अत्रुप्त आत्मा in जे न देखे रवी... 27 Apr 2021 - 7:12 pm पाऊसशांतरसकविता प्रतिक्रिया व्वा..व्वा...! 27 Apr 2021 - 9:13 pm | प्रचेतस व्वा..व्वा...! सहजकाव्य मस्त जमलंय, चिंब भिजल्यागत वाटलं. कवीने खुबीने स्वतःचं खरं नाव आणि मोबाईल नं सुद्धा पेरलेला असल्याने मौज वाटली. मस्तच 27 Apr 2021 - 9:35 pm | मुक्त विहारि गुरूजी आले आता पांडोबा आले की जरा मजा येईल .... पांडुब्बा आता येत नाही.. :( 27 Apr 2021 - 11:21 pm | अत्रुप्त आत्मा पांडुब्बा आता येत नाही.. :( मिपा सोडलं त्यांनी!!! :( पांडुऊऊऊऊऊऊऊऊ वाह अवकाळी पाऊस काव्य! मस्त. 27 Apr 2021 - 9:46 pm | Bhakti वाह अवकाळी पाऊस काव्य! मस्त. मनाला मनाला गं मनाला मनाल 28 Apr 2021 - 11:20 am | गॉडजिला ....
प्रतिक्रिया
27 Apr 2021 - 9:13 pm | प्रचेतस
व्वा..व्वा...!
सहजकाव्य मस्त जमलंय, चिंब भिजल्यागत वाटलं.
कवीने खुबीने स्वतःचं खरं नाव आणि मोबाईल नं सुद्धा पेरलेला असल्याने मौज वाटली.
27 Apr 2021 - 9:35 pm | मुक्त विहारि
गुरूजी आले
आता पांडोबा आले की जरा मजा येईल ....
27 Apr 2021 - 11:21 pm | अत्रुप्त आत्मा
पांडुब्बा आता येत नाही.. :(
मिपा सोडलं त्यांनी!!! :(
पांडुऊऊऊऊऊऊऊऊ
27 Apr 2021 - 9:46 pm | Bhakti
वाह
अवकाळी पाऊस काव्य! मस्त.
28 Apr 2021 - 11:20 am | गॉडजिला
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