स्व प्न भं ग - |
विदेश |
4 |
गुड बाय !!! |
अनुप्रिया |
4 |
मिपाकर भगिनींना नम्र विनंती.. |
विसोबा खेचर |
29 |
माहीत नव्हतं... |
अथांग |
4 |
कविता - २ |
अथांग |
9 |
फसू नका तुम्ही फसू नका |
पाषाणभेद |
2 |
कधीपासून ? |
अथांग |
7 |
शेतकरी गीत: शेतात जायाची माझी झाली आता येळ |
पाषाणभेद |
4 |
आभाळ लागले मिळू |
स्वानंद मारुलकर |
5 |
माझ्या झोपेची झाली आता येळ |
पाषाणभेद |
0 |
कसं सांगू मी तुला, |
अमोल मेंढे |
3 |
पिकलं पान |
पाषाणभेद |
8 |
बर्याच दिवसांनी तिचा फोन आला |
स्वप्निल मन |
2 |
हवी कशाला मग तलवार ? |
गंगाधर मुटे |
2 |
जुना जमाना गेला आता नवा जमाना आला |
पाषाणभेद |
0 |
मोगरा |
शुचि |
15 |
नि:शब्द ……! ! ! |
निरन्जन वहालेकर |
5 |
सही |
नगरीनिरंजन |
7 |
देवा तु चुकलास |
प्रीत-मोहर |
16 |
मनतरंग...(पूर्वप्रकाशित उद्घोष - महाराष्ट्र मंडळ बे एरिआ - इ फ्लायर) |
अथांग |
5 |
हनुमंताची व्यथा ! |
चिगो |
21 |
मी त्या रक्ताच्या शोधात आहे.... |
पंचम |
7 |
चित्रपटगीतः चला रे चला, चला गणपतीला आणू चला |
पाषाणभेद |
0 |
(बाम लावला ग सखे बाम लावला) |
अडगळ |
8 |
आयटम साँग: तुन तुन तुन तुन तुन ताना ना..ना..ना...ना..ना |
पाषाणभेद |
3 |
गंमतीची गोष्ट |
नीधप |
8 |
कान्ह्याची बासुरी |
अरुंधती |
1 |
अट्टल चोरटा मी........!! |
गंगाधर मुटे |
7 |
आले गणपती माझ्या अंगणी |
पाषाणभेद |
2 |
आठवण |
विश्नापा |
4 |
इज्जत |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
((चंपी)) |
विजुभाऊ |
2 |
नाचू या, गावू या, चला चला सारे या |
पाषाणभेद |
0 |
एक कविता....(हे कवितेचे नाव नाही) पण शीर्षक हवेच...मग काय करा? |
अथांग |
10 |
(बाणा) |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
25 |
शेतकरी गीत: आज सण हाय बैलपोळा |
पाषाणभेद |
10 |
गौळण: असा काय करशी तु रे नंदाच्या कान्हा |
पाषाणभेद |
2 |
सुखाचे स्वागत... |
विदेश |
1 |
(कोलंबसाचे गर्वगीत) |
अडगळ |
15 |
भारत माझा देश आहे........... |
संदीप परांजपे |
13 |
कोणीच ना पहाते... |
स्वानंद मारुलकर |
9 |
पावसांत वडवानल ! ! ! |
निरन्जन वहालेकर |
9 |
नाव माझे याच नावाच्या पुढे लागेल का? |
स्वानंद मारुलकर |
8 |
स्वप्नांचे पान मुंबई . . . |
गणेशा |
5 |
मी पुरुष बिच्चारा |
गणेशा |
2 |
वाक्याचा अर्थ सांगाल का? |
शानबा५१२ |
14 |
कषाय-दान |
पुष्कर |
9 |
अवचीत यावं कुनी |
पाषाणभेद |
0 |
गण: माझ्या गणाला गणपती आले |
पाषाणभेद |
4 |
चाललो मी.... |
स्वानंद मारुलकर |
7 |
हायवे वरुन गाडी सरपटताना |
माझीही शॅम्पेन |
4 |
हिंदीतून मराठीकडे |
विश्नापा |
90 |
हे खेळ संचिताचे .....! |
गंगाधर मुटे |
10 |
माणूस म्हणून जगण्याची ही किंमत.... |
दशानन |
10 |
<घोगरा> |
नाटक्या |
8 |
“( अ ) द्वितिय ” प्रेम |
निरन्जन वहालेकर |
6 |
समिकरणे |
क्रान्ति |
15 |
दगड |
निरन्जन वहालेकर |
5 |
इतिहास |
यशवंतकुलकर्णी |
7 |
प्रणयाचा पाऊस! |
निमिष सोनार |
7 |
आले आले गणपती माझ्या घरी आले |
पाषाणभेद |
1 |
कोथरूडच्या काशीचा बाप लई खत्रूड |
पाषाणभेद |
3 |
प्रेमाची बँक |
पाषाणभेद |
3 |
लावणी: जाल हो राया उद्या |
पाषाणभेद |
1 |
विठ्ठल उभा राहीला |
पाषाणभेद |
1 |
एकदा तरी भेट देई मज पांडूरंगा |
पाषाणभेद |
7 |
गणित (पक्कं) |
प्रा.विद्याधर घैसास |
1 |
बापं |
चिंगुसविकॄतजोशी |
2 |
पश्चिम महाराष्ट्राचे प्रेमगीत |
अडगळ |
12 |
बंडखोरी |
क्रान्ति |
3 |