कवी हूँ मैं |
स्वामी संकेतानंद |
12 |
पाहुण तुमी कोण गावचं? |
विवेकपटाईत |
3 |
(मी बी संत्री खाईन म्हन्तो) : सावजी रस्सा |
स्वामी संकेतानंद |
38 |
तृप्ती |
ज्योति अळवणी |
6 |
दोन मूठ राख |
गंगाधर मुटे |
19 |
मी बी बियर बार काढीन म्हणतो : सामान्य मानव |
मुक्त विहारि |
64 |
बऱ्याचदा वाटतं.... |
वटवट |
2 |
गुर्जीSSS……कोणता तांब्या घेऊ हातीSSSSSSSSS |
टवाळ कार्टा |
109 |
लोकशाहीचा अभंग |
गंगाधर मुटे |
65 |
टिकले तुफान काही |
गंगाधर मुटे |
12 |
गर्भपातल्या रानी .....! |
गंगाधर मुटे |
16 |
जन का म्हणतिल, 'हाय हाय !'???? |
अविनाशकुलकर्णी |
12 |
॥सांगा तुकारामा : अभंग-२॥ |
गंगाधर मुटे |
19 |
॥सांगा तुकारामा : अभंग-४॥ |
गंगाधर मुटे |
2 |
॥सांगा तुकारामा : अभंग-३॥ |
गंगाधर मुटे |
1 |
काही क्षणिका - स्त्री |
विवेकपटाईत |
11 |
॥सांगा तुकारामा : अभंग-१॥ |
गंगाधर मुटे |
6 |
युरोप टूर |
सुमेधा पिट्कर |
22 |
उप-वास स्पेशलः-साबुदाणा खिचडी.... |
अत्रुप्त आत्मा |
63 |
उंबरा |
हर्षल_चव्हाण |
38 |
कान्ट फाईन्ड |
एच्टूओ |
2 |
आईचं छप्पर. |
गंगाधर मुटे |
6 |
कर…!!! |
वटवट |
6 |
सरी.. |
कविता१९७८ |
5 |
खट्याळ रसातली आध्यात्मिक गझल |
गंगाधर मुटे |
3 |
अश्याच एका पावसाळ्या रात्री ......... |
एक एकटा एकटाच |
12 |
तुझी वाट बघता बघता........ |
एक एकटा एकटाच |
9 |
झोका... |
दिनेश५७ |
2 |
आठवतेय का? |
रातराणी |
38 |
लटकलेली समीकरणं |
चाणक्य |
8 |
त्याची आठवण, |
ज्ञानोबाचे पैजार |
11 |
हायकू (?) |
दिनेश५७ |
3 |
माझ्या मना.... |
दिनेश५७ |
3 |
ती आणि मी.... |
एक एकटा एकटाच |
3 |
लढा |
शार्दुल_हातोळकर |
5 |
पाऊसगाणे... |
दिनेश५७ |
13 |
आईच्या कविता-१ |
दिनेश५७ |
9 |
आरास... |
दिनेश५७ |
3 |
तेरा नाम ( हिंदी ऊर्दू कविता व भावानुवाद) |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
3 |
सुरज (हिंदी-उर्दू रचना आणि तिचा अनुवाद) |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
13 |
हायकू – एक काव्य प्रकार |
उल्का |
36 |
तुझे नाव |
माहितगार |
0 |
एक उर्दू गझल - जो ठिकाना हैं हमारा |
पथिक |
5 |
वात्रटिका - पे कमिशन |
विवेकपटाईत |
4 |
माऊली उत्सव |
कवि मनाचा |
2 |
सार्थक जन्म-समर्पण अर्थात नर्मदाख्यान लोककथा. |
खुशि |
34 |
वणवा |
अविनाशकुलकर्णी |
2 |
जग हे मधुशाला |
अविनाशकुलकर्णी |
5 |
पाऊस... |
दिनेश५७ |
1 |
.....माझा शेतकरी राजा..... |
Bhagyashri sati... |
3 |
वाट! |
जव्हेरगंज |
7 |
मनातले माझ्या |
Bhagyashri sati... |
5 |
स्वप्नातली शामली |
दिनु गवळी |
27 |
तुझ्या नकळत |
अविनाशकुलकर्णी |
7 |
बंद पडलं.. |
अत्रुप्त आत्मा |
41 |
आपली तर काय..... |
वपाडाव |
73 |
( एका पावसात सगळ्यानी अडकायचं ) |
अमोल केळकर |
3 |
समाधान ! |
खेडूत |
9 |
तुला देव कसं म्हणायचं? |
वेल्लाभट |
6 |
मनातले माइ्या |
Bhagyashri sati... |
7 |
मला ना तुझ्या प्रेमाचं गणितच कळत नाही, |
जगप्रवासी |
23 |
तो नुसता ह्ंसायचा |
तिमा |
19 |
गारवा |
अविनाशकुलकर्णी |
12 |
.मला मात्र पत्नी गोरी हवी.. |
कानडाऊ योगेशु |
8 |
कविता |
आ युष्कामी |
0 |
राहून गेलेलं |
पिशी अबोली |
34 |
वाट पहात आहे..... |
शिव कन्या |
2 |
आळस |
जव्हेरगंज |
2 |
..आयुष्याला मी सौख्याचा बाजार म्हणालो.. |
कानडाऊ योगेशु |
17 |
उन्हाळ्यातले थेंब (हायकू) |
धनंजय |
32 |