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बेघर |
बेसनलाडू |
22 |
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टारझण मला खास वाटत नाहीत |
बाबुराव |
20 |
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~ गुढीपाडवा ~ |
निमिष सोनार |
2 |
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)तुझ्या रेशमी केसांनी( |
sur_nair |
0 |
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तुझ्या रेशमी केसांनी |
विजुभाऊ |
4 |
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))तुझ्या रेशमी केसांनी(( |
तुका म्हणे |
0 |
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)तुझ्या रेशमी केसांनी( |
राजेश घासकडवी |
2 |
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न्युड पोर्ट्रेट |
विशाल कुलकर्णी |
13 |
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परम सन्तोश |
निरन्जन वहालेकर |
5 |
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कोल्हापुर |
नाद्खुळा |
2 |
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पहिला पाउस |
नाद्खुळा |
5 |
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रातराणी |
निरन्जन वहालेकर |
6 |
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पाठलाग |
निरन्जन वहालेकर |
0 |
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रस्त्यात मामा आडवा येतो जेंव्हा... |
Navigator |
2 |
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..... पुन्हा पुन्हा ! |
जयवी |
7 |
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आठव |
आमोद |
5 |
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(....पुन्हा पुन्हा!) |
चतुरंग |
19 |
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भग्न किनारे |
जयवी |
10 |
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नजर |
प्रभो |
5 |
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जातो म्हणतोस..... |
Dhananjay Borgaonkar |
7 |
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स्वप्ने |
फ्रॅक्चर बंड्या |
0 |
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जाते म्हणतेस................... |
मंगेशपावसकर |
18 |
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आज पुन्हा गपचूप घरी येऊन गप्प बसलो ............. |
मंगेशपावसकर |
7 |
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कारण ती माझी चांगली मैत्रीण होती......... |
मंगेशपावसकर |
6 |
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चला खवैय्ये, खादाडीवर खरडू काही ..! |
विशाल कुलकर्णी |
4 |
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स्त्री - पुरुष |
मंगेशपावसकर |
15 |
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जाणीव |
तुका म्हणे |
1 |
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जन्मा येण्या कारण तू.. |
प्राजु |
27 |
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चला जोडीनं तण हे काढू, चला ठिबकसिंचन करू |
पाषाणभेद |
0 |
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पंख |
sur_nair |
8 |
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माय मराठी |
नाद्खुळा |
4 |
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कवितक -१ माणूस अशातला - माणूस तशातला |
चित्रा |
50 |
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कर्मण्येवाधिकारस्ते . . . |
दत्ता काळे |
3 |
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समर्थांना पत्र |
नाद्खुळा |
0 |
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चंदनाचे जीवन |
moghe |
0 |
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बघता बघता |
नाद्खुळा |
2 |
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श्वास |
नाद्खुळा |
0 |
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फुलांच्या थव्यांनी.. |
प्राजु |
18 |
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||इंजिनिअरिंगचे श्लोक|| |
चिर्कुट |
3 |
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मैत्री |
गुपचुप |
5 |
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सोहम |
वर्षा म्हसकर-नायर |
3 |
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प्रेमबन |
वर्षा म्हसकर-नायर |
12 |
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माझे बाबा........... |
मंगेशपावसकर |
0 |
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लावणी - खास होळी निमित्त |
sur_nair |
3 |
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आमचा देश |
सचिन थमके |
1 |
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बेरंग होळी!! |
निमिष सोनार |
3 |
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काव्य जगावे |
क्रान्ति |
5 |
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३ चारोळ्या |
sur_nair |
6 |
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चल उसात दंगा करू |
पाषाणभेद |
10 |
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आता पुन्हा बॉम्बस्फोट होणार... |
कुल |
18 |
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विक्रमादित्याचा पोवाडा |
विशाल कुलकर्णी |
0 |
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वाट पाहणं! |
राघव |
5 |
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धुकट सकाळ |
धनंजय |
34 |
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(माझ्या कविता - असा पाऊस पडावा : एक विडंबसुनीत) |
राजेश घासकडवी |
29 |
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'म'वाली |
विशाल कुलकर्णी |
0 |
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नेत्यांची प्रतिज्ञा ........... |
मंगेशपावसकर |
13 |
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पाउस - मुळ कविता |
sur_nair |
10 |
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घन घोर मराठी पोर...{Patriotic material}.. |
मंगेशपावसकर |
0 |
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गंध आवडला फुलाचा म्हणून |
मी एक वाटसरू |
4 |
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"मिड-लाइफ क्रायसिस" अर्थात एका लेखकाचे 'मनोगत' |
केशवसुमार |
27 |
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---------प्रश्न -------- |
अनुप्रिया |
10 |
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झाकोळ |
स्मृती |
3 |
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कसा दिस आला.....{verry sad material} |
मंगेशपावसकर |
2 |
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(जगताना) |
राजेश घासकडवी |
8 |
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तुझ्या मिठीच्या धुंद सरी.. |
प्राजु |
17 |
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काही जुनी टिपणे. |
रामदास |
22 |
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प्रेमदिन |
जयवी |
7 |
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जगताना... |
जयेश माधव |
3 |
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काय करावे कळेना |
पाषाणभेद |
1 |
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तुझे माझे गुलाबाचे |
पुष्कराज |
1 |