बुगडी माझी सांडली गं या लावणीचे विडंबन |
कान्होबा |
1 |
गंध फुलांचा |
मंदार दिलीप जोशी |
9 |
" हे माझे पंढरपूर ! " |
विदेश |
2 |
हे कसे? ते कसे? |
पेशवा |
6 |
वाडा |
पेशवा |
11 |
अंतरीची हूरहूर .... |
स्वर भायदे |
0 |
गंधार घेतले तू |
सांजसंध्या |
4 |
बोगदा |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
9 |
स्थलान्तर करणार्या पक्षाला.... |
अरुण मनोहर |
4 |
जमणार नाही ... !!! |
नाना चेंगट |
30 |
तीट! |
चैतन्य दीक्षित |
9 |
अंगाई मज गाती.. |
सांजसंध्या |
7 |
बाप्पाचा प्रॉब्लेम...! |
झेल्या |
10 |
विसंगतींचे संदर्भ...! |
झेल्या |
18 |
देव वाटला- असुर निपजला !! |
विदेश |
7 |
(प्रतिसादांचे........) |
अरुण मनोहर |
4 |
दुष्काळ... |
झंम्प्या |
6 |
मी बोर्ड बोलतोय... |
अत्रुप्त आत्मा |
34 |
आहेस तू जगी हे दाखव कधी कधी.. |
प्राजु |
13 |
फुलांचे..! |
उपटसुंभ |
4 |
माझेच घर टाळून नभातून मेघ निघाले होते |
रसप |
11 |
स्वप्नांचे.. |
उपटसुंभ |
3 |
असणं! |
वेणू |
2 |
" अजून आहे लहान मी... ! " |
विदेश |
13 |
जनता मागते भीक आहे. |
निश |
3 |
उशीर |
डॉ अशोक कुलकर्णी |
7 |
"...कविता कविता कविता..." |
विदेश |
1 |
साखर |
अरुण मनोहर |
6 |
मिसळपावची चोरी |
चित्रगुप्त |
3 |
सत्यमार्गा उजळुनी आम्हास तारा बापुजी |
JAGOMOHANPYARE |
8 |
माणसान्चा देव |
अत्रुप्त आत्मा |
15 |
आपण सारे अर्जुन... |
वेणू |
10 |
का लिहितो मी कविता? |
रसप |
17 |
मन भरून गेले प्रेमाने मी रिताच होतो ना? |
रसप |
3 |
" | पालखीच्या सोहळ्यात | " |
विदेश |
3 |
निसर्गकविता ४: पाऊस |
गणेशा |
4 |
"चिंता करतो मिपाची.." |
चिगो |
17 |
नकार |
स्पंदना |
19 |
निराकार |
अज्ञातकुल |
5 |
दुष्काळ |
शैलेन्द्र |
8 |
नवरा नाही काही कामाचा |
भरत कुलकर्णी |
2 |
रत्नांच्या बघ राशी झाल्या.. |
प्राजु |
9 |
जात जात जात |
रमताराम |
44 |
आमचा दुष्काळ |
भरत कुलकर्णी |
0 |
...पाऊसगाणे... |
विदेश |
0 |
उत्सव |
अज्ञातकुल |
5 |
पागोळी |
अज्ञातकुल |
3 |
वाळलेले दोन गजरे.. |
सांजसंध्या |
31 |
नियती |
हरवलेल्या जहाजा... |
5 |
Blood Hymns - 1 |
हरवलेल्या जहाजा... |
28 |
काय चुकतंय ? |
वैशाली . |
20 |
पुढे माणसांचे यशू-बुद्ध होते |
गंगाधर मुटे |
11 |
ऐन वसंतात .... |
मनिषा_माऊ |
6 |
लाच लाच लाच |
निश |
6 |
दूर-आशा |
अज्ञातकुल |
3 |
थोडी सुखी, थोडी कष्टी |
शरद |
12 |
माझ्या निसर्गास.. |
वेणू |
3 |
सतावणारा प्रश्न तुझा " मी जाऊ " |
रघु सावंत |
3 |
कातर वेळ |
अनिरुद्धशेटे |
4 |
कापला रेशमाच्या सुताने गळा |
गंगाधर मुटे |
4 |
दुष्काळी शेतकऱ्याचे मनोगत ... |
अमितसांगली |
9 |
रमतारामाची आरती |
नाना चेंगट |
84 |
निःशब्द तळ्याच्या काठी |
संजय क्षीरसागर |
13 |
झालरी |
अज्ञातकुल |
1 |
सुप्तनाते |
गंगाधर मुटे |
8 |
स्त्री मन.. |
प्रभाकर पेठकर |
12 |
ए गोळी मार अनुवादकाला |
परिकथेतील राजकुमार |
49 |
काकस्पर्श |
रसप |
6 |
(स्त्री मन) |
नाना चेंगट |
4 |
एक पत्रकथा: भाग दुसरा |
वेणू |
12 |