(हे कोहल्यांच्या विराटा) |
दमामि |
4 |
प्रश्न साधासाच होता... |
प्राची अश्विनी |
16 |
तो,ती आणि अबोल प्रेम |
mr.pandit |
2 |
चल उठ रे बेवड्या झाली सांज झाली... बाहेर दारू गुत्त्यांना हलकेच जाग आली |
चामुंडराय |
7 |
डू-आयडीज् खूप दिसतात इथे, परतुनी येती "नाना"विध रूपे |
चामुंडराय |
1 |
या दिशेला एकदाही यायचे नव्हते मला.. वेगळे सुचलेले-- |
राघव |
9 |
चारोळी |
Swapnaa |
2 |
(खमकेच टगे बसतात इथे) |
दमामि |
20 |
नवखेच सखे फसतात इथे |
विशाल कुलकर्णी |
23 |
या देशात नेमक चाललयं काय? |
परशुराम सोंडगे |
2 |
तू |
चुकार |
6 |
(तरही) या दिशेला एकदाही यायचे नव्हते मला! |
सत्यजित... |
10 |
तुझ्या नाजूक ओठांनी... |
सत्यजित... |
11 |
(जरही) या दिशेला एकदाही यायचे नव्हते मला |
ज्ञानोबाचे पैजार |
9 |
मनाचं प्लॉटिंग |
फुंटी |
2 |
तरही गज़ल : या दिशेला एकदाही यायचे नव्हते मला |
विशाल कुलकर्णी |
18 |
शब्दविता |
फुंटी |
4 |
(भिती तुझ्याउरी पण) |
नाखु |
6 |
उरणार ना उद्या ते, जे सत्य काल होते |
विशाल कुलकर्णी |
28 |
अभिजात(चारोळी) |
पराग देशमुख |
3 |
ऐक सखे |
अमेय६३७७ |
17 |
बलिदान त्याविना हे ... (गझल) |
अमेय६३७७ |
4 |
(खुरपणी) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
15 |
लावणी |
वैभवदातार |
23 |
मनातल्या मनात मी... |
सत्यजित... |
4 |
अंधार काठ |
चांदणशेला |
7 |
प्रदूषण क्षणिका (३) - वारे - पूर्वी आणि आता |
विवेकपटाईत |
1 |
प्रदूषण कविता(2)- जिन्न आणि अल्लादीन |
विवेकपटाईत |
1 |
इतिहासाचं वर्तमान |
अनन्त्_यात्री |
5 |
अ क्लोथलाईन. |
प्राची अश्विनी |
33 |
प्रदूषण- पाऊस (१) - भूत आणि वर्तमान |
विवेकपटाईत |
0 |
प्रवास |
पाषाणभेद |
0 |
एका अनावर कैफात |
अनन्त्_यात्री |
24 |
शब्दभूली |
यशोधरा |
45 |
गडद |
समयांत |
4 |
प्रतिसादांचा महामेरू । सकल फेक-आयडीस आधारू । अखंड जिल्बिचा निर्धारु । श्रीमंत डूआयडी ।। |
चामुंडराय |
27 |
प्रिय वेगवान गोलंदाजास - |
जे.पी.मॉर्गन |
8 |
नृसिंह सरस्वती स्वामी आरती |
वैभवदातार |
12 |
मोह |
ज्योति अळवणी |
2 |
आई |
दत्ता काळे |
18 |
प्रेरणा वगैरे |
चाणक्य |
3 |
( पुन्हा नोटा ) |
गबाळ्या |
0 |
भावगीत |
वैभवदातार |
3 |
अतृप्ती-एक चिरंतना |
अत्रुप्त आत्मा |
29 |
हिरवे सोने |
चांदणशेला |
2 |
वाटा |
पद्मश्री चित्रे |
11 |
( काल रातीला सपान पडलं ) |
गबाळ्या |
4 |
(बघ जरा पोळीत माझ्या काय आहे….) |
गबाळ्या |
5 |
(लेखणीने) |
सूड |
27 |
|| गुरु महिमा || |
गबाळ्या |
25 |
कवि बिल्हणाची 'चौरपंचाशिका' - एक शृंगाररसपूर्ण काव्य. |
अरविंद कोल्हटकर |
22 |
एक कविता |
रामदास |
4 |
(तिखले) |
सूड |
4 |
ते... |
ऊध्दव गावंडे |
15 |
(धुतले...) |
टवाळ कार्टा |
12 |
नवा कवी |
गबाळ्या |
1 |
व्यथा |
वैभवदातार |
9 |
||दत्त स्तुती || |
वैभवदातार |
8 |
चुकले... |
अजब |
7 |
खरं खरं सांगा |
चुकलामाकला |
17 |
शंका/समाधान. |
अविनाशकुलकर्णी |
0 |
चंद्राचा पाढा |
बेसनलाडू |
13 |
कविराज |
गबाळ्या |
2 |
एक माणूस मिशी काढून.............. |
शिव कन्या |
71 |
|| गीताबोध || |
वैभवदातार |
4 |
लोक |
शब्दानुज |
0 |
नजरेतच सारे.. |
समयांत |
0 |
Foolपाखरा |
ज्ञानोबाचे पैजार |
7 |
ती त्सुनामी... |
अनन्त्_यात्री |
2 |
एक कागद |
गबाळ्या |
4 |