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माऊलीच माझ्या शेतात भजन गाई |
पाषाणभेद |
2 |
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(गं बाई करू मी रांधप कुणीकडे) |
मेघवेडा |
29 |
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(भुंक न कुतऱ्या) |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
36 |
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DINK चा नको डंका |
वन्दना धर्माधिकारी |
8 |
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होईल कधी गे भेट ? |
स्वानंद मारुलकर |
5 |
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हे मृत्यो तू काय करी |
शुचि |
15 |
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(तथास्तु !!) |
चेतन |
10 |
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मी |
प्रीत-मोहर |
5 |
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तथास्तु !! |
अनुप्रिया |
8 |
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स्व प्न भं ग - |
विदेश |
4 |
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गुड बाय !!! |
अनुप्रिया |
4 |
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मिपाकर भगिनींना नम्र विनंती.. |
विसोबा खेचर |
29 |
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माहीत नव्हतं... |
अथांग |
4 |
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कविता - २ |
अथांग |
9 |
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फसू नका तुम्ही फसू नका |
पाषाणभेद |
2 |
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कधीपासून ? |
अथांग |
7 |
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शेतकरी गीत: शेतात जायाची माझी झाली आता येळ |
पाषाणभेद |
4 |
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आभाळ लागले मिळू |
स्वानंद मारुलकर |
5 |
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माझ्या झोपेची झाली आता येळ |
पाषाणभेद |
0 |
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कसं सांगू मी तुला, |
अमोल मेंढे |
3 |
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पिकलं पान |
पाषाणभेद |
8 |
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बर्याच दिवसांनी तिचा फोन आला |
स्वप्निल मन |
2 |
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हवी कशाला मग तलवार ? |
गंगाधर मुटे |
2 |
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जुना जमाना गेला आता नवा जमाना आला |
पाषाणभेद |
0 |
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मोगरा |
शुचि |
15 |
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नि:शब्द ……! ! ! |
निरन्जन वहालेकर |
5 |
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सही |
नगरीनिरंजन |
7 |
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देवा तु चुकलास |
प्रीत-मोहर |
16 |
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मनतरंग...(पूर्वप्रकाशित उद्घोष - महाराष्ट्र मंडळ बे एरिआ - इ फ्लायर) |
अथांग |
5 |
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हनुमंताची व्यथा ! |
चिगो |
21 |
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मी त्या रक्ताच्या शोधात आहे.... |
पंचम |
7 |
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चित्रपटगीतः चला रे चला, चला गणपतीला आणू चला |
पाषाणभेद |
0 |
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(बाम लावला ग सखे बाम लावला) |
अडगळ |
8 |
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आयटम साँग: तुन तुन तुन तुन तुन ताना ना..ना..ना...ना..ना |
पाषाणभेद |
3 |
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गंमतीची गोष्ट |
नीधप |
8 |
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कान्ह्याची बासुरी |
अरुंधती |
1 |
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अट्टल चोरटा मी........!! |
गंगाधर मुटे |
7 |
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आले गणपती माझ्या अंगणी |
पाषाणभेद |
2 |
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आठवण |
विश्नापा |
4 |
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इज्जत |
श्रीकृष्ण सामंत |
2 |
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((चंपी)) |
विजुभाऊ |
2 |
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नाचू या, गावू या, चला चला सारे या |
पाषाणभेद |
0 |
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एक कविता....(हे कवितेचे नाव नाही) पण शीर्षक हवेच...मग काय करा? |
अथांग |
10 |
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(बाणा) |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
25 |
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शेतकरी गीत: आज सण हाय बैलपोळा |
पाषाणभेद |
10 |
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गौळण: असा काय करशी तु रे नंदाच्या कान्हा |
पाषाणभेद |
2 |
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सुखाचे स्वागत... |
विदेश |
1 |
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(कोलंबसाचे गर्वगीत) |
अडगळ |
15 |
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भारत माझा देश आहे........... |
संदीप परांजपे |
13 |
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कोणीच ना पहाते... |
स्वानंद मारुलकर |
9 |
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पावसांत वडवानल ! ! ! |
निरन्जन वहालेकर |
9 |
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नाव माझे याच नावाच्या पुढे लागेल का? |
स्वानंद मारुलकर |
8 |
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स्वप्नांचे पान मुंबई . . . |
गणेशा |
5 |
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मी पुरुष बिच्चारा |
गणेशा |
2 |
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वाक्याचा अर्थ सांगाल का? |
शानबा५१२ |
14 |
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कषाय-दान |
पुष्कर |
9 |
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अवचीत यावं कुनी |
पाषाणभेद |
0 |
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गण: माझ्या गणाला गणपती आले |
पाषाणभेद |
4 |
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चाललो मी.... |
स्वानंद मारुलकर |
7 |
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हायवे वरुन गाडी सरपटताना |
माझीही शॅम्पेन |
4 |
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हिंदीतून मराठीकडे |
विश्नापा |
90 |
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हे खेळ संचिताचे .....! |
गंगाधर मुटे |
10 |
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माणूस म्हणून जगण्याची ही किंमत.... |
दशानन |
10 |
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<घोगरा> |
नाटक्या |
8 |
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“( अ ) द्वितिय ” प्रेम |
निरन्जन वहालेकर |
6 |
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समिकरणे |
क्रान्ति |
15 |
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दगड |
निरन्जन वहालेकर |
5 |
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इतिहास |
यशवंतकुलकर्णी |
7 |
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प्रणयाचा पाऊस! |
निमिष सोनार |
7 |
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आले आले गणपती माझ्या घरी आले |
पाषाणभेद |
1 |