सारे जहाँसे
देशद्रोह्यांचे राष्ट्रवादी(?) गीत
सारे जहाँसे अच्छी इशरत जहाँ हमारी
असलियत छुपाके उसकी, हम जीतेंगे ये बारी
आये कहाँसे शातीर*, ले गये जागीर हमारी
तडपते रहे है तबसे, वो याद आयी प्यारी
मजहब नही सिखाता आतंकीसे बैर रखना
ये काफिरोंकी साजिश ,वो कत्ले-आम करना
वो दर्द है के हस्ति, मिटती नही जो उसकी
सदियों रहा है दुश्मन, तख्ता पलट्के आया
*शातीर - धूर्त, कावेबाज