सावली |
मकरन्दबेहेरे |
1 |
पुन्हा एकदा |
अज्ञातकुल |
4 |
ही जिवाला आस आहे |
विजुभाऊ |
37 |
अर्घ्य |
सोनल कर्णिक वायकुळ |
5 |
भरारी |
navinavakhi |
9 |
घेऊ कसा उखाणा ..? |
मनीषा |
4 |
वसा |
क्रान्ति |
27 |
खेळ दैवाचा.... |
हर्षद प्रभुदेसाई |
6 |
इवल्या इवल्या बाळाचे |
विदेश |
3 |
सुंदर चित्र ..!! |
प्रकाश१११ |
8 |
तंत्टामुक्त गाव |
उमेश कुचेकर |
3 |
इति प्रेमपुराण संपले |
विदेश |
23 |
का? |
गोमटेश पाटिल |
28 |
वैषम्य |
अज्ञातकुल |
6 |
ये र बालां |
ब्रिटिश |
36 |
म्हातारा बसलेला असतो ...!! |
प्रकाश१११ |
2 |
प्रेयसी |
विवेकखोत |
9 |
खुणा |
अज्ञातकुल |
4 |
जगण |
मयुरपिंपळे |
10 |
चान्दरात |
शिल्पा१९७३ |
6 |
हि तर सुंदर कविता झाली ! |
अविनाश खेडकर |
4 |
गरीब बिचार्या, दम खा |
धनंजय |
14 |
चेतना |
अज्ञातकुल |
2 |
ती खरी का मी खरा ..? |
प्रकाश१११ |
1 |
मीही हलवाई होणार |
प्रचेतस |
9 |
एक कविता |
दत्ता काळे |
3 |
असा मी तसा मी भाग-३ |
अविनाश खेडकर |
0 |
मन |
navinavakhi |
1 |
मेंढीताई मेंढीताई |
विदेश |
3 |
<< बसकी >> |
सुहास.. |
15 |
जीवन असेच पुढे सरकत असते...!! |
प्रकाश१११ |
3 |
एकदा वाटलं कविता करावी... |
प्यारे१ |
16 |
तरीबी तिच्यायला आमी येक कविता करनार !! |
शाहरुख |
35 |
गुपित |
सोनल कर्णिक वायकुळ |
1 |
आसुया |
अज्ञातकुल |
1 |
अखेर |
अज्ञातकुल |
9 |
सुटका |
सोनल कर्णिक वायकुळ |
6 |
( चापट गालाले लागते ) |
जीएस |
32 |
(भाव(खावू)गीत):फेसबुकमुळे |
पाषाणभेद |
3 |
पुन्हा एकदा... सलाम सबको सलाम !! |
सुहास झेले |
11 |
का असे हे घडले ? |
navinavakhi |
2 |
थोडे मजला कळाया लागले. |
अविनाशकुलकर्णी |
3 |
कोण होती ती.... (७) |
फिझा |
0 |
कोण होती ती.... ( ६) |
फिझा |
0 |
सखा |
navinavakhi |
1 |
शब्द हे अबोल |
स्वर भायदे |
0 |
कोण होती ती.... ( ५) |
फिझा |
2 |
युगलगीत: गार गार वारा अंगाला झोंबला |
पाषाणभेद |
3 |
थापाच मारणारा - |
विदेश |
0 |
एका सागराची कथा |
अश्फाक |
4 |
कोण होती ती.... (४) |
फिझा |
0 |
कला बघा कलाकारांची |
पाषाणभेद |
11 |
मी कागदावर सांडत गेलो |
अविनाश खेडकर |
6 |
कोण होती ती.... (3) |
फिझा |
3 |
मैत्री |
navinavakhi |
5 |
जीव माझा गुंतला आहे |
navinavakhi |
4 |
आठव |
navinavakhi |
4 |
तो क्षण |
navinavakhi |
1 |
बालपणीचा गाव |
navinavakhi |
1 |
चाहूल |
navinavakhi |
1 |
बहरलेला वृक्ष होतो एकदा मी छानसा |
विदेश |
2 |
कोण होती ती.... (२) |
फिझा |
0 |
कोण होती ती.... (१) |
फिझा |
0 |
कसं जगायचं असतं ? |
महाबळ |
3 |
अंगणात ही स्कुटी अशीच राहु दे - |
विदेश |
9 |
(हल्ली मी घेतच नाही ...(؟)... ) |
गणपा |
21 |
माणूस |
विदेश |
1 |
झाडे वाट बघत बसतात ...!! |
प्रकाश१११ |
7 |
हल्ली मी लिहीतच नाही ...(२)... |
फिझा |
3 |
मी माझ्या छंदातच रमतो - |
विदेश |
5 |