पहिला पाउस |
नाद्खुळा |
5 |
रातराणी |
निरन्जन वहालेकर |
6 |
पाठलाग |
निरन्जन वहालेकर |
0 |
रस्त्यात मामा आडवा येतो जेंव्हा... |
Navigator |
2 |
..... पुन्हा पुन्हा ! |
जयवी |
7 |
आठव |
आमोद |
5 |
(....पुन्हा पुन्हा!) |
चतुरंग |
19 |
भग्न किनारे |
जयवी |
10 |
नजर |
प्रभो |
5 |
जातो म्हणतोस..... |
Dhananjay Borgaonkar |
7 |
स्वप्ने |
फ्रॅक्चर बंड्या |
0 |
जाते म्हणतेस................... |
मंगेशपावसकर |
18 |
आज पुन्हा गपचूप घरी येऊन गप्प बसलो ............. |
मंगेशपावसकर |
7 |
कारण ती माझी चांगली मैत्रीण होती......... |
मंगेशपावसकर |
6 |
चला खवैय्ये, खादाडीवर खरडू काही ..! |
विशाल कुलकर्णी |
4 |
स्त्री - पुरुष |
मंगेशपावसकर |
15 |
जाणीव |
तुका म्हणे |
1 |
जन्मा येण्या कारण तू.. |
प्राजु |
27 |
चला जोडीनं तण हे काढू, चला ठिबकसिंचन करू |
पाषाणभेद |
0 |
पंख |
sur_nair |
8 |
माय मराठी |
नाद्खुळा |
4 |
कवितक -१ माणूस अशातला - माणूस तशातला |
चित्रा |
50 |
कर्मण्येवाधिकारस्ते . . . |
दत्ता काळे |
3 |
समर्थांना पत्र |
नाद्खुळा |
0 |
चंदनाचे जीवन |
moghe |
0 |
बघता बघता |
नाद्खुळा |
2 |
श्वास |
नाद्खुळा |
0 |
फुलांच्या थव्यांनी.. |
प्राजु |
18 |
||इंजिनिअरिंगचे श्लोक|| |
चिर्कुट |
3 |
मैत्री |
गुपचुप |
5 |
सोहम |
वर्षा म्हसकर-नायर |
3 |
प्रेमबन |
वर्षा म्हसकर-नायर |
12 |
माझे बाबा........... |
मंगेशपावसकर |
0 |
लावणी - खास होळी निमित्त |
sur_nair |
3 |
आमचा देश |
सचिन थमके |
1 |
बेरंग होळी!! |
निमिष सोनार |
3 |
काव्य जगावे |
क्रान्ति |
5 |
३ चारोळ्या |
sur_nair |
6 |
चल उसात दंगा करू |
पाषाणभेद |
10 |
आता पुन्हा बॉम्बस्फोट होणार... |
कुल |
18 |
विक्रमादित्याचा पोवाडा |
विशाल कुलकर्णी |
0 |
वाट पाहणं! |
राघव |
5 |
धुकट सकाळ |
धनंजय |
34 |
(माझ्या कविता - असा पाऊस पडावा : एक विडंबसुनीत) |
राजेश घासकडवी |
29 |
'म'वाली |
विशाल कुलकर्णी |
0 |
नेत्यांची प्रतिज्ञा ........... |
मंगेशपावसकर |
13 |
पाउस - मुळ कविता |
sur_nair |
10 |
घन घोर मराठी पोर...{Patriotic material}.. |
मंगेशपावसकर |
0 |
गंध आवडला फुलाचा म्हणून |
मी एक वाटसरू |
4 |
"मिड-लाइफ क्रायसिस" अर्थात एका लेखकाचे 'मनोगत' |
केशवसुमार |
27 |
---------प्रश्न -------- |
अनुप्रिया |
10 |
झाकोळ |
स्मृती |
3 |
कसा दिस आला.....{verry sad material} |
मंगेशपावसकर |
2 |
(जगताना) |
राजेश घासकडवी |
8 |
तुझ्या मिठीच्या धुंद सरी.. |
प्राजु |
17 |
काही जुनी टिपणे. |
रामदास |
22 |
प्रेमदिन |
जयवी |
7 |
जगताना... |
जयेश माधव |
3 |
काय करावे कळेना |
पाषाणभेद |
1 |
तुझे माझे गुलाबाचे |
पुष्कराज |
1 |
गुलाबाचा सण होता |
पुष्कराज |
8 |
कडकलक्ष्मी |
क्रान्ति |
6 |
बाबरीचे श्राद्ध |
शरद जयकर |
10 |
शिव-वडा |
पॅपिलॉन |
3 |
हसली रे हसली... |
Navigator |
4 |
देणे |
क्रान्ति |
9 |
(नको आणखी ) |
अमोल केळकर |
6 |
नको आणखी |
जयवी |
11 |
(बोका) |
शाहरुख |
12 |
कविते, हे तर तुझेच देणे..! |
प्राजु |
13 |