मी.. |
विवेकवि |
0 |
((कुणि जाल का, सांगाल का..)) |
केशवसुमार |
22 |
बोले हो बॉस कुणाला (विडंबन गीत), काटा रूते कुणाला (मूळ गीत) |
प्रा सुरेश खेडकर |
2 |
बायको नावाचे वेगळेच प्रकरण आपल्या पुढे येते.... |
विजुभाऊ |
4 |
सळसळणार्या फांद्यांवरती शेंगा फिक्क्ट सोनेरी |
ॐकार |
25 |
(अधिकार) |
केशवसुमार |
14 |
विडंबन - जे खावे पचण्याचे वय निघून गेले |
अविनाश ओगले |
24 |
सुरापुराण - प्रथम अध्याय.. |
अनिकेत |
15 |
(कुणि जाल का, सांगाल का..) |
चतुरंग |
18 |
चाळ ही हदरून जाते |
केशवसुमार |
18 |
विडंबन - तोच नौरोबा घरात, स्थूल आणि स्वस्थ ही |
अविनाश ओगले |
5 |
लग्न |
सचिन |
7 |
चार चारोळ्या |
धनंजय |
23 |
सुनीतः एक प्रयत्न |
ऋषिकेश |
3 |
(वाट) |
केशवसुमार |
1 |
मी दारु प्याली नाही....... |
ब्रिटिश टिंग्या |
5 |
अंतर |
सचिन |
5 |
विडंबन-गुत्त्याच्या रे उंबरठ्यावर आपण दोघे. |
अविनाश ओगले |
4 |
या दोन ओळी घ्या... पुढचे शेर लिहा........ |
अविनाश ओगले |
7 |
तू इथे नाहीस... |
सचिन |
2 |
...फिरवा चला आरी पुन्हा!! |
केशवसुमार |
15 |
खेळ माझा संपला |
केशवसुमार |
16 |
अश्रु .... |
विवेकवि |
1 |
तुझ्याशिवाय माझे जीवन, आता जीवन उरले नाही......... |
विवेकवि |
1 |
विरह |
सचिन |
13 |
अंदाज बायकोचा वाटे खरा असावा |
अविनाश ओगले |
16 |
कांगारु |
चतुरंग |
20 |
भाउबंदकी |
बेसनलाडू |
18 |
गोळी |
केशवसुमार |
7 |
किवता |
छत्रपति |
5 |
आलबेल |
सचिन |
13 |
मला मराठी कविता लिहिणेही आवडते... पण |
वडापाव |
4 |
विडंबन |
चतुरंग |
11 |
मराठी मुलगी . |
विवेकग |
3 |
मुलींचे नखरे... |
विवेकग |
10 |
मैत्री .. |
विवेकग |
2 |
माझेही.... |
प्राजु |
9 |
"मी मराठी" |
विवेकग |
1 |
नात... |
विवेकग |
1 |
प्रेम... |
विवेकग |
0 |
आठवण... |
विवेकग |
0 |
जेथे बघेन तेथे... (विडंबन) |
बेसनलाडू |
6 |
(गझल) |
बेसनलाडू |
2 |
(गणित)-१ |
केशवसुमार |
3 |
मला आवडलेल्या काही अलिकडील कविता |
मुक्तसुनीत |
13 |
(दृष्टी भ्रम) |
केशवसुमार |
4 |
(मनसुबे) |
केशवसुमार |
5 |
बसा दोस्तहो या दारूवर* बोलू काही ! |
अविनाश ओगले |
8 |
(अताशा कसे हे मला काव्य होते?) |
चतुरंग |
5 |
बॉस आज सुट्टीवरी, त्यात क्रीकेट कॉमेंट्री |
प्रा सुरेश खेडकर |
8 |
माझी कविता. |
अविनाश ओगले |
6 |
स्वर्ग |
सृष्टीलावण्या |
10 |
आमची कविता |
धनंजय |
4 |
जस्सं च्या तस्स राहिल का सारं ? |
धमाल मुलगा |
10 |
अजुन काय हवे ... |
विवेकवि |
6 |
आठवण....... |
विवेकवि |
2 |
कितीही येऊ दे वादळं वाटेत माझ्या ... |
फटू |
6 |
फुवा-बीजिंग मधील २००८ ऑलिंपिकचे मॅस्कॉट |
मीनल |
7 |
(ताळमेळ) |
केशवसुमार |
10 |
काही सुभाषिते |
वडापाव |
11 |
माझे अभंग माझी गाथा |
केशवसुमार |
25 |
"स्वयेश्री प्रोफेसर पाहती" स्वरचित विडंबन गीत |
प्रा सुरेश खेडकर |
12 |
मला आलेले एक स्वारस्यपूर्ण अग्रप्रेषित (Forward) |
शरुबाबा |
0 |
चूक१ |
केशवसुमार |
2 |
"मेड इन चायना'पाठीमागचे रहस्य यात आहे! |
मीनल |
6 |
तोंड लोकांचे |
ऋषिकेश |
11 |
प्रेम |
विवेकवि |
3 |
एक दिवस..... |
विवेकवि |
1 |
मैत्री असावी ......... |
विवेकवि |
1 |
एक मैत्रिण |
विवेकवि |
4 |