श्रावणभुल

राजेंद्र देवी's picture
राजेंद्र देवी in जे न देखे रवी...
13 Sep 2016 - 9:11 am

श्रावणभुल

एक शलाका नभास छेदून गेली
तुझ्या आगमनाची वर्दी देऊन गेली

विचाराने तुझ्या, हृदयी धडधड वाढली
जणू ज्वालामुखीने धरणी कंप पावली

तुझ्या आगमनाची सारी तयारी झाली
मेघांनी सारी सृष्टी न्हाऊन गेली

सारे रस्ते सजले फुलांनी
श्वासात सारे वास मिसळून गेली

ऊन सावलीचे खेळ खेळता
श्रावणभुल पण हरखून गेली

राजेंद्र देवी

कविता माझीमुक्त कविताकवितामुक्तक

प्रतिक्रिया

निनाव's picture

13 Sep 2016 - 12:04 pm | निनाव

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राजेंद्र देवी's picture

13 Sep 2016 - 12:09 pm | राजेंद्र देवी

धन्यवाद...

ज्योति अळवणी's picture

16 Sep 2016 - 8:31 am | ज्योति अळवणी

सुंदर

राजेंद्र देवी's picture

16 Sep 2016 - 3:30 pm | राजेंद्र देवी

धन्यवाद...

पैसा's picture

16 Sep 2016 - 5:30 pm | पैसा

छान लिहिता!

राजेंद्र देवी's picture

21 Sep 2016 - 1:11 pm | राजेंद्र देवी

धन्यवाद...