मन |
Pratham |
3 |
विजयादशमी शुभेच्छा |
VRINDA MOGHE |
5 |
शोध |
यशोधरा |
33 |
भूमिपुत्र ...बळीराजा |
Vivekraje |
3 |
आभाळ |
सरीवर सरी |
3 |
(आणखी काय हवं?) - अच्रत बव्लत |
टवाळ कार्टा |
14 |
पुढच्यासाठी |
अमेय६३७७ |
37 |
आणखी काय हवं? |
Pratham |
2 |
पाऊस... |
श्रिया सामंत |
1 |
करोनात्रस्त त्रागा |
आनन्दा |
8 |
विश्वास |
VRINDA MOGHE |
2 |
शब्द |
राजा सोवनि |
1 |
(...मारीला म्यां डोळा ;) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
8 |
...पाहिले म्यां डोळा |
अनन्त्_यात्री |
4 |
हळव्यांची गळवे |
उपयोजक |
4 |
स्थलांतर.. |
Vivekraje |
6 |
आठवण |
Prajakta Sarwade |
2 |
माझे गाणे - 'ये ना तू सख्या' ... |
गणेशा |
18 |
अस्फुट |
अनन्त्_यात्री |
7 |
भान |
मका म्हणे |
1 |
राधा |
सरीवर सरी |
1 |
सोबतीण |
Prajakta Sarwade |
12 |
जाप करा हो ! |
डॅनी ओशन |
2 |
कोणे एके काळी ... |
प्राची अश्विनी |
9 |
नको वाटतो ना? असा पावसाळा! |
सत्यजित... |
6 |
(सहजच..) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
3 |
झड |
चलत मुसाफिर |
4 |
तहान |
अन्या बुद्धे |
4 |
वर्षादूत |
मका म्हणे |
2 |
सहजच |
रातराणी |
33 |
प्रेम म्हणजे प्रेम असत! |
मालविका |
1 |
मन राधा राधा होते... |
प्राची अश्विनी |
37 |
सहजच... |
प्राची अश्विनी |
15 |
शोध |
Prajakta Sarwade |
3 |
चारीमुंड्या चित |
संजय क्षीरसागर |
18 |
प्रेम दिसावे |
Bhakti |
7 |
आजकाल |
अनन्त्_यात्री |
6 |
जग जेव्हा ग्रँटेड घ्यायला लागते... |
पंचमहाभूते आणि थोडं |
1 |
गणपतीची लोकगीतं |
महासंग्राम |
1 |
वार्ता सुखाची घेऊन.... |
Vivekraje |
1 |
मध्यमवर्ग |
पंचमहाभूते आणि थोडं |
3 |
पान खाता खाता आठवतं काहीबाही.. |
प्राची अश्विनी |
14 |
अपलोड-वेणा |
अनन्त्_यात्री |
2 |
अनुष्टुप/अनुष्टुभ सराव - हलकीफुलकी काव्यपूर्ती |
धष्टपुष्ट |
19 |
काळ थांबला कधीचा... |
राघव |
14 |
नंस न ओढताही आठवत काहीबाही |
माहितगार |
2 |
अनुष्टुप छंद - सोपा करून सांगायचा प्रयत्न |
धष्टपुष्ट |
22 |
गन्धाल्पबलरागीयम् | Gandalf and the Balrog. |
बॅटमॅन |
32 |
झोका |
मी-दिपाली |
14 |
तो चावला मघाशी ह्यांना अशा ठिकाणी |
बेसनलाडू |
18 |
नजर.. |
मन्या ऽ |
8 |
(मन भूत भूत ओरडते..) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
8 |
<<म्हण दादा दादा खोटे>> |
कानडाऊ योगेशु |
6 |
घाव.....गजलेमधून |
तिरकीट |
6 |
आषाढाच्या एक दिनी |
नूतन |
5 |
शेतकरी आमचा बाप कधी राहिल टिपटाप ? |
अनिल चव्हाण राम... |
74 |
पाखरांचे बोल |
चांदणशेला |
3 |
दडपे पोहे..... |
माम्लेदारचा पन्खा |
6 |
युग प्रवाहीणी |
Pradip kale |
10 |
तुझी वाट |
चांदणशेला |
3 |
सोहळा |
मी-दिपाली |
8 |
येत नाही... |
अजब |
7 |
अन् मग |
अनन्त्_यात्री |
7 |
जीवघेणा फास |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
28 |
अस्त |
सुमित_सौन्देकर |
3 |
त्या पोराने |
मनोज |
9 |
क्षमा प्रार्थना |
ज्ञानोबाचे पैजार |
19 |
कोरोना अमिताभ बच्चनलाही का छळत असतो ? |
माहितगार |
1 |
विठूचा रंग काळा, आगळा |
शेखरमोघे |
2 |
वारी नाही ... |
मनोज |
1 |