< < मजबुरी है > >
हमारे दोस्तने हिंदीमे एक कविता क्या लिखी सब लोग उसका लैच कौतुक करने लगे. मेरी तो बहोत म्हणजे बहोत जलने लगी. एकदम चुलके वल्ले लकडीकी माफिक मै धुमसने लगा. बहोत धुवा निकालनेके बाद मैने सोच्या अगर वो लिख सकता है तो मै क्यो नही? फिर क्या..... निकाली अपनी पाचवी की पुस्तक और लिख डालीच ये कविता.
क्या करु मजबुरी है ना…..
ठहेरे हुए पानी मे
तैरते डुबते भैस की तरह
होता है तेरा शॉपिंग
कहेने को तो भैस पानी को
कभी पिती तो नही
बस पानी मी डुबती हुई
तैरती रहेती है