'शक्तिमान'ला ही माझी काव्यांजली समर्पित!
वेग अफाट
शक्ती अचाट
अंगी डौल
मोल अमोल
निष्ठा घोर
इतिहास थोर
करारी बाणा
सखा महाराणा
बनता दळ
सैन्या बळ
आजीचे कथन
पऱ्यांचे वाहन
नीज गहाण
वया परिमाण
लौकिकी मती
प्राणी जगती
अडीच पावली
चौसष्ठ आलयी
पौरुष नामांकन
दिव्य आभूषण
मिळता सात
तिमिरा मात
ऋणी विश्व
मी अश्व!!
- संदीप चांदणे
प्रतिक्रिया
21 Apr 2016 - 9:47 am | सुनील
अशोककुमारच्या "रेल गाडी" ची चाल छान बसतेय!
21 Apr 2016 - 10:48 am | तर्राट जोकर
सुंदर काव्य. आवडले!
21 Apr 2016 - 10:55 am | अभ्या..
छान प्रयोग. आवडला.
21 Apr 2016 - 12:32 pm | जव्हेरगंज
<>
21 Apr 2016 - 12:38 pm | उल्का
काव्यान्जली असली की भावाना महत्वाची ठरते. ती पोहोचली.
शेवट खास आवडला. :)
21 Apr 2016 - 1:26 pm | प्रसाद गोडबोले
काहीही हां चांसं =))))
21 Apr 2016 - 2:00 pm | टवाळ कार्टा
कच्चा माल :)
16 Sep 2016 - 11:11 pm | निनाव
सन्दीप जी.. खूप मस्त कविता.. आवड्ली
16 Sep 2016 - 11:22 pm | क्षमस्व
चौथीत असताना केली होती का हि कविता!!!