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घो(स)ळ |
आंबोळी |
21 |
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वा(रुळ) |
sur_nair |
4 |
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(धूळ) |
llपुण्याचे पेशवेll |
21 |
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पळ |
सहज |
18 |
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[कूळ ] |
प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे |
13 |
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(तूळ) |
शुचि |
6 |
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मूळ |
केशवसुमार |
26 |
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शेतकरी गीत: शेतात पेरणीची चल झाली आता वेळ |
पाषाणभेद |
0 |
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.. |
प्रियाली |
14 |
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सुळ |
कोदरकर |
6 |
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( फौल ) : स्पॅनिश व्हर्शनसह ... |
छोटा डॉन |
27 |
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(रुल) |
केसुरंगा |
10 |
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(रूळ) |
राजेश घासकडवी |
8 |
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(वळ) |
अर्धवट |
4 |
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भूल |
श्रावण मोडक |
11 |
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नळ |
अर्धवट |
1 |
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रुळ |
अवलिया |
23 |
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(गळ) |
मोहन |
4 |
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<चूळ> |
शुचि |
11 |
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(खूळ) |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
25 |
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(गूळ) |
चतुरंग |
18 |
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(धूळ) |
प्रभो |
12 |
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खूळ ( पैलवानकीचं ) |
अडगळ |
8 |
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बालकविता - मोठ्यांचे ऐका |
शुचि |
6 |
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फक्त ती सुखात राहायला हवी... |
फटू |
9 |
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युगलगीत : अलवार गुपित उमगले प्रितीचे |
पाषाणभेद |
4 |
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मदवल माया थोली ले.. |
राघव |
14 |
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" स्वप्न" पहिला पाउस |
निरन्जन वहालेकर |
6 |
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गीत: अरे अरे रिक्षावाल्या |
पाषाणभेद |
7 |
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आमंत्रण .... |
विशाल कुलकर्णी |
2 |
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गीत: कधी कधी खोटं बोलाया लागते |
पाषाणभेद |
0 |
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(किमया) |
केशवसुमार |
3 |
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आपली व्यक्तिपूजा |
अभिरत भिरभि-या |
6 |
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पुन्हा एकदा खाउच! |
शानबा५१२ |
1 |
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“ रात्र यौवनांत ” |
निरन्जन वहालेकर |
4 |
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< पहीलं अॅडव्हेन्चर , पहीलं चुंबन> |
शुचि |
47 |
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हे वारिस शाह! - अमृता प्रीतमच्या काव्याचा अनुवाद |
अरुंधती |
13 |
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रस्ता ओलांडता - २ |
sur_nair |
3 |
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मिपामिपा खेळणार |
सहज |
49 |
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गीत: भंगार डबा बाटली आसंल तर देवून टाका |
पाषाणभेद |
5 |
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लावणी: सोन्याची अंगठी मजला आणुन द्या |
पाषाणभेद |
11 |
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पुन्हा एकदा पाऊस |
स्वप्निल मन |
1 |
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पहिला पाऊस पहिली भेट |
स्वप्निल मन |
4 |
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(पहिला पाऊस पहिली भेट) |
अडगळ |
0 |
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अताशा असे हे मला काय होते |
उपटसुंभ |
7 |
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गाणे |
अविनाशकुलकर्णी |
4 |
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"दिलाचा दिलवर भेटला..." |
शरदिनी |
31 |
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गीत: गरमी चा आलाय उन्हाळा |
पाषाणभेद |
0 |
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मुसळ धार पाऊस |
अविनाशकुलकर्णी |
5 |
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..बावळट ध्यान.. |
कानडाऊ योगेशु |
9 |
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गीत: डायवर दादा |
पाषाणभेद |
7 |
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संजीवनी |
मृत्युन्जय |
3 |
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(नको तेच झाले) |
चेतन |
6 |
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ड्रायव्हर |
हेरंब |
2 |
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असल्या प्राण्याला |
केसुरंगा |
34 |
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को़ळी |
सुवर्णमयी |
4 |
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नको तेच झाले |
क्रान्ति |
38 |
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गीत: पहाटे पहाटे जवळ तू ये ना |
पाषाणभेद |
4 |
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पिकल्या आंब्याला |
पाषाणभेद |
3 |
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पाऊस |
अनिरुध्द |
2 |
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..पाऊस मोठा अस्सा यावा.. |
कानडाऊ योगेशु |
18 |
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(नको तेच झाले) |
राजेश घासकडवी |
12 |
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दिसू लागले स्पष्ट जसे हे |
केशवसुमार |
39 |
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<नंदनला पत्रे> |
पिवळा डांबिस |
33 |
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पावसाची कविता |
दत्ता काळे |
1 |
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कातरवेळ |
दत्ता काळे |
7 |
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युगलगीत: ही धुंद पावसाळी हवा |
पाषाणभेद |
9 |
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भस्म्या !! |
स्पंदना |
36 |
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आणि अचानक..... |
हर्षद आनंदी |
3 |
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गीत: कसं जगावं या असल्या दिवसात |
पाषाणभेद |
2 |