एका स्थळात लिहिली, जी धोरणे अनेक |
केशवसुमार |
9 |
शून्य |
sur_nair |
6 |
नाव सुचत नाही. |
स्पंदना |
6 |
मी न माझा……… |
निरन्जन वहालेकर |
0 |
कव्वाली : अशी ग कशी सोडूनी जाते तू मला |
पाषाणभेद |
0 |
स्वप्नी माझ्या आलीस तू |
पाषाणभेद |
0 |
सीमालढागीतः भिऊ नको मराठी जना |
पाषाणभेद |
5 |
गाणी |
क्रान्ति |
14 |
काही राहीलेले |
पंचम |
5 |
सद्गुरू माउली |
सागरलहरी |
6 |
पुन्हा एकदा |
jaypal |
9 |
देवा ढळो नेदी | माझी चित्त वृत्ती | |
सागरलहरी |
6 |
एक जुना मित्र भेटला .. |
सागरलहरी |
7 |
गे कविते |
सागरलहरी |
12 |
टंकेल वीडंबक जैं न काहीं |
धनंजय |
27 |
अतरंग ... |
विशाल कुलकर्णी |
3 |
निवडुंग........ |
निरन्जन वहालेकर |
1 |
मीरा म्हणे ........... |
झुम्बर |
2 |
(हळूहळू हा तापच झाला स्वैपाक अन्) |
राजेश घासकडवी |
7 |
महाराष्ट्र कर्नाटक सीमावादावरील गीत : उठ रे मराठी गड्या तू चल सीमेवर |
पाषाणभेद |
24 |
कृष्णपिसे |
झुम्बर |
3 |
जीवन-मृत्यू! |
राघव |
4 |
अंतरंग |
jaypal |
14 |
हाच आपला ढंगु आहे... |
घाटावरचे भट |
21 |
हळूहळू हा तापच झाले संपादन... |
केशवसुमार |
7 |
हळूहळू हा व्यापच झाले संपादन... |
केशवसुमार |
11 |
शिशिर ऋतू का आला हेमंत सरून |
पाषाणभेद |
1 |
(अत्रंग) |
अडगळ |
1 |
शेतकरी गीत : काळ्या काळ्या मातीमधी पिकलंया सोनं |
पाषाणभेद |
4 |
बीज... |
शैलेन्द्र |
22 |
गाणे : असेच असते जीवन कुणाचे, नच तयाला कोणी गणती |
पाषाणभेद |
4 |
काय बोलणे |
सागरलहरी |
3 |
माते अंबे भवानी नमितो जिजा-बाई (राजमाता जिजाउंचे पुण्य स्मरण ) |
सागरलहरी |
2 |
ही ही तिची गाथा |
आनंद घारे |
11 |
शॄंगार |
राजेश घासकडवी |
19 |
एकदा होवोनी पक्षी |
पाषाणभेद |
1 |
संदेश |
राजेश घासकडवी |
15 |
तिचे अभंग, तिची गाथा |
नंदन |
54 |
असच काहीसं |
नेहमी आनंदी |
2 |
उगाच काहितरी |
शिल्पा ब |
6 |
प्रलय |
निरन्जन वहालेकर |
2 |
देखावे.. |
विसोबा खेचर |
41 |
छंद |
नेहमी आनंदी |
5 |
<अनावर> |
सहज |
10 |
(पारध) |
अवलिया |
9 |
गाणे : पायी चालतोया पंढरीची वारी |
पाषाणभेद |
4 |
कितीदा..! |
विसोबा खेचर |
15 |
(कित्तीदा) |
llपुण्याचे पेशवेll |
7 |
..रस्ता.. |
कानडाऊ योगेशु |
2 |
कुंभारवाडा |
राजेश घासकडवी |
22 |
(अनावर) |
अडगळ |
7 |
दक्षिणायन.. |
विसोबा खेचर |
25 |
वस्ती..! |
विसोबा खेचर |
11 |
पारध |
सहज |
24 |
सहज सुचल म्हणुन |
jaypal |
13 |
हाती माझ्या शुन्यच उरले |
पाषाणभेद |
2 |
कालू कौआ |
सहज |
25 |
गीत: वाटे मज अपार सुख |
पाषाणभेद |
0 |
आस “ नाविन्याची “ |
निरन्जन वहालेकर |
1 |
??? |
प्रमोद देव |
27 |
घो(स)ळ |
आंबोळी |
21 |
वा(रुळ) |
sur_nair |
4 |
(धूळ) |
llपुण्याचे पेशवेll |
21 |
पळ |
सहज |
18 |
[कूळ ] |
प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे |
13 |
(तूळ) |
शुचि |
6 |
मूळ |
केशवसुमार |
26 |
शेतकरी गीत: शेतात पेरणीची चल झाली आता वेळ |
पाषाणभेद |
0 |
.. |
प्रियाली |
14 |
सुळ |
कोदरकर |
6 |