ओढ |
फ्रॅक्चर बंड्या |
2 |
मी बदलणार नाही |
अमृतांजन |
13 |
बाबासाहेब ते भैय्यालाल... |
हृषीकेश पतकी |
8 |
मन इंद्रधनू |
क्रान्ति |
22 |
शोध |
अजुन कच्चाच आहे |
7 |
(शोध) |
प्रशांत उदय मनोहर |
2 |
घरटे.. |
प्राजु |
25 |
(दगड) |
ब्रिटिश |
26 |
पोवाडा - महाराष्ट्र नवनिर्माण सेनेचा - राज ठाकरेंचा |
पाषाणभेद |
26 |
इश्वर ..... |
चन्द्रशेखर गोखले |
1 |
अश्रू |
शरदिनी |
11 |
थोडी जाणीव हवी... |
विमुक्त |
8 |
गादी |
कपिल काळे |
17 |
धा धिन धिन धा |
कौतुक शिरोडकर |
3 |
हेरंबा... |
कौतुक शिरोडकर |
3 |
(मादी) |
sujay |
1 |
.. जगण्यात काय आहे? |
राघव |
7 |
चांदण्यातले जेवण |
नाना बेरके |
3 |
कावीळलेल्या भींती |
ॐकार |
6 |
बाप्पा , असे ही... |
हृषीकेश पतकी |
14 |
..मोक्ष.. |
कानडाऊ योगेशु |
9 |
भेटी |
क्रान्ति |
6 |
मन काहूर... |
प्राजु |
25 |
र्निमाल्यातिल दोन फुले-- |
पुष्कराज |
11 |
प्रेम - चार ओळीत |
पुष्कराज |
11 |
गणपती बाप्पा मोरया ! (भक्तिरस) |
विशाल कुलकर्णी |
5 |
पुन्हा एकदा... |
हृषीकेश पतकी |
11 |
(( ती - सहा ओळीत )) |
दशानन |
8 |
(सारे कसे सुने सुने वाटते) |
दशानन |
20 |
सारे कसे नवे नवे वाटते |
पाषाणभेद |
1 |
गणेश माझा........ |
अनिरुद्धशेटे |
1 |
पसाभरं |
शैलेन्द्र |
13 |
गणेशवंदना |
क्रान्ति |
7 |
(ऐन दुपारी!) |
चतुरंग |
19 |
सहज चाळले.. |
प्राजु |
31 |
कलमी झाड |
फ्रॅक्चर बंड्या |
1 |
माझी गाथा .....! |
विशाल कुलकर्णी |
7 |
माझी पण एक (पाडीव) कविता (काव्यरस - टिंगल) |
युयुत्सु |
5 |
मनातली शाळा |
हृषीकेश पतकी |
15 |
आठवते का सारे सारे? |
पाषाणभेद |
4 |
(सहज चोळले..) |
ज्ञानेश... |
7 |
(नाठाळ मुलांसाठी) बालकविता |
धनंजय |
6 |
(तरीबी तिच्यायला आमी येक इडंबन करनार !!) |
चतुरंग |
26 |
लहान मुलांना पोटशूळ झाल्यास म्हणायचा मंत्र |
धनंजय |
14 |
स्वातंत्र्यदिन (?) चिरायु होवो ......! |
विशाल कुलकर्णी |
9 |
गिफ्ट |
हृषीकेश पतकी |
16 |
कृष्णार्पण |
अरुण मनोहर |
9 |
मी एक सिग्नल पिवळा |
फ्रॅक्चर बंड्या |
7 |
दिवाळीची पहाट |
फ्रॅक्चर बंड्या |
8 |
अर्थ |
अ-मोल |
2 |
भूमिका |
क्रान्ति |
14 |
राधा |
क्रान्ति |
20 |
तेच तेच परत परत |
गोगट्यांचा समीर |
2 |
भारतीय ! |
विशाल कुलकर्णी |
13 |
कोंढाणा |
उदय सप्रे |
24 |
नमन |
गोगट्यांचा समीर |
1 |
स्वप्नांचे पहारेकरी |
फ्रॅक्चर बंड्या |
2 |
परिणिता.. |
प्राजु |
21 |
|| गीत अभिमानाचे स्फुरु दे || |
मनीषा |
12 |
विझलेला विद्वंश |
विजुभाऊ |
8 |
पुन्हा |
क्रान्ति |
18 |
(डांबिस पिवळा) |
पिवळा डांबिस |
30 |
कविता लिहिताना! |
गोगट्यांचा समीर |
8 |
(थांब ना ...) |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
12 |
जन उडाण संपाचे |
कौतुक शिरोडकर |
4 |
थांब ना.. |
प्राजु |
13 |
काहीच्या काही... |
विमुक्त |
3 |
बेधडक जगायचय |
फ्रॅक्चर बंड्या |
4 |
(थांब ना..) |
चेतन |
0 |
प्रिय सौ. लेकीस... |
सुबक ठेंगणी |
35 |