दिवा तेवतसे अंधारात... (देवद्वार छंद) [माझं इथलं पहिलंच पोस्ट :) ] |
आचरट कार्टा |
3 |
...मी आहे. |
अंकुश चव्हाण |
6 |
(सजा) |
चतुरंग |
9 |
सोशीक..! |
उपटसुंभ |
7 |
आणखी एक भोंडला |
मूखदूर्बळ |
3 |
पाखरे आम्ही सर्व एकाच भूमीवर |
शंकरराव |
10 |
(ठुमरी) |
केशवसुमार |
13 |
तुला कापते रे तुला कापते |
मूखदूर्बळ |
14 |
(परिकथेतील राजकुमारा ...) |
केशवसुमार |
26 |
तुझ्या रुपातुनी दर्शन घडते... |
अंकुश चव्हाण |
0 |
बहर |
सुचेता |
5 |
चूक..! |
उपटसुंभ |
9 |
गंमतीशीर चित्रे! :) |
विसोबा खेचर |
13 |
(पुनरागमनी अरे सुमारा...) |
केशवटुकार |
1 |
पंढरी (अष्टाक्षरी) |
प्रशांत.पोरे |
2 |
(हवाबाण हरडे) |
केशवसुमार |
21 |
फक्त तुझा ....!!!! |
डोम्बिवली फास्ट |
9 |
"नात॑......!!!!" |
डोम्बिवली फास्ट |
5 |
नार्सिससच्या प्रतिबिंबाची लावणी |
धनंजय |
20 |
पण तू मात्र......... |
sanjubaba |
3 |
बाला, |
अविनाशकुलकर्णी |
5 |
खाज! |
चतुरंग |
6 |
लठठ मनोगत |
अनिरुद्धशेटे |
0 |
संक्रांती |
केशवसुमार |
29 |
शोध |
अनिरुद्धशेटे |
0 |
कवी नडू पाही... |
चतुरंग |
12 |
गवार |
जृंभणश्वान |
12 |
बर्फ जादाचा जणू... |
केसुरंगा |
6 |
भोंडल्याची (डोंबलाची ) गाणी |
मूखदूर्बळ |
3 |
हंस उडू पाही... |
नीधप |
21 |
रिक्त |
स्वाती फडणीस |
8 |
कलाकार |
पंचम |
3 |
( निवडणुकीचा एक दिवस ) |
अमोल केळकर |
0 |
एक दिवस |
ज्ञानदा कुलकर्णी |
4 |
मी अगदी मजेत आहे |
मोगॅम्बो |
13 |
गुलाबी चांदणे |
जयवी |
17 |
काही चारोळ्या.......... |
sanjubaba |
5 |
(गुलाबी चांदणे) |
चतुरंग |
5 |
" गजरा " |
sanjubaba |
0 |
हे असं चालू शकेल? |
अनंत छंदी |
0 |
प्यार कुणावर... |
चतुरंग |
14 |
शिक्षकांचे विद्यार्थिनीस पत्र . . . . . . . |
क्षितीजा |
15 |
मॅट्रिक्स...[Matrix] |
अविनाशकुलकर्णी |
0 |
गणपतीला स्वेटर |
लिखाळ |
13 |
चारोळी |
मॅन्ड्रेक |
1 |
तिचा मोकळा वावर |
पुष्कराज |
2 |
हि कुण्या गावचि नार...... |
अविनाशकुलकर्णी |
5 |
दिव्याभोवती अंधार (गीतांजली - अनुवाद) |
लिखाळ |
21 |
"आई" |
sanjubaba |
5 |
कंडोम |
अविनाशकुलकर्णी |
10 |
लग्न करुन तु सासरी गेली आहेस |
अविनाशकुलकर्णी |
15 |
क्षितीज |
शाल्मलि |
9 |
अर्धांगीनि |
अविनाशकुलकर्णी |
4 |
राजे – ४ |
श्रावण मोडक |
10 |
जीवन म्हणजे नक्की काय असतं ? |
शर्मीला |
7 |
नि:शब्द विजय (उद्धव मात्रावृत्त) |
ऋषिकेश |
6 |
माझे मन..... |
sanjubaba |
0 |
तो माणूस भणंग होता |
मूखदूर्बळ |
0 |
मी आलो. |
रेझर रेमॉन |
6 |
गजल |
mahesh jahagirdar |
4 |
वन्स मोअर, |
अविनाशकुलकर्णी |
4 |
पाणि |
मॅन्ड्रेक |
4 |
प्राक्तन |
संदीप चित्रे |
22 |
तुझ्या डोळ्यांचा थांग घेताना - कविता |
सागर |
19 |
वैधानीक इशारा. |
रामदास |
13 |
डायरेक्ट ढगात जातील . . . |
काहीतरीच |
4 |
एक द्वाडीक कविता |
विजुभाऊ |
2 |
कॉर्न फ्लेक्स |
सुवर्णमयी |
11 |
देवद्वार छंदः गारवा: निकाल केव्हा? |
बाजीराव |
2 |
स्वप्नं |
स्मिता श्रीपाद |
5 |