त्रिवेणी - पहीला प्रयत्न |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
12 |
कां? |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
8 |
मृत्युशय्येवर .... |
विश्वेश |
3 |
देवा ... |
विश्वेश |
2 |
मिपाची हालहवाल.. |
परिकथेतील राजकुमार |
42 |
सराईत |
अर्धवट |
10 |
घेतली ओठात आम्ही |
परिकथेतील राजकुमार |
6 |
घेतली मिठीत आम्ही |
पुष्कराज |
2 |
मज आठवता मग |
निनाव |
3 |
समर्थ रामदासांनी वन-बागा निर्मितीसाठी केलेले काव्य... |
शशिकांत ओक |
9 |
फुलपाखरू |
अरुण मनोहर |
2 |
जिद्द जगण्याची |
निनाव |
2 |
गाभार्यातील शिव शंभो ..!! |
प्रकाश१११ |
9 |
ते झाड.. |
निनाव |
3 |
हरवलेली डायरी... |
निनाव |
8 |
बाराची गाडीबी गेली |
पाषाणभेद |
2 |
मज काय भाळी उमगेना ... |
विश्वेश |
2 |
सुंदर हसली गालावर खळी |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
9 |
माझी गाव भेट |
निनाव |
6 |
वेध |
गुड्डु |
4 |
मज काय भाळी उमगेना ... |
विश्वेश |
0 |
साम्य |
चित्रा |
10 |
गंध मायेचे.. |
मेघवेडा |
29 |
परतीचा प्रवास ...!! |
प्रकाश१११ |
8 |
आजकाल मुलाचा मुक्काम फेसबुकवर असतो ..!! |
प्रकाश१११ |
10 |
त्याच्या पासपोर्ट साईझ फोटोचा नकाशा ..!! |
प्रकाश१११ |
9 |
अंतर |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
19 |
मजनु आणि बाग... |
चिगो |
2 |
समुद्र किनारा आणि मी.. |
निनाव |
2 |
उजाडलेच नाही आज... |
निनाव |
2 |
चरित्र-मंथन |
दैत्य |
5 |
इनो संपल्या नन्तर ..... |
विजुभाऊ |
5 |
...अस्तित्व माझे |
गणेशा |
7 |
"*जग साल्या जग" |
जगप्रवासी |
1 |
सुकलेल्या मातीवर... |
निनाव |
6 |
मावळला तो तारा... |
निनाव |
3 |
समजत नाही.. |
गवि |
9 |
जाग!! |
निनाव |
1 |
खारूताई, खारूताई ! |
विदेश |
6 |
मला काय त्याचे, मला काय त्याचे |
पाषाणभेद |
2 |
रेशमाच्या गाठी |
पूनम १ |
4 |
सार्या जातींना खड्यात जावूद्या |
पाषाणभेद |
5 |
तुला कसली रे एवढी घाई ? |
विश्वेश |
5 |
कान्हा |
कोमल |
3 |
पुन्हा एकदा वर्जेश सोळंकी |
मुक्तसुनीत |
12 |
ते अलवार नाजूक,तरल क्षण.... !! |
प्रकाश१११ |
6 |
माझे आजुसचा नंगोट |
आगरी बाणा |
8 |
तरीही लिहा.. |
फ्रॅक्चर बंड्या |
6 |
मैत्री... |
कोमल |
8 |
घुबडाच्या मागे लागले कावळे हजार ...!! |
प्रकाश१११ |
3 |
अमेरीकन भ्रमनिरास |
गणेशा |
19 |
किती दिवस झाले माहेराला गेले नाही |
पाषाणभेद |
6 |
<परततीचाच प्रवास> |
विजुभाऊ |
4 |
एक घर विकत घ्यायचे आहे ..!! |
प्रकाश१११ |
5 |
' सुखाचा ठेवा -' |
विदेश |
5 |
मुक्तता |
अभिषेक९ |
1 |
(पारावरचं आत्मचरित्र) |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
26 |
याहो याहो पाव्हणं तुम्ही |
पाषाणभेद |
1 |
एकच प्याला आज रिता झाला-भाग ४ |
मनराव |
2 |
(पाठीखालच्या भागावर ) |
अडगळ |
9 |
आकाशातील मी घन काळा |
गणेशा |
4 |
दारासमोरचा रस्ता |
अवलिया |
25 |
मैत्रीचे गणित - |
विदेश |
3 |
'च' |
नाहिद नालबंद |
11 |
तोतयांची, फक्त... |
अजय जोशी |
6 |
<< प्रेमदिनाच्या खस्ता >> |
सुहास.. |
23 |
मी माझ्यात बंद ....!! |
प्रकाश१११ |
3 |
एकच प्याला आज रिता झाला-भाग ३ |
मनराव |
1 |
हे कवितेचे झाड....!! |
प्रकाश१११ |
5 |
मुलीची आई |
शुचि |
15 |