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मे भी एक बाप हूँ........
वो था तो कोई गम न था।
नही है तो आँखे नम होती है।
उसकी यादोमे अक्सर राते
गमगीन होती है।
नसीहत जो कभी
मुसीबत लगती थी।
आज वही मुसीबत मे
नसीहत लगती है।
रोकता था टोकता था।
अक्सर मन सोचता था
ये ऐसा क्युं है।
आज नही है तो दिल
उसीको खोजता क्युं है।
बरगद का साया था।
हर राझ सिखाया था।
परवरीश मे जिसने
अपना तन मन धन गवांया था।
था वो तो
हर मुकाम मुक्कमल हुआ।
जिंदगी के हर पादान पर
पहाड सा खडा हुआ।