अज्ञातकुल in जे न देखे रवी... 1 Nov 2013 - 5:57 pm जाणीव एक कोण्या बीजापरीस असते संवेदना फळाची शाखेस भार नसते गंधास स्वाद जेंव्हा परिपक्व फूल होते शब्दात भावना अन सारीतेसामान झरते त्या ओढ अर्पणाची समिधा समर्पणाची व्हावा तृषार्थ कोणी आकंठ तृप्त ह्याची ………………… अज्ञात अद्भुतरसकविता प्रतिक्रिया मस्त... 7 Nov 2013 - 12:15 pm | मुक्त विहारि छान... सुंदर 7 Nov 2013 - 1:01 pm | अमेय६३७७ सुंदर
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7 Nov 2013 - 12:15 pm | मुक्त विहारि
छान...
7 Nov 2013 - 1:01 pm | अमेय६३७७
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