साकल्यसूक्त |
मितान |
136 |
का करत नाही कुणी उलट सारे |
खिलजि |
2 |
गणु अन गणूची मनू |
खिलजि |
0 |
माझी चादर कोनी चोरीयली |
सतिश गावडे |
35 |
सूर्योदय |
विशाल कुलकर्णी |
1 |
हकिक़त |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
13 |
तिथे ओठंगून उभी... |
अनन्त्_यात्री |
6 |
बघ ओततो कसा? "शॉट"ने घेत माप... सख्या ऑन द रॉक्स, आज ओत ओल्डमंक ! |
चामुंडराय |
13 |
(सख्या चुन्यासवेच, आज मळ गायछाप!) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
17 |
च्या मायला बॅट घ्यायची होती हातात , अन तेंडुलकर बरोबर खेळायचं होतं |
खिलजि |
0 |
आठवणींचा पाऊस..!! |
विशुमित |
0 |
तेव्हा |
अनन्त्_यात्री |
4 |
..कुणी दार माझे ठोठावले.. |
कानडाऊ योगेशु |
5 |
स्कॉसपूस प्येग बाबा , स्कॉसपूस प्येग ( अर्थातच प्रेरणा ) |
खिलजि |
6 |
तुझ्यासाठी म्या काय नाय केलंय |
खिलजि |
3 |
गर्दभगान |
भृशुंडी |
8 |
आर्जव |
अबोलघेवडा |
1 |
एकदा टारझन अंगात आला |
खिलजि |
57 |
अस्साच जळत राहिलास तर , जाताना पाणी पण महाग होईल |
खिलजि |
9 |
माझ्या ब्लाॅगचा उदयास्त |
अनन्त्_यात्री |
2 |
'बघणं' राहूनच गेलं |
चित्रगुप्त |
15 |
मुका मार अनवरत झेलुनी |
अनन्त्_यात्री |
4 |
बाई पलंगावर बसून होती |
खिलजि |
10 |
लाल करा ओ माझी लाल करा |
खिलजि |
19 |
||हुच्चभ्रूंची कैसी लक्षणे || |
अनन्त्_यात्री |
34 |
रानभेदी..!! |
विशुमित |
6 |
सगळीकडे सारखेच |
चांदणे संदीप |
17 |
निनावी कल्लोळ |
नाखु |
11 |
असाही ऊपदेश |
शाली |
0 |
(साहेब असेच) ठोकत राहा |
खिलजि |
2 |
कविची गाडी |
प्रदीप |
6 |
मी स्वप्न पाहत नाही |
खिलजि |
6 |
जे घडलं प्रेमात माझ्या , ते तुला सांगूनही कधी कळलंच नाही |
खिलजि |
0 |
सालं, आज जीव कासावीस झालाय |
खिलजि |
5 |
तप्त झाली धारा सारी , दहाही दिशा त्या पेटल्या |
खिलजि |
3 |
माझ्या महाराष्ट्राचं गाणं |
अनन्त्_यात्री |
3 |
अनघड शब्दांनो.. |
अनन्त्_यात्री |
4 |
मिणमिणता दिवा. |
Jayant Naik |
4 |
हा असा राम की ज्याच्या हजार सीता |
अनन्त्_यात्री |
0 |
सत्वर |
शिव कन्या |
2 |
हो मी अर्जुन आहे.. |
निओ |
3 |
दिवसातून छप्पन वेळा |
अनन्त्_यात्री |
5 |
रक्त त्या डोळ्यातले सांगा पुसावे मी कसे? |
विशाल कुलकर्णी |
2 |
दोन भिकारी भीक मागती, पुलाखाली करिती वस्ती |
खिलजि |
16 |
तिच्या कपाळावरचा घामाचा थेम्ब , ओघळून हळुवार हनुवटीपर्यंत आला |
खिलजि |
11 |
आत्मताडनाची कविता..... |
शिव कन्या |
1 |
शीर्षक नाही |
मूखदूर्बळ |
0 |
दंतकथा |
अनन्त्_यात्री |
5 |
हळूहळू साऱ्यांनीच प्रेमाचं दुकान मांडून टाकलं |
खिलजि |
4 |
आठवणींचा कप्पा म्हणजे... |
सत्यजित... |
16 |
जोहार परकीयासी फितुरांचा जोहार __/|__ |
माहितगार |
2 |
गणपत वाणी, सतत मागणी |
शिव कन्या |
11 |
संताप |
कुसुमिता१ |
2 |
परत पेटेल मेणबत्ती |
खिलजि |
0 |
ब्यूटी पार्लर अर्थात यौवनफुफाटा |
शरदिनी |
28 |
रातराणीचे सुगंधी फूल आहे ती! |
सत्यजित... |
13 |
देहाचे भाषांतर |
शिव कन्या |
4 |
उकाड्याची रात्र, भिजलेली दुपार |
हणमंतअण्णा शंकर... |
6 |
हे ही खरंय ! |
फिझा |
6 |
...... कशाला ? |
विशाल कुलकर्णी |
10 |
लेक... |
विशाल कुलकर्णी |
9 |
असेहि एकदा व्हावे |
खिलजि |
14 |
हाॅकिंगे जे प्रेडिक्टले |
अनन्त्_यात्री |
8 |
गुंतवणूक |
हणमंतअण्णा शंकर... |
8 |
जातस त जाय |
स्वामी संकेतानंद |
13 |
असा पिझ्झा बेस द्या मज आणुनि सजविन मी जो चीझ टॉपिंगज् ने |
चामुंडराय |
6 |
II तिने पेन मागितलं, मी हात दिला II |
खिलजि |
19 |
ती जशी जशी जुनी होत गेली |
खिलजि |
0 |
सलमान भाईचे तुरुंगातील गाणे |
मूखदूर्बळ |
4 |
कधी हसणे,कधी रुसणे... |
सत्यजित... |
0 |