाल कुलकर्णी |
3 |
मिपाच्यावरी पंगती रंगलेल्या... |
केशवसुमार |
14 |
फुलपाखराचे प्रेम |
जागु |
0 |
आणखी एक कला |
धनंजय |
16 |
फुलोरा..(माझ्या चाली सकट) |
प्राजु |
43 |
सहवास मजला हवा... |
jenie |
2 |
बाई मी पळाली (एक वैताग कविता) |
मूखदूर्बळ |
9 |
सारे काही पहिले |
जागु |
1 |
अनाथाश्रमाची भेट! |
उमेश कोठीकर |
4 |
वसंतपालवी |
जयवी |
6 |
(म्हणू नका रे....) |
केशवसुमार |
21 |
खाण्याला उपमा नाही |
मूखदूर्बळ |
8 |
कोण तूं रे कोण तूं ? |
सुभाष |
1 |
निनावी नगर |
जागु |
7 |
(पहिला नोकरी अर्ज..) |
पाषाणभेद |
2 |
लतादीदीस सप्रेम......... |
विशाल कुलकर्णी |
8 |
बालगीत |
दवबिन्दु |
5 |
तुझ्या मनात |
जागु |
6 |
रंगांची गोष्ट! |
उमेश कोठीकर |
6 |
तुझे माझे नाते |
क्रान्ति |
16 |
मम सुखाची ठेव... |
विसोबा खेचर |
27 |
पहिली भेट |
जागु |
7 |
(डास) |
बेसनलाडू |
25 |
जे तनाला पाहिजे ते... |
केशवसुमार |
7 |
आपणच........! |
उमेश__ |
5 |
चेहरा |
जागु |
14 |
शब्द |
जागु |
5 |
नाहि बरे... |
jenie |
10 |
बहुतेक हा स्वतःला गालीब समजतो पण.... |
केशवसुमार |
15 |
(चेहरा) |
दशानन |
9 |
देवानी मुलींना असं का बनवलं? |
श्रीकृष्ण सामंत |
3 |
दास |
क्रान्ति |
17 |
कविता पूर्ण करा... |
प्राजु |
36 |
(देवाने मुलींना अस का बनवलं?) |
अनामिक |
22 |
आणखी एक कविता पूर्ण करा |
अभिरत भिरभि-या |
5 |
ओसाड राजमार्ग |
जयवी |
13 |
आई! नको वध करू माझा! |
उमेश कोठीकर |
11 |
पृथ्वीची पहाट! |
उमेश कोठीकर |
2 |
गाडीच्या गाडीवाना... |
डॉ. आनंदा वारके |
4 |