उठ मावळ्या ... |
गबाळ्या |
4 |
अहेवपण ... |
विशाल कुलकर्णी |
15 |
फुलपाखरा |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
3 |
चंद्रमण्यांचे पाझर |
अनन्त्_यात्री |
9 |
बघ जरा झोळीत माझ्या काय आहे…. |
अनन्त्_यात्री |
5 |
जपमाळ |
शैलेन्द्र |
32 |
आता फक्त घासफूस ... |
गबाळ्या |
0 |
एक सल नेहमीच - भावानुवाद |
चांदणे संदीप |
5 |
प्रतिभेचे देणे |
अनन्त्_यात्री |
11 |
||संत ज्ञानेश्वर || |
वैभवदातार |
1 |
!! बालदीन !! |
नाखु |
5 |
#एकादशी # |
सतिश गावडे |
10 |
असतेस घरी तू जेव्हा...(विडंबन काव्य) |
OBAMA80 |
3 |
*बालदिन * |
वैभवदातार |
6 |
सांज |
चांदणशेला |
0 |
॥ कार्तिक कृष्ण पंचमी॥ |
सूड |
26 |
काही सांगायचे आहे |
संदीप-लेले |
1 |
नवी मैत्री |
तृप्ति २३ |
8 |
काळाची उबळ |
माहितगार |
1 |
नोटबंदी |
वैभवदातार |
8 |
|| गणेश पूजा || |
वैभवदातार |
12 |
एक्सपायरी डेट. |
प्राची अश्विनी |
26 |
नेणिवेला जाणिवेने छेदता... |
अनन्त्_यात्री |
6 |
सरी |
चांदणशेला |
0 |
|| अंगारकी || |
ज्ञानोबाचे पैजार |
11 |
मागे राहिली आवली ...... |
चुकलामाकला |
44 |
फुतूर (खूळ) |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
18 |
काय लिहावे तुझ्याचसाठी... |
शब्दबम्बाळ |
16 |
काही कविता अशा..तर काही तशा! - भाग २ |
पद्मावति |
13 |
||तुलसी विवाह || |
वैभवदातार |
13 |
|| विठ्ठल अभंग || |
वैभवदातार |
4 |
काही कविता अशा..तर काही तशा! - भाग १ |
पद्मावति |
22 |
जरी अज्ञात देशाचा |
अनन्त्_यात्री |
9 |
सख्या, कसे? कुठून रोज, आणतोस चांदणे? |
सत्यजित... |
29 |
तू! |
OBAMA80 |
0 |
उजाडताना उल्कांचे व्रण |
अनन्त्_यात्री |
2 |
तू माझा? |
ज्योति अळवणी |
6 |
आंबराई |
चांदणशेला |
0 |
आज पांडव पंचमीच्या निमित्ताने केलेली कविता ... |
वैभवदातार |
5 |
शिवार |
चांदणशेला |
1 |
वाटते आज |
shrivallabh Panchpor |
5 |
नवीन आहे |
आगाऊ म्हादया...... |
5 |
हे सव्यसाची, |
अनन्त्_यात्री |
2 |
दिवाळी कविता |
वैभवदातार |
0 |
मेरे हर दर्द को मेहसूस किया है मैंने.. .. |
Swapnaa |
1 |
एक पावसातली भेट ... ! |
एकप्रवासी |
5 |
वसुबारसेनिमित्त मी केलेली कविता... |
वैभवदातार |
10 |
नशिब |
mr.pandit |
0 |
वासफुलं |
Swapnaa |
4 |
आज गुरुद्वादशी निमित्त मी केलेली कविता ... |
वैभवदातार |
2 |
राजा भोज याने कालिदासाला दिलेली समस्या |
चतुरंग |
21 |
मद्यचषक१ |
चामुंडराय |
0 |
प्रशांत दामले यांच्यावर केलेली कविता .. |
वैभवदातार |
7 |
धरणीचे मनोगत |
वैभवदातार |
1 |
नवी मैत्री |
तृप्ति २३ |
0 |
सख्या कशी कुठून रोज काढतोस भांडणे |
आनन्दा |
1 |
मधुघट१ |
चांदणे संदीप |
3 |
सध्या रोज संध्याकाळी येणार्या पावसावर मी केलेली कविता... |
वैभवदातार |
5 |
मी माझे तारांगण सादर करतो |
drsunilahirrao |
3 |
पावसामुळे काय काय |
पाषाणभेद |
1 |
(कद्रूंना झोडा) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
6 |
भासं~फुलं! |
अत्रुप्त आत्मा |
10 |
ह्रदयातुनी |
शार्दुल_हातोळकर |
11 |
बघ तुला जमतं का ... |
चामुंडराय |
2 |
मुंबईकर . . . . . |
माम्लेदारचा पन्खा |
0 |
हे बहुरुपी |
अनन्त्_यात्री |
2 |
पुष्कळ दूध शिल्लक आहे किंवा दिमाग का दही |
दमामि |
32 |
गहन हे मर्म दु:खाचे |
अनन्त्_यात्री |
2 |
आयुष्य आणि झरा ... |
एकप्रवासी |
0 |
गावाकडच्या मावळतीचे रंग बिलोरी |
अनन्त्_यात्री |
33 |