कुणी मत देता का मत? |
विसोबा खेचर |
15 |
मिस्सळ मी चापतो, तर्रीची, मिस्सळ मी चापतो... |
अविनाश ओगले |
17 |
चेहर्याभोवती दाढी उमलत आहे ! |
केशवसुमार |
6 |
आई, तुला एकदाच हाक दिली तरी अब्जांनी धावून येशील |
सनिल पांगे |
5 |
आनंदयात्री.. |
प्राजु |
7 |
विरोप |
अनिला |
7 |
गद्य्-काव्य |
वेडा |
0 |
(झुलवा) |
केशवसुमार |
14 |
श्वासालाही उघाणं आलं. |
raje1981 |
0 |
धागा धागा जोडित्..(धागा-४) |
प्राजु |
46 |
" एकान्त " |
पेशवे बाजीराव तिसरे |
1 |
" निरंतर " |
पेशवे बाजीराव तिसरे |
1 |
किनारा.. |
पेशवे बाजीराव तिसरे |
8 |
" सखी " |
पेशवे बाजीराव तिसरे |
5 |
असंही प्रेम असतं!! |
तुमचा आनंद |
5 |
सुखाच्या शोधात.... (दु:ख)!!! |
छत्रपति |
5 |
पुण्याचे ट्रॅफिक...नाम॑जूर |
धमाल मुलगा |
22 |
मी शब्द ओठि रोखले... |
छत्रपति |
4 |
हे स्वप्ना तु स्वप्नात माझ्या येऊ नको......... |
छत्रपति |
0 |
आजच्या मुली |
छत्रपति |
5 |
शिघ्रकविता |
बहुरंगी |
8 |
सुंदर तलम रेशीम.. (धागा -३) |
प्राजु |
51 |
जाळण्या पूर्वी किंतींदा तुम्हीचं तर जाळलं होतं |
सनिल पांगे |
2 |
पुन्हा गंध आला...(गझल) |
बहुरंगी |
5 |
वीणीचा नवा धागा.... |
प्राजु |
69 |
आयुष्य तेच आहे |
सनिल पांगे |
22 |
ओळखलं तिने मला जागच्या जागी ती स्तब्द झाली |
सनिल पांगे |
3 |
शब्द! |
ऋषिकेश |
11 |
एक दिवा |
मनोज |
16 |
मधुशाला |
धोंडोपंत |
2 |
उड्डाण पूल |
इनोबा म्हणे |
1 |
शिक्षक दिन |
इनोबा म्हणे |
1 |
(कातरवेळी) |
केशवसुमार |
3 |
तूच नव्याने घडशील काय |
ऋषिकेश |
7 |
काय सांगू नवलाई |
इनोबा म्हणे |
1 |
मन... |
शब्दवेडा |
4 |
फुलराणी... |
प्राजु |
6 |
पाखरु : भाग १ (कविता) |
सागर |
4 |
विरूपिका (२) : भविष्य |
ॐकार |
1 |
तुझ्या एका शब्दासाठी |
सुवर्णमयी |
24 |
हात तुझा हातात...... |
अगस्ती |
11 |
विंदा करंदीकरांच्या विरूपिका - (१) २८ जानेवारी १९८० |
ॐकार |
5 |
समुद्रपक्षी |
स्वाती दिनेश |
7 |
नळ आणि सुंदरी |
ऋषिकेश |
10 |
गोफ - २ |
ऋषिकेश |
19 |
यातना |
सहज |
17 |
आपण यांना पाहिलंय का? |
ऋषिकेश |
4 |
भा.रा.तांबे यांच्या निवडक कविता -२. कळा ज्या लागल्या जीवा |
धोंडोपंत |
9 |
एडीपस आणि कूटप्रश्न |
धनंजय |
5 |
भा.रा.तांबे यांच्या निवडक कविता - १. रिकामे मधुघट |
धोंडोपंत |
22 |
एक दिवस... |
दिनेश५७ |
3 |
विसरून जायचे तुला |
मनोज |
11 |
सोडुन गाव मी माझा ... |
मनोज |
10 |
गोफ |
ऋषिकेश |
52 |
----- वारं -------- |
मनोज |
8 |
खाडा -विडंबन |
केशवसुमार |
8 |
दारू एके दारू... :) |
विसोबा खेचर |
7 |
कमळाबाई |
चित्तरंजन भट |
14 |
शहार... |
दिनेश५७ |
2 |
आशा |
गुंडोपंत |
13 |
अखाडा - गझल |
धोंडोपंत |
22 |
विडंबन |
केशवसुमार |
2 |
नव्हाळी |
जयवी |
7 |
पांढरपेशी विडंबने |
केशवसुमार |
7 |
त्या फुलांच्या.. |
प्राजु |
10 |
पांढरपेशी कविता |
ॐकार |
5 |
आमच कोल्हापुर |
झकासराव |
18 |
तिचा रुमाल |
मनिष |
4 |
मी! |
अशोक गोडबोले |
3 |
वेड हे रक्तात माझ्या... |
अशोक गोडबोले |
2 |