कल्पिते |
अज्ञातकुल |
0 |
होतीच तशी वेळ |
राजेंद्र मेहेंदळे |
2 |
परिपक्व |
अज्ञातकुल |
2 |
तू उत्तर नाही दिलंस मला |
वडापाव |
4 |
माणसाचा स्वभावाच आहे तो... |
गजानन५९ |
3 |
आली सुमधूर संमोहक दिवाळी |
निमिष सोनार |
0 |
चीत्कला |
अज्ञातकुल |
21 |
नाडि वाचुनी अति मी दमले, थकले रे शशिकांता! |
राजेश घासकडवी |
54 |
भांडणानंतर... |
चाणक्य |
23 |
मंतरलेले दिवस ते, पुन्हा परत येतील का.... |
वेल्लाभट |
5 |
देऊळ |
सार्थबोध |
2 |
घरे उजळती सारी |
वेल्लाभट |
5 |
आनंदाने स्वीकारेन मी |
फुंटी |
5 |
तेंव्हा आणि आता ... |
माशा |
2 |
सुखाच्या शोधात..... |
गजानन५९ |
7 |
प्रथमच एक गझल लिहण्याचा प्रयत्न केला आहे. |
psajid |
19 |
आज पुन्हा रोमांचित लेखणी थरथरली …. |
घन निल |
2 |
हायकू - |
विदेश |
4 |
रस्सा... |
गवि |
39 |
तुझे एकेक विचार....... |
psajid |
0 |
तू...!!!!!!!!!!!!! |
पल्लवी मिंड |
1 |
ओढ |
विअर्ड विक्स |
2 |
घोटाळा |
अज्ञातकुल |
0 |
शब्द चिमुकले सांडत होते ... |
जेनी... |
32 |
सरत चालली रात |
आनंदमयी |
4 |
आजकाल हे असे आहे... |
निमिष सोनार |
2 |
दुनियादारी REMIX |
विअर्ड विक्स |
1 |
तुझिया डोळ्यांत तेंव्हा पाऊस दाटला होता … |
घन निल |
11 |
दाटून मेघ येता |
आनंदमयी |
9 |
मी.... |
घन निल |
2 |
झोपेत वर्गात येणे, अन येऊन पुन्हा झोपणे (विडंबन) |
पल्लवी मिंड |
12 |
आज 'तो' राहिला नाही |
आनंदमयी |
6 |
पुन्हा नव्याने.. |
आनंदमयी |
17 |
पुन्हा नव्याने... |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
19 |
चल परत नव्याने सुरू करू सारे |
पल्लवी मिंड |
13 |
तू …. ! |
BONGALE SANTOSH... |
1 |
प्रसाद शेरणीचा |
BONGALE SANTOSH... |
2 |
(चल परत नव्याने सुरू करू सारे) |
धन्या |
71 |
अर्थ |
माम्लेदारचा पन्खा |
8 |
रागावणे – समजावणे |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
31 |
वानोळा |
अज्ञातकुल |
6 |
सल अंतरीचा.. |
फुंटी |
6 |
शायरे आज़म |
चित्तरंजन भट |
5 |
( चला नांगरूया शेत सारे ) |
मोदक |
39 |
चारोळ्या - २ |
धन्या |
17 |
फोल |
आतिवास |
23 |
मिसळपाव |
सार्थबोध |
6 |
अभिशाप जीवनाचा |
मूकवाचक |
19 |
आज पुन्हा उडावेसे वाटले |
पल्लवी मिंड |
11 |
गुंता |
सार्थबोध |
0 |
पुरावा |
सार्थबोध |
2 |
अभय |
सार्थबोध |
9 |
तिन कविता तिन ठिगळे |
ज्ञानोबाचे पैजार |
14 |
निशाण |
नगरीनिरंजन |
14 |
गुन्हा |
चाणक्य |
13 |
शिळी जिलेबी - १ |
धन्या |
30 |
अविचल |
अज्ञातकुल |
4 |
निळारंभ |
सार्थबोध |
8 |
स्वप्न |
पद्मश्री चित्रे |
5 |
(गेम) |
धन्या |
16 |
(नसतेस घरी तू जेव्हा ) |
केशवसुमार |
47 |
दोष |
सार्थबोध |
3 |
नासाचे अभंग |
रमताराम |
13 |
प्रेम |
मयुरपिंपळे |
17 |
बोल बैला बोल : नागपुरी तडका |
गंगाधर मुटे |
7 |
व्यथा |
psajid |
0 |
कल्लोळ..!! |
राघव |
13 |
अशीच आजची रात्र |
फुंटी |
21 |
निरोप |
यशोधरा |
21 |
' अधांतरी ..' |
drsunilahirrao |
0 |