(...बोकडाचे खूर काही!) चतुरंग in जे न देखे रवी... 6 Sep 2008 - 1:28 am 3 कवितागझलविडंबनप्रतिभाविरंगुळा
जो भी बिछडें है, कब मिले है फराज़.... मनिष in जनातलं, मनातलं 27 Aug 2008 - 1:44 pm 3 संगीतसंस्कृतीगझललेख