नवे लेखन
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मिसळपाव.कॉमवर प्रकाशित झालेले सर्व प्रकारचे नवीन साहित्य येथे बघता येईल.
प्रकार | लेख | लेखक | प्रतिक्रिया |
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जे न देखे रवी... | (चार दिवस मिळाले असता ) | कर्नलतपस्वी | 13 |
जनातलं, मनातलं | माझ्या वहितला एक उतारा,-मनोदशा (mood ). | श्रीकृष्ण सामंत | 2 |
जनातलं, मनातलं | १८५७ अ हेरीटेज वॉक (५) | विजुभाऊ | 12 |
जनातलं, मनातलं | समुद्राच्या लाटांवर माझ्या विचारांची खलबल. | श्रीकृष्ण सामंत | 1 |
जनातलं, मनातलं | एक्कावन्न( २) | विजुभाऊ | 16 |
जे न देखे रवी... | काय करावे | श्रीकृष्ण सामंत | 5 |
जनातलं, मनातलं | सोनचाफ्याचची फुलं आणि तो स्पर्श (भाग ३ ) | श्रीकृष्ण सामंत | 0 |
जनातलं, मनातलं | अर्धा कप दुध... | कर्नलतपस्वी | 18 |
जनातलं, मनातलं | संस्कृती.. | मिसळपाव पंचायत समिती | 23 |
जनातलं, मनातलं | माझी नर्मदा परिक्रमा | Narmade Har | 53 |
जनातलं, मनातलं | प्रश्न एवढाच आहे की, तुम्हाला कोणत्या प्रकारची व्यक्ती व्हायचं आहे? | श्रीकृष्ण सामंत | 2 |
काथ्याकूट | शहजाद पुनावाला मुलाखत | चौकस२१२ | 9 |
जनातलं, मनातलं | मक्केतील उठाव १ | हुप्प्या | 46 |
भटकंती | भारताबाहेरचा भारत -अंदमान १ | राजेंद्र मेहेंदळे | 32 |
जनातलं, मनातलं | ढग हे माझे अनोळखे खरे मित्र. | श्रीकृष्ण सामंत | 3 |
जनातलं, मनातलं | नॉर्वेच्या दरीखोर्यातून.... भाग अंतिम | मितान | 40 |
जनातलं, मनातलं | नॉर्वेच्या दरीखोर्यातून.... भाग ४ | मितान | 22 |
जे न देखे रवी... | अनमोल आहे जीवन अपुले मित्रांनो | श्रीकृष्ण सामंत | 0 |
जनातलं, मनातलं | शिकार... | जयंत कुलकर्णी | 7 |
जनातलं, मनातलं | वरवर लहान वाटणारे अनुभव. | श्रीकृष्ण सामंत | 0 |
मिपा कलादालन | मडिकेरी ( कूर्ग ) - एक धावती सहल | कंजूस | 27 |
काथ्याकूट | मनात आले ते... तसे... | असा मी असामी | 40 |
जनातलं, मनातलं | प्रत्येक नगरात एक भारतीय युद्ध नायकांचा स्मरणपथ आणि मैदान | निनाद | 26 |
जे न देखे रवी... | मिसळाख्यान | शैलेश | 8 |
जनातलं, मनातलं | "जीवन पूर्णतः जगा" म्हणजे काय रे भाऊ? | श्रीकृष्ण सामंत | 1 |
जनातलं, मनातलं | त्याच्या सारखा नशिबवान तोच. | श्रीकृष्ण सामंत | 1 |
जे न देखे रवी... | सुंदर गीते ही स्मरणात येती | श्रीकृष्ण सामंत | 0 |
जनातलं, मनातलं | आतुरतेने वाट पाहत आहे तो चित्रपट | चौकस२१२ | 7 |
जनातलं, मनातलं | लेखक | भागो | 0 |
जनातलं, मनातलं | लागट बोलणं | श्रीकृष्ण सामंत | 24 |
जनातलं, मनातलं | आझमचाचा! (२) | श्रावण मोडक | 22 |
जे न देखे रवी... | चार दिवस मिळाले असतां हसू खेळून निभवावे | श्रीकृष्ण सामंत | 0 |
जनातलं, मनातलं | गाढ झोपेतलं माझं स्वप्नं. | श्रीकृष्ण सामंत | 0 |
जनातलं, मनातलं | निसर्ग सृष्टीचं सादरीकरण | श्रीकृष्ण सामंत | 0 |
जनातलं, मनातलं | नॉर्वेच्या दरीखोर्यातून.... भाग ३ | मितान | 28 |
जे न देखे रवी... | कसं जमतं तुला (डुआयडी काढणं) | टवाळ कार्टा | 39 |
जनातलं, मनातलं | “आनंदी असणं म्हणजे काय हो भाऊसाहेब?” | श्रीकृष्ण सामंत | 3 |
जनातलं, मनातलं | संगीत | श्रीकृष्ण सामंत | 0 |
जे न देखे रवी... | अक्षय्य तृतीया | बाजीगर | 10 |
जनातलं, मनातलं | धटिंगण रॉ आणी वॉशिंग्टन पोस्ट ची कावकाव | वडगावकर | 105 |
जनातलं, मनातलं | न्यूत की द्यूत? | माहितगार | 19 |
जनातलं, मनातलं | नॉर्वेच्या दरीखोर्यातून.... भाग २ | मितान | 39 |
जनातलं, मनातलं | नॉर्वेच्या दरीखोर्यातून.... भाग १ | मितान | 27 |
जे न देखे रवी... | 'उरा'तली सर! | मेघवेडा | 38 |
राजकारण | गूगल ट्रेन्ड्स २०२४ | माहितगार | 51 |
जनातलं, मनातलं | मिपा वाचकापैकी काही टीकाकारानो, माझ्यावर तुम्ही--- | श्रीकृष्ण सामंत | 27 |
जनातलं, मनातलं | सोनचाफ्याची फुलं आणि तो स्पर्श(भाग २) | श्रीकृष्ण सामंत | 0 |
जे न देखे रवी... | रोबोटमय जगाने लावला माणसाचा पुर्नशोध | माहितगार | 5 |
जे न देखे रवी... | एआय रोबोट प्रोफेसर | माहितगार | 4 |
विशेष | गोष्ट एका बॉम्बस्फोटाची | सविता००१ | 33 |
जनातलं, मनातलं | पटलं तर व्हय म्हणा ! ! | सस्नेह | 78 |
जनातलं, मनातलं | वाट पहाणं | श्रीकृष्ण सामंत | 0 |
जनातलं, मनातलं | सोनचाफ्याची फूलं आणि तो स्पर्श | श्रीकृष्ण सामंत | 6 |
काथ्याकूट | एक दिलखुलास व्यक्तिमत्व हरवले: मिपा संस्थापक तात्या | विजुभाऊ | 151 |
जनातलं, मनातलं | समाजात वावरताना इतरांशी सामना कसा करावा | श्रीकृष्ण सामंत | 2 |
जनातलं, मनातलं | नात्यांचं भावस्पर्शी इंद्रधनुष्य- काहे दिया परदेस | मार्गी | 0 |
काथ्याकूट | ऑफबीट, ऑफ द रोड ड्रायव्हिंगची वाहनं.. | गवि | 281 |
जनातलं, मनातलं | ब्रम्हांडं आणि कृष्णविवर (ब्ल्याक होल) | श्रीकृष्ण सामंत | 4 |
जे न देखे रवी... | आता फक्त काढ दिवस | श्रीकृष्ण सामंत | 2 |
भटकंती | भटकंती कोंकण किनारपट्टीची (निमित्त-महिला दिन): भाग ३ | गोरगावलेकर | 12 |
जे न देखे रवी... | तरी हरकत नाही | श्रीकृष्ण सामंत | 9 |
जनातलं, मनातलं | प्रकाश नारायण संत | चौकस२१२ | 0 |
जे न देखे रवी... | लिव अंधभक्ता लिव | अमरेंद्र बाहुबली | 2 |
जनातलं, मनातलं | लपविलास तू हापूस आंबा -- विम्बल्डन | श्रीकृष्ण सामंत | 8 |
जनातलं, मनातलं | सेपियन्स-(ऐसी अक्षरे -१७) | Bhakti | 6 |
जनातलं, मनातलं | मी आणि समुद्रकिनारा | श्रीकृष्ण सामंत | 23 |
जनातलं, मनातलं | (मी आणि बार) | अहिरावण | 0 |
जे न देखे रवी... | लिव बामणां लिव | श्रीकृष्ण सामंत | 20 |
जनातलं, मनातलं | महात्मा गांधीं म्हणालेत, "डोळ्याच्या बदल्यात डोळा घेणं संपूर्ण जगाला आंधळं बनवेल” | श्रीकृष्ण सामंत | 36 |
जनातलं, मनातलं | शॉर्ट शॉर्ट फिक्शन. | भागो | 17 |