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पाउस असा बघावा .....!!! |
प्रकाश१११ |
1 |
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((निशाण)) |
नगरीनिरंजन |
7 |
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मठ्ठपणाचा भाव असणारी दुपार !! |
प्रकाश१११ |
4 |
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शब्द्-छल |
अरुण मनोहर |
2 |
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न-निशाण |
तिमा |
2 |
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(पडुन आहे गात्र कुजुनि) |
मेघवेडा |
20 |
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घोषणा झाली... |
अजय जोशी |
9 |
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(निशाण) |
अवलिया |
11 |
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'आलेख' |
स्पंदना |
15 |
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साद घालतो रानवारा |
दशानन |
14 |
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चालता डौलात तू ग - |
विदेश |
3 |
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मला पिस्तुल हवं आहे !!!! |
चन्द्रशेखर गोखले |
12 |
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वाट हरवलेल्या काही कविता |
फ्रॅक्चर बंड्या |
6 |
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पुन्हा दिवाळी.. |
प्राजु |
11 |
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(पुन्हा दिवाळी) |
मेघवेडा |
23 |
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काव्यफुफाटा |
मराठमोळा |
12 |
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दिवाळी पाडवागीत: आज आनंद आसमंतात भरला |
पाषाणभेद |
0 |
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अभंगः विठ्ठल उभा विटेवरी |
पाषाणभेद |
3 |
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(पुन्हा टवाळी) |
राजेश घासकडवी |
27 |
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दिवाळी |
पारा |
3 |
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शुभ दिपावली |
जयदेव |
1 |
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ती दिवाळी पण दिवाळी होती |
गजानन१८५७ |
0 |
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वंगणबद्ध |
सन्जोप राव |
31 |
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मीपावरती मी पितरांचा कौल काढला नवा |
केशवसुमार |
32 |
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सल्ल्यासाठी विजूभाऊनी, इथ फोडिला टाहो, |
केशवसुमार |
50 |
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आई .. मिटलेला श्वास .. ५ |
गणेशा |
1 |
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आधार प्रितीचा |
जयदेव |
2 |
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फराळ फटाके: जीवनाच्या दिवाळीतले!!! |
निमिष सोनार |
7 |
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बैल |
जयदेव |
7 |
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शाळेतल्या गमतीजमती |
रमणरमा |
15 |
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माझ्या व्यथे... (गझल) |
स्वानंद मारुलकर |
4 |
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पंचाक्षरी आकांत |
शरदिनी |
27 |
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" मनांतले श्लोक - " |
विदेश |
0 |
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हडळ जागी भूत जागे |
केशवसुमार |
41 |
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... |
प्रियाली |
85 |
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निकामी |
पद्मश्री चित्रे |
12 |
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पाऊस.. |
पद्मश्री चित्रे |
10 |
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नभी चांदणे...(गझल) |
पद्मश्री चित्रे |
14 |
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चिऊचं घर शेणाचं... |
आपला अभिजित |
6 |
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राप्चिक र्राप्चिक कूल कूल |
चन्द्रशेखर गोखले |
12 |
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बांड्या |
अरुण मनोहर |
4 |
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प्रतीक्षा |
नगरीनिरंजन |
12 |
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... स्मरण असावे (गझल) |
अजय जोशी |
6 |
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कोजागिरी पौर्णिमा |
स्वप्निल मन |
3 |
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निम्मा रस्ता चालला |
पाषाणभेद |
3 |
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आंब्याच्या झाडाले वांगे : नागपुरी तडका |
गंगाधर मुटे |
15 |
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हे काय आहे?? |
यशवंतकुलकर्णी |
16 |
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क्षण.. |
अथांग |
3 |
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चर्पटपंजरिका स्तोत्राचा भावानुवाद |
राघव |
30 |
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गोलात goल |
पाषाणभेद |
7 |
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नाते तुझे नि माझे ना सापडे अताशा |
स्वानंद मारुलकर |
13 |
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अजून काय... |
असुर |
12 |
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तो आणि त्याची स्वप्नं |
पुष्कर |
2 |
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जीव गुंतला .. ( चाल खेळ मांडला) |
गणेशा |
1 |
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एका सैनिकाने लिहिलेल्या हृदयद्रावक कवितेचे भाषांतर |
गणेशा |
9 |
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युगलगीतः तू माझी हो काठी, मी तुझी काठी |
पाषाणभेद |
2 |
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आज या कातरवेळी तिची आठवण का होतेय? |
स्वप्निल मन |
5 |
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परिवर्तन!!! |
श्रावण मोडक |
28 |
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"मैफिल" |
पेशवे बाजीराव तिसरे |
3 |
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प्रेम..जगावेगळे... |
अथांग |
7 |
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कै. नारायण सुर्वे यांची "मुंबई" हि कविता मला हवी आहे. |
विशाल कुलकर्णी |
3 |
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युगलगीतः बाई इथंच ठोकू का हा खिळा? |
पाषाणभेद |
9 |
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(सिनेमातल्या हिरोंची पूर्वी भरली सभा) |
अमोल केळकर |
23 |
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सरकारी योजना |
पाषाणभेद |
3 |
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गहिवरल्या अधीर धारा ... |
गणेशा |
1 |
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युगलगीत: रुसली ग रुसली, माझी बायको रुसली |
पाषाणभेद |
4 |
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(गावात प्लेग) |
अर्धवट |
14 |
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(शापीत मेघ) |
अडगळ |
17 |
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(कापित केक) |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
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भरमाध्यान्हीच्या सान्ताक्लॉजचे प्रियाराधन |
शरदिनी |
39 |