अंत आणि आरंभ |
विवेकपटाईत |
1 |
..........पापनिष्ठ ? |
अरूण गंगाधर कोर्डे |
1 |
माझ्या मनातला गणपती |
भटकीभिंगरी |
10 |
(तो मला खूप आवडतो) |
रुपी |
7 |
((तो मला आवडत नाही)) |
माम्लेदारचा पन्खा |
8 |
फक्त एकदा हसून जा... |
निशांत_खाडे |
2 |
बाबाचं मन! |
ज्योति अळवणी |
10 |
<नाव सुचले नाही> |
चाणक्य |
24 |
~~~मैत्री~~~ |
Swapnaa |
2 |
ती मला आवडते |
निओ |
2 |
(चंम्मतग) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
8 |
गंमत |
अनन्त्_यात्री |
4 |
साडेपाच इंच ! |
माम्लेदारचा पन्खा |
4 |
एक दिवस............ |
अनन्त्_यात्री |
6 |
.. .अक्षय अविरत निर्मळ |
विटेकर |
11 |
काचेपलिकडचं वास्तव! |
हृषीकेश पतकी |
11 |
काय आहे आमच्याकडे ? |
चाणक्य |
21 |
'उषःकाल होता होता' : एक शंका |
कुमार१ |
4 |
अनोळखी |
रवि बदलापूरेकर |
2 |
नम्मू तुला भारतावर भरोसा नाय काय? |
शब्दबम्बाळ |
9 |
पाऊस... |
माधुरी विनायक |
3 |
फुंकिले मी प्राण माझे... |
सत्यजित... |
3 |
त्यांना त्यांच्या मुलाला सचिन तेंडुलकरच करायचय |
ज्ञानोबाचे पैजार |
20 |
पावसाळी पिकनिक |
फुंटी |
8 |
भांडे का लपविता ... ??? |
अत्रुप्त आत्मा |
128 |
...नवल! |
सत्यजित... |
5 |
कधी मध्यम,कधी पंचम... |
सत्यजित... |
5 |
"ती सध्या कुठे सापडेल" |
Swapnaa |
2 |
चंद्रकिनार |
चांदणशेला |
4 |
छचोर |
बेसनलाडू |
33 |
स्वप्न |
धोंडोपंत |
28 |
शब्द मौनातले |
संदीप-लेले |
5 |
उध्दु . . तुला माह्यावर भरोसा नाय काय ? |
माम्लेदारचा पन्खा |
31 |
..नको रातराणी नको पारीजात.. |
कानडाऊ योगेशु |
24 |
स्वप्नात एकदा चार सिंव्ह मारले |
सिद्धेश्वर विला... |
3 |
या वेड्याला न कसला लोभ , ना कुणाचा राग |
सिद्धेश्वर विला... |
4 |
पुस्तक |
शिव कन्या |
2 |
मदहोश (शायरी) |
शार्दुल_हातोळकर |
13 |
बहादुर शाह जफर के कुछ आखरी अशार... |
अश्फाक |
23 |
सोकावलेल्या अंधाराला इशारा |
गंगाधर मुटे |
8 |
अबोला गाजला होता..... |
मयुरेश साने |
5 |
आला पावसाळा आला पावसाळा |
पाषाणभेद |
0 |
ये,बैस ना जराशी... |
सत्यजित... |
28 |
ही कविता फॉरवर्ड करा |
vcdatrange |
4 |
तुझा निरोप घेताना |
सिद्धेश्वर विला... |
0 |
परीक्षा |
माम्लेदारचा पन्खा |
3 |
दिंडी |
अनन्त्_यात्री |
3 |
ती पण आता पुसट वाटू लागलीय |
सिद्धेश्वर विला... |
0 |
विंडोसीट |
फुंटी |
2 |
II शहराकडून "बा" चा फून आला II |
सिद्धेश्वर विला... |
0 |
झाली...पहाट झाली! |
सत्यजित... |
0 |
मला आजवर कधीच रडू आलं नाही निपचित पडलेल्या कलेवरांच |
गरजू पाटिल. |
1 |
मराठी माणसा झोपलाच राहा |
अरूण गंगाधर कोर्डे |
1 |
II नऊची ती बस खास होती II |
सिद्धेश्वर विला... |
0 |
चिंब |
अज्ञातकुल |
7 |
दखल |
उपटसुंभ |
5 |
भवताल |
चंद्रकांत |
0 |
माझ्या शब्दांनी एवढे स्वस्त व्हायला नको होते! |
आर्या१२३ |
24 |
अनोळखी...(गझल) |
स्वानंद मारुलकर |
5 |
अबोल प्रीत, उमलतेय.. |
प्राजु |
29 |
शिवस्तुती |
अरूण गंगाधर कोर्डे |
2 |
II मास्तर म्हणतात पोरांना , पिरेम लय वाईट II |
सिद्धेश्वर विला... |
12 |
II हात सोड कटेवरचे , उचल बडव्यांशी लढावया II |
सिद्धेश्वर विला... |
21 |
एक अधिक एक... |
अत्रुप्त आत्मा |
8 |
II तो स्पर्शच नवा होता II |
सिद्धेश्वर विला... |
0 |
आठवणींचा पाऊस |
निमिष सोनार |
0 |
नियतीचा खेळ (एकच चारोळी दोन पद्धतीने) |
निमिष सोनार |
0 |
बाप हा ताप नसतो, पोरा |
सिद्धेश्वर विला... |
11 |
विठोबा |
पिशी अबोली |
13 |
माझ्या गावाचा पाऊस.. |
अत्रुप्त आत्मा |
28 |