हुच्चभ्रूंचे कैसे बोलणे | हुच्चभ्रूंचे कैसे चालणे
समानांशीच सलगी करणे | कैसे असे ।।
दुर्बोध वाङमयाचे आधारू | क्लिष्ट व्होकॅबचे भांडारू।
चोखंदळांचे महामेरू | चिवित्रान्न भोगी ||
उठपटांग ज्ञानराशी | उदंड असती जयांपाशी |
गुगलपरिपुष्ट आयक्यूशी । तुळणा कैची ।।
यांसी गमे जे रोचक | त्यावरी कमेंटती टंग-इन-चीक
शष्प न कळोनि निचभ्रू लोक | वाचनमात्र राहती ||
हुच्चभ्रू तितुके मिळवावे । नीचभ्रू अवघे इग्नोरावे ।
समतोलत्वाचे देखावे | परी करावे चातुर्ये ।।
अता नीचभ्रूपणाचा त्याग । करोनि साधावा सुयोग।।
विदग्धतेची लगबग । येरू म्हणतो करावी ||
प्रतिक्रिया
1 Dec 2017 - 12:18 pm | ज्ञानोबाचे पैजार
लैच हुच्च झालय स्त्रोत्र
पैजारबुवा,
1 Dec 2017 - 12:47 pm | पद्मावति
:) मस्तंच.
1 Dec 2017 - 12:48 pm | अभिजीत अवलिया
वा!!!
1 Dec 2017 - 1:37 pm | सूड
वा वा!!
1 Dec 2017 - 1:43 pm | अत्रुप्त आत्मा
ह्या ह्या ह्या ह्या... जब्बार हानलय!
1 Dec 2017 - 2:00 pm | रुस्तम
_/\_
1 Dec 2017 - 2:24 pm | टवाळ कार्टा
लैच =))
1 Dec 2017 - 2:25 pm | नाखु
भन्नाट
नीचभ्रू नाखु
1 Dec 2017 - 2:41 pm | चौथा कोनाडा
यांसी गमे जे रोचक | त्यावरी कमेंटती टंग-इन-चीक
शष्प न कळोनि निचभ्रू लोक | वाचनमात्र राहती ||
हा.... हा .... अग्दी पर्फे़ट !
टाळ्या, टाळ्या, टाळ्या !
चाबूक ..... तोडलंस .. मित्रा !
1 Dec 2017 - 4:54 pm | प्राची अश्विनी
हुच्चभ्रूंची "ऐसी" लक्षणे
मस्त!
1 Dec 2017 - 7:20 pm | पुंबा
कोणी नवा प्रसवी कथा-कविता, हुच्चभ्रूंना दिसे दवणीयता
नुसते म्हणा सार्त्र-काफ्का, कंपूप्रवेश सत्वर
:प
कविता जब्राच!!
1 Dec 2017 - 11:20 pm | गबाळ्या
मला खूप आवडले. "कमेंटती", "इग्नोरावे" हे शब्दप्रयोग मस्त आहेत. आणि लक्षणे तर चपखलच आहेत :)
2 Dec 2017 - 5:20 pm | मित्रहो
स्तोत्र मस्त आहे.
2 Dec 2017 - 7:33 pm | कंजूस
हुच्चभ्रूंचे बैठकीत
जाऊन बैसे जो
विनाकारण
तोची एक मूर्ख।
2 Dec 2017 - 8:01 pm | पैसा
=))
3 Dec 2017 - 12:28 am | एस
आमचेकडून कवितेला 'रोचक' अशी श्रेणी देणेत येत आहें.
- यत्रकुत्रापि भ्रूः असि
एस. ;-)
3 Dec 2017 - 12:19 am | सचिन
जबरदस्त !!
3 Dec 2017 - 1:17 am | चामुंडराय
भीषण सुंदोर
व्वा, काय ती काव्य प्रतिभा. लय भारी :)
अनंताचे कैसे विडम्बने | अनंताचे कैसे लिहिणे |
स्तोत्राची जिल्बी पाडणे | हुच्च् असे ।।
या निमित्ताने आमचीपण झैरात
प्रतिसादांचा महामेरू । सकल फेक-आयडीस आधारू ।
अखंड जिल्बीचा निर्धारु । श्रीमंत डूआयडी ।।
http://www.misalpav.com/node/40845
4 Dec 2017 - 9:56 am | अनन्त्_यात्री
सर्वांना मनःपूर्वक धन्यवाद!
6 Dec 2017 - 2:33 am | रुपी
भारीच =)
13 Dec 2017 - 11:53 am | अनन्त्_यात्री
धन्यवाद.
13 Dec 2017 - 12:14 pm | मूकवाचक
मस्तच!
13 Dec 2017 - 12:41 pm | सुबोध खरे
लै म्हणजे लैच झकास
14 Dec 2017 - 11:17 am | अनन्त्_यात्री
प्रतिसादाबद्दल धन्यवाद !
14 Dec 2017 - 11:52 am | arunjoshi123
हुच्चभ्रूंचे अंतर्बाह्य दर्शन घडवलेत हो.
साले आमि फुकटच न्यूनगंड बाळगून जगायचो.
14 Dec 2017 - 1:43 pm | डॉ सुहास म्हात्रे
लै भारी !!! =)) =)) =))
15 Dec 2017 - 9:29 am | अनन्त्_यात्री
आपल्या प्रतिसादाबद्दल आभार.
24 Dec 2017 - 11:39 am | मदनबाण
जबराट...
मदनबाण.....
आजची स्वाक्षरी :- मुझे कितना प्यार है तुम से, अपने ही दिल से पूछो तुम जिसे दिल दिया है वो तुम हो, मेरी जिंदगी तुम्हारी है :- Dil Tera Deewana [ Mohammed Rafi, Lata Mangeshkar ]
26 Dec 2017 - 1:34 pm | अनन्त्_यात्री
आभार.
26 Dec 2017 - 1:59 pm | राघव
=)) =))
मस्त लिहिलेत बुवा!
पाणी पितांना न वाचावे ऐसे काही!! ;-)
26 Apr 2018 - 2:42 pm | अनन्त्_यात्री
धन्यवाद!
26 Apr 2018 - 4:19 pm | श्वेता२४
दुर्बोध वाङमयाचे आधारू | क्लिष्ट व्होकॅबचे भांडारू।
खासच . एक नं. मजा आलीचोखंदळांचे महामेरू | चिवित्रान्न भोगी ||गुगलपरिपुष्ट आयक्यूशी । तुळणा कैची ।।
3 May 2018 - 4:23 pm | निओ
हा.. हा.. लय भारी!
3 May 2018 - 8:21 pm | अनन्त्_यात्री
धन्यवाद.