'नांदा सौख्यभरे' (राखी तू मांडले। तुझे स्वयंवर) |
अविनाश ओगले |
5 |
ध्येय! |
राघव |
9 |
तिने केली एक कविता |
दत्ता काळे |
19 |
आधुनिक रामायण .... |
विशाल कुलकर्णी |
2 |
मल्हारसांज |
कौतुक शिरोडकर |
7 |
झोपडपट्टी? |
ऋषिकेश |
18 |
(गलका!) |
केशवसुमार |
5 |
चारित्र्य |
शरदिनी |
21 |
(कट्ट्यानंतरचे कवित्व) |
पिवळा डांबिस |
30 |
(अजून आणखी एक ईडंबन केलं आहे.) |
श्रीकृष्ण सामंत |
25 |
(धोतरत्र्य ) |
विजुभाऊ |
2 |
एक उसासा..... |
JAGOMOHANPYARE |
3 |
या तुम नहीं या हम नहीं |
पंकज |
2 |
खिडकीकडून खिडकीकडे |
रंजन |
1 |
(विडंबन केलं आहे) |
बेसनलाडू |
5 |
ताई |
बेसनलाडू |
8 |
अजुन एक विडंबन |
फ्रॅक्चर बंड्या |
2 |
अजूनही... अजूनही... |
कौतुक शिरोडकर |
1 |
विडंबन हव आहे |
राधा१ |
13 |
त्सुनामी |
विशाल कुलकर्णी |
2 |
(कविता हवी आहे) |
ऋषिकेश |
11 |
श्रावणातला पाऊस |
क्रान्ति |
4 |
( अजून एक विडंबन केलं आहे) |
बामनाचं पोर |
0 |
आज मला असे का भासले? |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
ए आई, सांग ना, कधी येइल बाबा घरा? |
विशाल कुलकर्णी |
9 |
हागणदारीमुक्त गाव |
फ्रॅक्चर बंड्या |
7 |
मी मिपाकर कसा? |
प्रशांत उदय मनोहर |
3 |
समर्पण |
क्रान्ति |
12 |
येडु..... |
विजुभाऊ |
7 |
कधी एके काळी.. |
ज्ञानेश... |
2 |
अनुवाद |
लक्ष्मणसुत |
1 |
रिमझिम येता वळवाची सर--- |
पुष्कराज |
4 |
वाचले जाते विडंबन, मान ते स्थळ आपुले |
केशवसुमार |
22 |
बोलली जाते मराठी, मान ते घर आपुले |
धोंडोपंत |
22 |
ह्याचा देव |
ऋषिकेश |
25 |
(चेप राजसा..) |
चतुरंग |
14 |
उंबरठा.. |
प्राजु |
18 |
(वाटेवर मी तुझ्या लावले--) |
विजुभाऊ |
6 |
मज वाटे .... |
विशाल कुलकर्णी |
2 |
थांब राजसा.. |
प्राजु |
17 |
वाटेवर मी तिच्या ठेवली-- |
पुष्कराज |
14 |
'निवृत्ती' |
विशाल कुलकर्णी |
8 |
पाहिजे एकांत थोडा-- |
पुष्कराज |
6 |
अलिप्त |
क्रान्ति |
12 |
झूम |
अरुण मनोहर |
3 |
मी लिहितो तेव्हा... |
ज्ञानेश... |
22 |
(गंड) |
केशवसुमार |
15 |
(तो लिहितो तेव्हा...) |
चतुरंग |
18 |
(प्रपोजल्) |
चेतन |
4 |
हिरवाई |
विशाल कुलकर्णी |
6 |
आला पाऊस पाऊस..... |
अनिरुध्द |
7 |
((जुळ्या चिंबोर्या)) |
ऋषिकेश |
21 |
खुळ्या भिंगोर्या |
नीधप |
18 |
(काणा) |
पॅपिलॉन |
1 |
सखा |
विशाल कुलकर्णी |
1 |
प्रेमाची शिदोरी,प्रणयाचा मेवा |
श्रीकृष्ण सामंत |
8 |
आकांत |
क्रान्ति |
20 |
कारण |
क्रान्ति |
15 |
प्रिय सौ. आईस..! |
प्राजु |
28 |
(प्रिय सौ. सासुबाईंस..!) |
पाषाणभेद |
8 |
गुरुवंदन |
क्रान्ति |
6 |
परवाचीच गोष्ट ... दोन भूभूंची |
युयुत्सु |
3 |
पाहतो आहे ....! |
विशाल कुलकर्णी |
1 |
कृष्णार्पण |
क्रान्ति |
9 |
यशस्वी ?? |
अनंता |
6 |
माय.... कविता |
विमुक्त |
0 |
आठवणी..... |
उदय सप्रे |
3 |
आभाळ .. |
मनीषा |
10 |
! पांडुरंग ! |
चन्द्रशेखर गोखले |
17 |
-: माझे कौलारू घर :- |
पाषाणभेद |
7 |