साक्षीदार ....... ! |
फिझा |
4 |
आदाब अर्ज है !( २६-०७-११) हार जाने का हौसला है मुझे......... |
अश्फाक |
95 |
मनाचा एकांत - चिमण्या |
शिव कन्या |
18 |
शब्द |
अश्विनी वैद्य |
2 |
काजळरेषा |
राजेंद्र देवी |
4 |
खरा खुरा रंगमंच ..... ! |
फिझा |
3 |
शांतता |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
32 |
ठिकरी |
राजेंद्र देवी |
0 |
मी एक ढग - एकटाच ...... !!! |
फिझा |
1 |
अनाठाई |
सुमित_सौन्देकर |
1 |
व्यथा |
राजेंद्र देवी |
2 |
नवमी |
सूड |
63 |
पण नाही होत ना असं! |
रातराणी |
35 |
माझेच (म्हणणे) खरे |
नाखु |
18 |
साम दाम दंड भेद |
राजेंद्र देवी |
3 |
राया... |
राजेंद्र देवी |
3 |
तू |
ज्योति अळवणी |
5 |
[[पण होत नाही ना!]] |
जव्हेरगंज |
6 |
येते आठवण अधून -मधून .... |
अविनाश लोंढे. |
8 |
हेमलकसा |
राजेंद्र देवी |
3 |
फक्त तू खचु नकोस... |
कुणाल धस |
7 |
श्वास... |
राजेंद्र देवी |
4 |
फिमेल बाइटस! |
स्पंदना |
20 |
रात्रवेड |
पथिक |
8 |
श्रावणभुल |
राजेंद्र देवी |
6 |
एक क: पदार्थ |
शंतनु _०३१ |
2 |
हर हर महादेव ! |
माम्लेदारचा पन्खा |
3 |
... असंही होतं ना कधी कधी.... |
शिव कन्या |
26 |
उरीचा घाव |
संदीप डांगे |
13 |
पुणेकरांचा मिपा च्या वर्धापन निमित्त शुभेच्छांचा वर्षाव |
वाल्मिक |
3 |
एकक ! |
निनाव |
6 |
दृष्टीकोन |
ज्योति अळवणी |
1 |
भिकारी... |
दिनेश५७ |
4 |
एक अशीही राधा !! |
फिझा |
15 |
आस |
विशाल कुलकर्णी |
17 |
गॅटर |
जव्हेरगंज |
16 |
मृगजळ दिसण्याआधी .... |
अविनाश लोंढे. |
2 |
मी अश्व!! |
चांदणे संदीप |
9 |
कविता ......! |
फिझा |
2 |
रंडीबाज कवी |
जव्हेरगंज |
10 |
आखाजीना सन |
पाषाणभेद |
2 |
पाऊस |
निलम बुचडे |
1 |
सुख म्हणजे काय असते? |
निनाव |
2 |
दिशा |
राजेंद्र देवी |
1 |
मनाचा एकांत - cursor च्या सुईने |
शिव कन्या |
12 |
एक रात्र मिठीतली. |
आनन्दा |
6 |
गौराई... |
राजेंद्र देवी |
3 |
गझल - अनुवाद करण्यास मदती हवी. |
निनाव |
6 |
मिठीतली रात्र |
निनाव |
4 |
मन |
पथिक |
20 |
तू फूल कुणाचे देखणे? |
शिव कन्या |
18 |
व्यक्त न मी कुणास, तुज उमजेन का तरी |
निनाव |
10 |
मणाचा एकान्त |
सुरवंट |
4 |
ईच्छा |
पथिक |
11 |
नाही पुरेसे.... |
राजेंद्र देवी |
4 |
दारी श्रावण दारी साजण.... |
राजेंद्र देवी |
1 |
मी ..... |
ज्योति अळवणी |
2 |
एकेकाचे जगणे |
पथिक |
7 |
आठवणींचा वसंत |
राजेंद्र देवी |
2 |
मी एकटी .... |
राजेंद्र देवी |
6 |
झाडावर पाखरू बसलं : लावणी |
गंगाधर मुटे |
14 |
कामगार.... |
राजेंद्र देवी |
2 |
रहाटगाडगं. |
अत्रुप्त आत्मा |
9 |
मनात असावा सतत श्रावण.... |
राजेंद्र देवी |
0 |
यार देवदार |
पथिक |
7 |
जाणिवांच्या जखमा |
महेश रा. कोळी |
6 |
रात्रीस खेळ चाले.... |
राजेंद्र देवी |
12 |
आता मला वाटते भिती |
राजेंद्र देवी |
3 |
गुडगांव |
स्वामी संकेतानंद |
20 |
प्रेमकविता...विडंबन. |
चिनार |
17 |