जस्सं च्या तस्स राहिल का सारं ? |
धमाल मुलगा |
10 |
अजुन काय हवे ... |
विवेकवि |
6 |
आठवण....... |
विवेकवि |
2 |
कितीही येऊ दे वादळं वाटेत माझ्या ... |
फटू |
6 |
फुवा-बीजिंग मधील २००८ ऑलिंपिकचे मॅस्कॉट |
मीनल |
7 |
(ताळमेळ) |
केशवसुमार |
10 |
काही सुभाषिते |
वडापाव |
11 |
माझे अभंग माझी गाथा |
केशवसुमार |
25 |
"स्वयेश्री प्रोफेसर पाहती" स्वरचित विडंबन गीत |
प्रा सुरेश खेडकर |
12 |
मला आलेले एक स्वारस्यपूर्ण अग्रप्रेषित (Forward) |
शरुबाबा |
0 |
चूक१ |
केशवसुमार |
2 |
"मेड इन चायना'पाठीमागचे रहस्य यात आहे! |
मीनल |
6 |
तोंड लोकांचे |
ऋषिकेश |
11 |
प्रेम |
विवेकवि |
3 |
एक दिवस..... |
विवेकवि |
1 |
मैत्री असावी ......... |
विवेकवि |
1 |
एक मैत्रिण |
विवेकवि |
4 |
आम्ही कोण २ (शार्दूलविक्रीडित) |
पुष्कर |
30 |
घशाशी |
केशवसुमार |
12 |
पथ्य |
केशवसुमार |
9 |
एक नेपाळी गीत... |
मनस्वी |
13 |
माकडाची जात याची, मूढ कुठला केशवा |
केशवसुमार |
9 |
खर्डेघाशी |
बेसनलाडू |
11 |
शब्देविण संवादिजे... |
अशोक गोडबोले |
5 |
...का? |
चतुरंग |
1 |
ही नेहमीचीच हो माझी रामकहाणी... |
केशवसुमार |
4 |
श्रद्धांजली! |
अशोक गोडबोले |
2 |
मानिनीस (पूर्ण कविता आठवतेय का?) |
लिखाळ |
0 |
कुठली खिडकी? कितवा मजला? |
ॐकार |
8 |
शीर्षक सुचत नाही - २ |
बेसनलाडू |
5 |
व्हेलेंटाईन्स डे...२ |
प्राजु |
53 |
हृदयाच्या अंतर्हृदयाला.... |
सृष्टीलावण्या |
2 |
(शीर्षक सुचत नाही) |
केशवसुमार |
5 |
लिलीची फुले |
सृष्टीलावण्या |
2 |
झोप २ |
बुध्दू बैल |
1 |
सोनेरी उन्हात भिरभिरणारे भ्रमर... |
सृष्टीलावण्या |
4 |
(गज़ल) |
केशवसुमार |
8 |
तू (अर्थात त्याच्या नजरेतून ती...) |
सतिश गावडे |
4 |
(गजल?) |
ऋषिकेश |
27 |
कधी होवो न होवो भेट यापुढे आपली... |
सतिश गावडे |
4 |
शिशिरमासी |
चतुरंग |
19 |
आम्ही कोण? |
धोंडोपंत |
21 |
तुझ्या भावनांची शपथ आहे (कविता) - सागर |
सागर |
14 |
व्हीस्की आणखी रम यातुनी, कोण आवडे अधिक तुला? |
अविनाश ओगले |
19 |
व्हॅलेंटाईन्स डे.... |
प्राजु |
81 |
झोप |
वडापाव |
7 |
सोड असले नाद सगळे |
केशवसुमार |
11 |
दिशा, वाट अन् `वाट' |
आपला अभिजित |
1 |
परीचे पशुधन |
धनंजय |
5 |
फासले ऐसेभी होंगे - भावानुवाद - असेल अंतर असेही... |
ॐकार |
14 |
मी एक परिस्थिती |
ऋषिकेश |
22 |
सांज.. |
प्राजु |
13 |
तीन पत्तीच्या खेळाची |
केशवसुमार |
31 |
प्रिया आज माझी.. |
सर्वसाक्षी |
13 |
वाद्यं |
नन्दु |
3 |
(काहीच्या) काही चारोळ्या |
आपला अभिजित |
11 |
(आपण...) |
केशवसुमार |
3 |
संध्याखंत - २ |
आजानुकर्ण |
17 |
कोल्हे वाण्याला कोकणी सल्ला |
धनंजय |
2 |
मला कसा हा म्हणतो मेला.... |
केशवसुमार |
8 |
माझी चिंतनिका |
युयुत्सु |
1 |
मद्यमैफलीस प्रारंभ करण्यापूर्वी म्हणायचा श्लोक. |
अविनाश ओगले |
7 |
संथ चालते मालिका ही... |
अविनाश ओगले |
8 |
झांज.. |
ऋषिकेश |
12 |
तू असता तर...! |
प्राजु |
5 |
"मैञीण" |
विवेकवि |
14 |
आपलं माणूस |
संगीता |
7 |
विडंबनः चाळीमधल्या खोलीमधली राजा आणिक राणी |
अविनाश ओगले |
22 |
भास |
गिरीशमित्र |
0 |
सुभाषित |
धोंडोपंत |
11 |