कसं पटवावं पोरीला ? |
खिलजि |
8 |
भ्रम |
सरीवर सरी |
3 |
मी बिचारा एक म्हातारा |
खिलजि |
0 |
शिकून काय झाले |
खिलजि |
0 |
गेल्या सहस्त्रावधी वर्षांत हिंदुस्थानमध्ये लागलेल्या होळ्या!! |
Sumant Juvekar |
0 |
चहा घेणार? |
आगाऊ म्हादया...... |
17 |
काही बोलायचे आहे ( विरसग्रहण) |
प्रकाश घाटपांडे |
11 |
# तुम्ही(च) म्हणालात |
सुरिया |
8 |
कन्यादान एक शब्द चित्र |
कर्नलतपस्वी |
4 |
महिलादिन |
कर्नलतपस्वी |
3 |
पाचा ऊत्तराची कहाणी |
कर्नलतपस्वी |
3 |
मधाळलेल्या कुण्या मिठीची... |
प्राची अश्विनी |
14 |
माय मराठी |
bhagwatblog |
3 |
पॉझिटिव्ह - निगेटिव्ह |
Jayagandha Bhat... |
0 |
देव |
अनुस्वार |
6 |
सांग कधी कळणार तुला (विडंबन) |
OBAMA80 |
0 |
आज जरी |
अनन्त्_यात्री |
6 |
......अजूनही ! |
फिझा |
5 |
चक्कर |
अनुस्वार |
7 |
नशिबाची परीक्षा |
खिलजि |
5 |
जपून ठेव! |
अनुस्वार |
2 |
प्राणप्रिये |
डॉ.अमित गुंजाळ |
6 |
Soap Opera |
संदीप-लेले |
4 |
तुला बापू म्हणू की बाप्या ? |
माहितगार |
6 |
अध्यात्माची भूमिती |
अनन्त्_यात्री |
7 |
(वळण) |
माहितगार |
2 |
उंटावरल्या प्रा.डॉ. दा.ता. |
माहितगार |
22 |
श्वासांचा बाजार |
खिलजि |
10 |
लयीत एका झुलवीत |
बिपीन सुरेश सांगळे |
1 |
मैत्री! |
चलत मुसाफिर |
1 |
कोविड-कोविड गोविंद गोविंद |
बाजीगर |
3 |
रात्र - चारोळी |
शब्दानुज |
1 |
तू |
सुमित_सौन्देकर |
1 |
परतीचे प्रवास |
मका म्हणे |
1 |
प्रतिभा |
कुमार जावडेकर |
1 |
slow down |
अमलताश_ |
1 |
चारोळ्या |
राजा सोवनि |
1 |
दिवाळी इथली आणि तिथली |
VRINDA MOGHE |
1 |
मी आणि तू |
श्रिया सामंत |
1 |
नीरव |
सरीवर सरी |
1 |
तप्तमुद्रा |
अनन्त्_यात्री |
1 |
पावसाळी सहजकाव्य |
अत्रुप्त आत्मा |
5 |
आधार कार्ड |
कर्नलतपस्वी |
1 |
गाठोड |
कर्नलतपस्वी |
1 |
आपलेच दात..... |
मका म्हणे |
1 |
काल आणी आज |
कर्नलतपस्वी |
1 |
आपलं कुणी |
VRINDA MOGHE |
1 |
गुरुदेवांना श्रध्दान्जली |
खिलजि |
1 |
हाक...... |
Jayagandha Bhat... |
1 |
अंतर्नाद |
अनन्त्_यात्री |
1 |
कबुलीजबाब |
अनन्त्_यात्री |
1 |
नव्हतं ठाऊक |
सरीवर सरी |
1 |
कवितेनंतर |
अनन्त्_यात्री |
1 |
(बहुतेक रेशमी "होती" !) |
प्रसाद गोडबोले |
12 |
..बहुतेक रेशमी होते! |
राघव |
11 |
कहीं ये वो तो नही |
प्रज्ञादीप |
2 |
चैत्री पाडवा.... |
Jayagandha Bhat... |
12 |
या अशा कुंठीत वेळी |
अनन्त्_यात्री |
8 |
श्रीरंग.... |
Jayagandha Bhat... |
3 |
पुनवेचं चांदणं |
चांदणशेला |
3 |
सावली |
सरीवर सरी |
3 |
आपलं कुणी |
VRINDA MOGHE |
1 |
मनातला ऐवज.. |
सरीवर सरी |
5 |
खिडकी |
अनन्त्_यात्री |
4 |
ते तुझ्याचपाशी होते |
अनन्त्_यात्री |
2 |
कविता - कृष्णधून |
VRINDA MOGHE |
4 |
स्त्रीत्वाचा सन्मान |
ज्योति अळवणी |
3 |
रे गझलाकारा, आवर तुझे दुकान... |
मोदक |
45 |
तुझे चालणे दरवळून जाते....... |
किरण कुमार |
7 |
डेस्टिनेशन ∞ |
अनन्त्_यात्री |
5 |