पक्षी निरीक्षण |
चेतन |
6 |
(जैव वैविध्य) |
केशवसुमार |
9 |
पोरी... |
खट्याळ मुलगा... |
6 |
अस्थीपंजर |
केशवसुमार |
8 |
पूर्ण कविता हवी आहे... |
उदय ४२ |
0 |
दिवेलागण. |
अशोक गोडबोले |
6 |
(रस्ता) |
चतुरंग |
4 |
रस्ता |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
9 |
रस्ता-२ |
केशवसुमार |
7 |
केश्यांतिका... अर्थात् केश्याची शोकांतिका...(एक नवविडंबन) |
केशवसुमार |
10 |
मला मनाचे पटले नाही |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
9 |
वर्तुळाचा कोन |
जयवी |
9 |
जीए |
हेरंब |
6 |
दंव |
उदय सप्रे |
5 |
मानाचा मुजरा! |
चतुरंग |
10 |
हे क्रांतिकारकांनो! |
अजय जोशी |
8 |
येक सुविचार |
शरुबाबा |
6 |
गिनिपिग |
मिनासो |
1 |
(वाटले बरे किती) |
केशवसुमार |
13 |
(केश्यांतिका... अर्थात् केश्याची शोकांतिका...(एक नवविडंबन)) |
ब्रिटिश टिंग्या |
3 |
घोडा आणि ओझे |
विसुनाना |
12 |
गमतीदार ऊखाणे. |
विवेकवि |
4 |
(कुजबुज) |
केशवसुमार |
7 |
(गजल) |
चतुरंग |
1 |
(भूक ही खरी किती) |
चतुरंग |
4 |
.....बळ दे ! |
उदय सप्रे |
1 |
उरून राहता येतं ! |
उदय सप्रे |
6 |
एक अशीही केस... |
अजय जोशी |
1 |
गजरा..... |
उदय सप्रे |
2 |
आई समीप येता |
अजय जोशी |
11 |
हात द्या, मात द्या ... |
अजय जोशी |
2 |
प्लॅन्चेट |
उदय सप्रे |
4 |
मधुशाला - एक मुक्तचिंतन आणि भावानुवाद (भाग ६) |
चतुरंग |
8 |
एक ऐकशील? |
मी अश्विनी |
17 |
ये मेरी दुनिया नहीं ! |
उदय सप्रे |
3 |
आठवण सुद्धा... |
मी अश्विनी |
9 |
स्वप्नातलं गाव ... ! |
संदीप चित्रे |
0 |
तेव्हा आई तुझी खूप आठवण येते |
फटू |
18 |
(समजून) |
चतुरंग |
2 |
आभास |
सुवर्णमयी |
16 |
('रेशमीया' मेल्यानी) |
चतुरंग |
7 |
जॅझ जुगलबंदी |
धनंजय |
7 |
काही आठवत नाही |
शितल |
4 |
मद्य काव्य... मदिरेचे हाणतो पेले, धुंद तळीराम |
तळीराम |
7 |
(...लवकर ये!) |
चतुरंग |
16 |
गे मला गे चंडिके... |
केशवसुमार |
2 |
चैत्रामधले मैत्र! |
अशोक गोडबोले |
3 |
इतिहास |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
15 |
(इतिहास) |
केशवसुमार |
10 |
मला आवडलेली कविता |
प्रगती |
9 |
आठवण... |
प्रगती |
2 |
माझी सुडंबने |
मिनासो |
1 |
'बाटा' रुते.. |
चतुरंग |
22 |
(मोजणी) |
केशवसुमार |
8 |
आज मावळात दंग.. |
चतुरंग |
21 |
नाकावर झाली ही सर्दी बहाल |
मीनल |
27 |
लोकल ट्रेनमध्येही सुलभ शौचालय सेवा |
शरुबाबा |
1 |
तुरुंग |
गिरीराज |
9 |
पाऊस माझ्यासाठी काय आहे? |
उदय सप्रे |
4 |
माझी प्रीत आहे |
उदय सप्रे |
4 |
मुलीनेच का नेहमी सासरी जायचं ? - कविता |
यशोदेचा घनश्याम |
8 |
जे घुसळे रवी |
अजय जोशी |
7 |
एप्रिल फुले(स्वरचित विडंबन गीत गायन) |
प्रा सुरेश खेडकर |
0 |
जन्म चारोळीचा..... |
उदय सप्रे |
1 |
हा माझा जीव तिच्या... |
केशवसुमार |
11 |
पाऊस कळलाय का? |
उदय सप्रे |
0 |
आयुष्य....."सप्टेंबर २००५" ला लिहिलेली एक कविता |
उदय सप्रे |
3 |
विडंबनाच्या चर्चेवर विडंबन... मद्यविरहित |
तळीराम |
2 |
उघड "बार" देवा आता , उघड "बार" देवा |
उदय सप्रे |
19 |
कुणी बाइ गुणगुणले.....रानारानात गेलीबाइ शीळ |
मनापासुन |
1 |