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शीळा घास |
वैभवकुमारन |
2 |
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खळबळ |
अज्ञातकुल |
10 |
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"वेडी" |
अमेय६३७७ |
27 |
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गूज |
अमेय६३७७ |
13 |
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मडकी |
सोनल कर्णिक वायकुळ |
9 |
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'वाढदिवस' |
अमेय६३७७ |
28 |
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अव्यक्तांच्या समिधा |
सांजसंध्या |
17 |
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शापवाणी |
धन्या |
24 |
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किनारा |
सागरलहरी |
4 |
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आजही मला ते सर्व आठवतय |
धमाल मुलगा |
9 |
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अरूप |
सागरलहरी |
12 |
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विचार |
अमोल मेंढे |
2 |
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लागले वेड मज | |
प्रमोद देर्देकर |
2 |
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हे....त्तिच्या बहीन |
अमोल मेंढे |
20 |
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बरं झालं मी नोकरी करतो |
चाणक्य |
16 |
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हझल |
विदेश |
0 |
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~~~ तुझीच मी ~~~ |
प्रिया ब |
2 |
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उगवलास तू भास्करा |
वडापाव |
0 |
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भूकंप....! |
psajid |
8 |
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'निरोप' |
अमेय६३७७ |
2 |
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चाहूल एका सृजनाची |
BONGALE SANTOSH... |
0 |
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फुंकर |
अज्ञातकुल |
0 |
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तू आलीस त्याला सोडून |
दिपक.कुवेत |
7 |
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अस्तित्वाच्या पल्याड.. |
आनंदमयी |
11 |
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आठवण |
वडापाव |
1 |
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तू गेलीस मला सोडून.... |
वडापाव |
3 |
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भाकरीचा चंद्र .... |
psajid |
2 |
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झुंजु मुंजू |
अज्ञातकुल |
2 |
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प्रवास |
भारी समर्थ |
3 |
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बालमजूर |
psajid |
16 |
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तपस्या |
झंम्प्या |
1 |
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कल्पिते |
अज्ञातकुल |
0 |
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होतीच तशी वेळ |
राजेंद्र मेहेंदळे |
2 |
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परिपक्व |
अज्ञातकुल |
2 |
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तू उत्तर नाही दिलंस मला |
वडापाव |
4 |
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माणसाचा स्वभावाच आहे तो... |
गजानन५९ |
3 |
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आली सुमधूर संमोहक दिवाळी |
निमिष सोनार |
0 |
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चीत्कला |
अज्ञातकुल |
21 |
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नाडि वाचुनी अति मी दमले, थकले रे शशिकांता! |
राजेश घासकडवी |
54 |
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भांडणानंतर... |
चाणक्य |
23 |
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मंतरलेले दिवस ते, पुन्हा परत येतील का.... |
वेल्लाभट |
5 |
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देऊळ |
सार्थबोध |
2 |
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घरे उजळती सारी |
वेल्लाभट |
5 |
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आनंदाने स्वीकारेन मी |
फुंटी |
5 |
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तेंव्हा आणि आता ... |
माशा |
2 |
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सुखाच्या शोधात..... |
गजानन५९ |
7 |
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प्रथमच एक गझल लिहण्याचा प्रयत्न केला आहे. |
psajid |
19 |
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आज पुन्हा रोमांचित लेखणी थरथरली …. |
घन निल |
2 |
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हायकू - |
विदेश |
4 |
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रस्सा... |
गवि |
39 |
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तुझे एकेक विचार....... |
psajid |
0 |
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तू...!!!!!!!!!!!!! |
पल्लवी मिंड |
1 |
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ओढ |
विअर्ड विक्स |
2 |
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घोटाळा |
अज्ञातकुल |
0 |
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शब्द चिमुकले सांडत होते ... |
जेनी... |
32 |
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सरत चालली रात |
आनंदमयी |
4 |
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आजकाल हे असे आहे... |
निमिष सोनार |
2 |
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दुनियादारी REMIX |
विअर्ड विक्स |
1 |
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तुझिया डोळ्यांत तेंव्हा पाऊस दाटला होता … |
घन निल |
11 |
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दाटून मेघ येता |
आनंदमयी |
9 |
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मी.... |
घन निल |
2 |
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झोपेत वर्गात येणे, अन येऊन पुन्हा झोपणे (विडंबन) |
पल्लवी मिंड |
12 |
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आज 'तो' राहिला नाही |
आनंदमयी |
6 |
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पुन्हा नव्याने.. |
आनंदमयी |
17 |
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पुन्हा नव्याने... |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
19 |
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चल परत नव्याने सुरू करू सारे |
पल्लवी मिंड |
13 |
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तू …. ! |
BONGALE SANTOSH... |
1 |
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प्रसाद शेरणीचा |
BONGALE SANTOSH... |
2 |
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(चल परत नव्याने सुरू करू सारे) |
धन्या |
71 |
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अर्थ |
माम्लेदारचा पन्खा |
8 |