प्रतिसाद विजूभै का असा लिहिलात! |
केसुरंगा |
30 |
(आवाहन) अर्थात कसं काय एडीटर बरं हाय का? |
केसुरंगा |
13 |
तुझ्या विना ... |
विशाल कुलकर्णी |
14 |
(पंक्चरची वेळ) |
llपुण्याचे पेशवेll |
18 |
(घाईची वेळ) |
शाहरुख |
8 |
एकाकी वाट |
अरुण मनोहर |
10 |
अगा देवराया | अम्हा खेव द्याया | |
सागरलहरी |
3 |
बुधवारची कविता : (खवट) |
llपुण्याचे पेशवेll |
16 |
हरी हे दयाळा कधी भेट देशी |
सागरलहरी |
3 |
रिती पोकळी |
क्रान्ति |
13 |
(पुरावा) |
चतुरंग |
8 |
(काढदिवस) |
टारझन |
8 |
गमक-२ |
केशवसुमार |
2 |
('वाढ'दिवस) |
चतुरंग |
25 |
बुधवारची कविता: (वाढदिवस - ३) |
llपुण्याचे पेशवेll |
19 |
वाढदिवस -२ |
केशवसुमार |
10 |
रात्र मिलनाची ... ! |
विशाल कुलकर्णी |
8 |
(उशिराने आलेलं) शहाणपण..... |
उदय सप्रे |
2 |
शनिवारचा उतारा - दुविधा |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
11 |
अहो पाव्हनं, अंमळ घ्या विसावा , |
सागरलहरी |
5 |
गेले आडवे मांजर! |
मानस६ |
2 |
शनिवारचा ऊतारा.. अजुन एक दुविधा |
हर्षद आनंदी |
0 |
कान्हा तुझ्या मुरलीचा, साज असा छळतो रे, |
सागरलहरी |
3 |
ते झाड़ तोडले कोणी ? |
सागरलहरी |
3 |
शेवट |
बेसनलाडू |
17 |
सात .... |
विशाल कुलकर्णी |
8 |
<सवयीने मंद > |
विजुभाऊ |
4 |
(सवयीने मंद) |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
15 |
काळ......... |
चन्द्रशेखर गोखले |
3 |
कधीतरी |
नेहमी आनंदी |
3 |
निरंजन |
दमनक |
2 |
ते जीवच वेडे होते |
क्रान्ति |
19 |
जगलो जरी मी खुप. |
टुकुल |
2 |
[मूल ते मा़झेच होते] |
अमृतांजन |
3 |
फूल ते माझे न होते.... |
सागरलहरी |
0 |
(शेवट) |
केशवसुमार |
17 |
मैत्रि अशी असावी .. |
विवेकग |
4 |
वेडा |
फ्रॅक्चर बंड्या |
2 |
<शेवट> |
ऋषिकेश |
0 |
(ते जीवच वेडे होते) |
चेतन |
0 |
त्यात काय मोठंसं...? |
विशाल कुलकर्णी |
0 |
एक मुक्तक. |
रामदास |
21 |
(अवांतर) |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
22 |
बुधवारची कविता: (टारोबा तुज शहीद केले) |
llपुण्याचे पेशवेll |
31 |
कविते, तुज शोधित आले |
क्रान्ति |
30 |
मत्सर ... |
विशाल कुलकर्णी |
10 |
<पुन्हा ती भेटली तेव्हा.> |
विजुभाऊ |
9 |
खंत..... |
उदय सप्रे |
2 |
पुन्हा ती भेटली तेव्हा.. |
ज्ञानेश... |
4 |
ऐक धरित्रे!! |
प्राजु |
19 |
गुलमोहोर असा |
नेहमी आनंदी |
3 |
२६/११/२००९ |
ऋषिकेश |
18 |
दे दे भाकर |
कानडाऊ योगेशु |
3 |
ठेव |
क्रान्ति |
5 |
[गणिती सुत्रे] |
अमृतांजन |
0 |
जय जवान जय किसान ! |
चन्द्रशेखर गोखले |
5 |
हिरवा साज |
जयवी |
13 |
(माजुर्डा डास) |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
23 |
(माझाच माज) |
llपुण्याचे पेशवेll |
18 |
(वार्धक्य) |
चेतन |
2 |
वार्धक्य |
गिरीश कुळकर्णी |
7 |
(हिरवा माज) |
चतुरंग |
17 |
(पिवळा बाज) |
चेतन |
16 |
(२६/११/२००९) |
चेतन |
9 |
सागरतिरी उसळती लाटा |
पाषाणभेद |
0 |
२६/११ : एक पाशवी आगळीक |
गिरीश कुळकर्णी |
0 |
बुधवारची कविता: (प्रतिसाद का टिकेना) |
llपुण्याचे पेशवेll |
24 |
अहो पाहुणे हळुहळू होवू द्या, घाई करू नका, असं लाजू नका |
पाषाणभेद |
8 |
आमचा रंग देऊन पाहा |
गिरीश कुळकर्णी |
6 |
मी आणी पाउस |
प्रभो |
21 |