मन.... |
लीलाधर |
17 |
आम्हाला इंग्लिश येतंय |
वेल्लाभट |
42 |
पाटी |
मीनादि |
0 |
एक होते झुरळ |
खालीमुंडी पाताळधुंडी |
10 |
पास ऑन |
ब्रिटिश |
40 |
मराठी भाषा दिनानिमित्त |
शान्तिप्रिय |
2 |
सासुरवाशीण |
मीनादि |
3 |
ये ग गाई गोठ्यामध्ये |
खालीमुंडी पाताळधुंडी |
43 |
बिलिंदर राणी |
विवेकपटाईत |
11 |
हल्ली मेघ धुंदीत येऊ लागले कि.. |
निशांत_खाडे |
11 |
एका शीघ्र कवीची शीघ्र कविता ! |
प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे |
36 |
माझी कविता |
प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे |
21 |
जिलब्या टाकतांना... ;-) |
अत्रुप्त आत्मा |
24 |
आठवणी |
मीनादि |
4 |
जर्जरी वार्धक्य माझे |
तिमा |
21 |
रात्रीस भेळ चाले |
मूखदूर्बळ |
10 |
शहरातुन गावाकडे...........! |
एकप्रवासी |
4 |
पांढरा दिवस |
सुरवंट |
5 |
तुम्हाला कोणत्या (प्रमाणेतर) मराठी बोलीभाषा येतात अथवा परिचय आहे? सोबत बोलीभाषांमधील शब्दार्थ चर्चा |
माहितगार |
29 |
तू आणि मी |
प्रसाद_कुलकर्णी |
19 |
(जालाचे भामटं) |
स्वामी संकेतानंद |
12 |
शेपटा |
ANIRUDDHA JOSHI |
6 |
(बाटा रुते कुणाला) |
स्वामी संकेतानंद |
38 |
(अशी कबुतरे येती) |
स्वामी संकेतानंद |
7 |
काटा हालेना, काटा चालेना |
बाजीप्रभू |
14 |
एका कातरवेळी ………. |
एकप्रवासी |
13 |
मोहब्बत.. |
विनायक पन्त |
15 |
(महवांची गाळ फुले) |
स्वामी संकेतानंद |
6 |
मेहबूब मेरे... |
विनायक पन्त |
18 |
भिंतीपल्याड जग असतं... |
वेल्लाभट |
9 |
कातरवेळ...... |
एक एकटा एकटाच |
4 |
तृप्ती |
स्वामी संकेतानंद |
7 |
खेकडा |
सुरवंट |
1 |
आपल्याकडे बुवा असलेच काही तरी असते.. |
पिके से पिके तक.. |
3 |
चाफा |
शिव कन्या |
18 |
सांज वेडी रंगताना |
माहीराज |
14 |
(एक विडंबन_व्हॅलेंटाईन डे) |
तर्राट जोकर |
12 |
रात्र |
आनंदमयी |
14 |
शब्दकोश |
सुचिकांत |
1 |
अपूर्ण कविता ..... |
मयुरMK |
1 |
मिपात जरा ऊदासच वाटलं... |
अभिदेश |
10 |
अस्तित्वाची बोंब |
संदीप डांगे |
11 |
एका कातरवेळी ………. |
एकप्रवासी |
0 |
एका कातरवेळी ………. |
एकप्रवासी |
0 |
एका कातरवेळी ………. |
एकप्रवासी |
0 |
गुजरान |
हरिदास |
4 |
धर्मासाठी........... |
एकप्रवासी |
9 |
सावली |
राघव |
14 |
पुण्यात जरा ऊदासच वाटलं |
जव्हेरगंज |
33 |
नको वाटते.. |
प्राची अश्विनी |
33 |
माझी पोर |
|
0 |
तहान |
|
12 |
अहो मानवी बाईजी, अहो मानवी रावजी |
माहितगार |
5 |
स्त्री - काल आणि आज |
विवेकपटाईत |
13 |
पत्रं |
मनीषा |
22 |
चारोळी: गैरसमजांशी वैर! |
निमिष सोनार |
1 |
विरजनातली साय |
पालीचा खंडोबा १ |
2 |
आवाज वाढव राहुल.... |
डॉ. एस. पी. दोरुगडे |
3 |
काम दाखव फेकू... |
तर्राट जोकर |
15 |
फ़ॆंटसी |
एक एकटा एकटाच |
3 |
हायकु (कायकु)-२ |
नाखु |
10 |
इडंबन की जय हो...! |
अत्रुप्त आत्मा |
48 |
बायको म्हणजे बायको म्हणजे बायकोचं असतें |
पगला गजोधर |
15 |
राहील कुठे आता ही चिमणी? |
खेडूत |
12 |
"बुवा....." |
टवाळ कार्टा |
20 |
प्रतीक्षा |
मयुरMK |
2 |
देवा... |
कविता१९७८ |
1 |
काळरात्र....!!!!! |
एक एकटा एकटाच |
25 |
हुंकार वेदनेचे |
पालीचा खंडोबा १ |
1 |
आपण किती हसतो! |
सुमेध रानडे |
2 |