(एका अपरिमेयाचे मुक्तसुनीत) |
चतुरंग |
41 |
गारूड्याचा नागूबा मस्ती करतोय रं |
पाषाणभेद |
18 |
दूर वाट अशी ही छळणारी |
निनाव |
2 |
कविता माझी |
निनाव |
7 |
समुद्र भरल्या डोळ्यांनी |
तीन फुल्या तीन बदाम |
4 |
कठीण आहे कधी कधी |
निनाव |
4 |
फोडली तिजोरी - लुटला सर्व ठेवा - |
विदेश |
2 |
आकुंचन |
निनाव |
4 |
धंद्याची स्वप्ने बघणारा ..!! |
प्रकाश१११ |
15 |
न्याय तुमचा खास आहे |
डॉ अशोक कुलकर्णी |
12 |
चांदण्यांस मिठी मारतांना |
निनाव |
10 |
पुनर्जन्म |
ajay wankhede |
5 |
काजव्यांचा जणू सूर्यास शाप आहे |
गणेशा |
7 |
विझले आज दिवे सारे |
निनाव |
4 |
दूर दूर जातानां |
निनाव |
2 |
बहकलेले दिवस |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
18 |
वावर |
पेशवा |
8 |
(का केली दाढी ही अशी...?) |
पक्का इडियट |
9 |
भिऊ नकोस ... |
नगरीनिरंजन |
8 |
का केली मैत्री ही अशी...? |
हर्षद प्रभुदेसाई |
3 |
नारो शंकराची घंटा ...!! |
प्रकाश१११ |
5 |
सरसरणारे यौवन तुझे ते |
निनाव |
10 |
तुझ्या सावलीस लपता लपता |
निनाव |
1 |
अक्षय पात्र |
ajay wankhede |
4 |
तुझ्यासारखी माणसे |
पेशवा |
3 |
वाच वाचुनी अति मी दमले - |
विदेश |
3 |
संकल्प सिद्धी |
बाळासाहेब तानवडे |
2 |
आज ही गेले |
निनाव |
1 |
<पेयनिष्ठ पेताडाचा कर्मदरिद्री बाटलीभंग> |
लंबूटांग |
22 |
मोज्-माप किती... |
निनाव |
2 |
आसमंतात तारे सर्व निळेच , नाहि का? |
निनाव |
2 |
व्हायब्रेटर रिंगटोन पाठवाना |
पाषाणभेद |
13 |
रस्त्यानं रेतीवाला तो आला |
पाषाणभेद |
2 |
जा हसत दूर जा |
गणेशा |
7 |
झेन काव्य |
मूकवाचक |
12 |
एक त्रागा सुनेचा |
विदेश |
2 |
आश्वस्त |
सोनल कर्णिक वायकुळ |
2 |
तुझ्या सावलीस लपता लपता |
निनाव |
0 |
पाखरे निघालीत देशांतराला ...!! |
प्रकाश१११ |
3 |
नववर्षाचा सण हा पहिला आनंदाने साजरा करू |
पाषाणभेद |
2 |
पुन्हा रात्र (२) |
निनाव |
1 |
दाणे पडले टप टप टप |
विदेश |
8 |
मी आहे एक सामना |
मुक्तसुनीत |
34 |
काफिला ... |
sagarparadkar |
0 |
शोध माझा |
निनाव |
1 |
बेदखल |
सोनल कर्णिक वायकुळ |
4 |
भिऊ नकोस ... |
विश्वेश |
5 |
श्वास श्वासात... |
गणेशा |
14 |
प्रतिबिंब |
मूकवाचक |
4 |
मज्जा आहे बुआ .... |
विश्वेश |
3 |
कधी सरणार ही सांज |
निनाव |
3 |
साखळीतल्या कुत्र्यावर - |
विदेश |
1 |
भाकीत |
दीपा माने |
6 |
शत्रु समोरून थेट वार करुन गेला - |
विदेश |
6 |
रास |
नगरीनिरंजन |
6 |
आयुष्य साधेपणे जगत गेला ...!! |
प्रकाश१११ |
8 |
फुलपाखरू माझ्या मनीचे.... |
हर्षद प्रभुदेसाई |
5 |
(वगैरे...) |
केशवसुमार |
24 |
सहवास |
निनाव |
3 |
समाजाच प्रतिबिंब |
स्वर भायदे |
2 |
नेहमीसारखेच - १ |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
7 |
पुन्हा रात्र |
निनाव |
9 |
कोण येथे गुरुवर्य ? |
गणेशा |
9 |
ससा आणि कासव - |
विदेश |
8 |
व्यापार |
क्रान्ति |
11 |
टाळती मजला अताशा हाय! माझी माणसे |
प्राजु |
42 |
पांढरा किडा |
गंगाधर मुटे |
10 |
त्रैराशिक .... |
विश्वेश |
5 |
इतकी सुंदर तु दिसते कशी ??? |
पिनुपवार |
11 |
नेहमीसारखेच - ७ |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
7 |