नीरव |
सरीवर सरी |
1 |
तप्तमुद्रा |
अनन्त्_यात्री |
1 |
पावसाळी सहजकाव्य |
अत्रुप्त आत्मा |
5 |
आधार कार्ड |
कर्नलतपस्वी |
1 |
गाठोड |
कर्नलतपस्वी |
1 |
आपलेच दात..... |
मका म्हणे |
1 |
काल आणी आज |
कर्नलतपस्वी |
1 |
आपलं कुणी |
VRINDA MOGHE |
1 |
गुरुदेवांना श्रध्दान्जली |
खिलजि |
1 |
हाक...... |
Jayagandha Bhat... |
1 |
अंतर्नाद |
अनन्त्_यात्री |
1 |
कबुलीजबाब |
अनन्त्_यात्री |
1 |
नव्हतं ठाऊक |
सरीवर सरी |
1 |
कवितेनंतर |
अनन्त्_यात्री |
1 |
(बहुतेक रेशमी "होती" !) |
प्रसाद गोडबोले |
12 |
..बहुतेक रेशमी होते! |
राघव |
11 |
कहीं ये वो तो नही |
प्रज्ञादीप |
2 |
चैत्री पाडवा.... |
Jayagandha Bhat... |
12 |
या अशा कुंठीत वेळी |
अनन्त्_यात्री |
8 |
श्रीरंग.... |
Jayagandha Bhat... |
3 |
पुनवेचं चांदणं |
चांदणशेला |
3 |
प्राणिपात कोटि कोट |
सतिश |
61 |
सावली |
सरीवर सरी |
3 |
आपलं कुणी |
VRINDA MOGHE |
1 |
मनातला ऐवज.. |
सरीवर सरी |
5 |
खिडकी |
अनन्त्_यात्री |
4 |
ते तुझ्याचपाशी होते |
अनन्त्_यात्री |
2 |
कविता - कृष्णधून |
VRINDA MOGHE |
4 |
स्त्रीत्वाचा सन्मान |
ज्योति अळवणी |
3 |
रे गझलाकारा, आवर तुझे दुकान... |
मोदक |
45 |
तुझे चालणे दरवळून जाते....... |
किरण कुमार |
7 |
डेस्टिनेशन ∞ |
अनन्त्_यात्री |
5 |
ऊन्हाचा तुकडा |
प्रसाद साळवी |
1 |
काय पाठवू पोस्ट? |
बाजीगर |
9 |
ती |
आर्णव |
2 |
ठिपके |
अनन्त्_यात्री |
9 |
थोतांडवादी |
आनन्दा |
6 |
गुरुघंटाल |
कर्नलतपस्वी |
4 |
तू कितीसा उजेड पाडलास? |
उपयोजक |
6 |
भगवंत.... |
Jayagandha Bhat... |
6 |
मन |
पद्मश्री चित्रे |
14 |
(ठिपसे) |
खेडूत |
2 |
मुर्ख |
कर्नलतपस्वी |
4 |
तोरण मरणाचे |
गणेशा |
9 |
आतल्या आत |
अनन्त्_यात्री |
5 |
असंही व्हॅलेंटाइनचं सेलिब्रेशन... |
मनस्विता |
4 |
मरण... |
Jayagandha Bhat... |
8 |
(आतल्या आत) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
5 |
प्रवासी |
आर्णव |
6 |
वार्याने पेटते रान आता हे .. |
गणेशा |
10 |
मुक्त |
सरीवर सरी |
7 |
जेव्हा अदम्य ऐसी |
अनन्त्_यात्री |
7 |
'असेल घडले' आज काही इतिहासात :( |
उपयोजक |
7 |
कविता - कविराज |
Arun V.Deshpande |
1 |
उभा मी वाटेवरती |
चांदणे संदीप |
2 |
कधीतरी |
अनन्त्_यात्री |
5 |
हर दिन नया था हर |
कर्नलतपस्वी |
7 |
हाक आभाळाची येता |
अनन्त्_यात्री |
7 |
माझ काय चुकलं |
कर्नलतपस्वी |
2 |
संकल्प |
कर्नलतपस्वी |
6 |
पाऊस |
रामदास |
21 |
लेखणीने लढाईस सज्ज व्हावे! |
गंगाधर मुटे |
27 |
ताळेबंद |
रामदास |
10 |
एक मुक्तक |
रामदास |
8 |
चकवा |
रामदास |
11 |
मी आणि पुस्तकं |
रामदास |
4 |
तू ठरव... |
सत्यजित... |
13 |
ये जेवण है, इस जेवण का.... |
बाजीगर |
14 |
हाय काय अन् नाय काय! |
प्राची अश्विनी |
7 |
काय आहे तुझ्या ...माझ्यात ??? |
प्रज्ञादीप |
2 |