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यशदा |
स्वाती फडणीस |
8 |
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गीत : सूर आज माझे का अबोल झाले |
पाषाणभेद |
2 |
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पाउस आनि निसर्ग |
अनिरुद्धशेटे |
1 |
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कोणत्या शब्दात दम त्याला भरू ? |
केशवसुमार |
9 |
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कोणत्या मापात मी पेला भरू? |
केशवसुमार |
11 |
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वारी |
राजेश घासकडवी |
20 |
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आज अचानक तुझी आठवण का यावी |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
6 |
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विकांताची करमणूक . |
रामदास |
14 |
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एका स्थळात लिहिली, वीडंबने हि दोन |
राजेश घासकडवी |
21 |
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एका स्थळात लिहिली, जी धोरणे सुरेख |
केसुरंगा |
21 |
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एका स्थळात लिहिली, जी धोरणे अनेक |
केशवसुमार |
9 |
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शून्य |
sur_nair |
6 |
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नाव सुचत नाही. |
स्पंदना |
6 |
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मी न माझा……… |
निरन्जन वहालेकर |
0 |
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कव्वाली : अशी ग कशी सोडूनी जाते तू मला |
पाषाणभेद |
0 |
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स्वप्नी माझ्या आलीस तू |
पाषाणभेद |
0 |
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सीमालढागीतः भिऊ नको मराठी जना |
पाषाणभेद |
5 |
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गाणी |
क्रान्ति |
14 |
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काही राहीलेले |
पंचम |
5 |
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सद्गुरू माउली |
सागरलहरी |
6 |
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पुन्हा एकदा |
jaypal |
9 |
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देवा ढळो नेदी | माझी चित्त वृत्ती | |
सागरलहरी |
6 |
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एक जुना मित्र भेटला .. |
सागरलहरी |
7 |
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गे कविते |
सागरलहरी |
12 |
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टंकेल वीडंबक जैं न काहीं |
धनंजय |
27 |
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अतरंग ... |
विशाल कुलकर्णी |
3 |
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निवडुंग........ |
निरन्जन वहालेकर |
1 |
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मीरा म्हणे ........... |
झुम्बर |
2 |
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(हळूहळू हा तापच झाला स्वैपाक अन्) |
राजेश घासकडवी |
7 |
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महाराष्ट्र कर्नाटक सीमावादावरील गीत : उठ रे मराठी गड्या तू चल सीमेवर |
पाषाणभेद |
24 |
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कृष्णपिसे |
झुम्बर |
3 |
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जीवन-मृत्यू! |
राघव |
4 |
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अंतरंग |
jaypal |
14 |
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हाच आपला ढंगु आहे... |
घाटावरचे भट |
21 |
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हळूहळू हा तापच झाले संपादन... |
केशवसुमार |
7 |
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हळूहळू हा व्यापच झाले संपादन... |
केशवसुमार |
11 |
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शिशिर ऋतू का आला हेमंत सरून |
पाषाणभेद |
1 |
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(अत्रंग) |
अडगळ |
1 |
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शेतकरी गीत : काळ्या काळ्या मातीमधी पिकलंया सोनं |
पाषाणभेद |
4 |
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बीज... |
शैलेन्द्र |
22 |
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गाणे : असेच असते जीवन कुणाचे, नच तयाला कोणी गणती |
पाषाणभेद |
4 |
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काय बोलणे |
सागरलहरी |
3 |
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माते अंबे भवानी नमितो जिजा-बाई (राजमाता जिजाउंचे पुण्य स्मरण ) |
सागरलहरी |
2 |
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ही ही तिची गाथा |
आनंद घारे |
11 |
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शॄंगार |
राजेश घासकडवी |
19 |
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एकदा होवोनी पक्षी |
पाषाणभेद |
1 |
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संदेश |
राजेश घासकडवी |
15 |
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तिचे अभंग, तिची गाथा |
नंदन |
54 |
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असच काहीसं |
नेहमी आनंदी |
2 |
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उगाच काहितरी |
शिल्पा ब |
6 |
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प्रलय |
निरन्जन वहालेकर |
2 |
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देखावे.. |
विसोबा खेचर |
41 |
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छंद |
नेहमी आनंदी |
5 |
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<अनावर> |
सहज |
10 |
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(पारध) |
अवलिया |
9 |
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गाणे : पायी चालतोया पंढरीची वारी |
पाषाणभेद |
4 |
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कितीदा..! |
विसोबा खेचर |
15 |
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(कित्तीदा) |
llपुण्याचे पेशवेll |
7 |
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..रस्ता.. |
कानडाऊ योगेशु |
2 |
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कुंभारवाडा |
राजेश घासकडवी |
22 |
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(अनावर) |
अडगळ |
7 |
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दक्षिणायन.. |
विसोबा खेचर |
25 |
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वस्ती..! |
विसोबा खेचर |
11 |
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पारध |
सहज |
24 |
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सहज सुचल म्हणुन |
jaypal |
13 |
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हाती माझ्या शुन्यच उरले |
पाषाणभेद |
2 |
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कालू कौआ |
सहज |
25 |
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गीत: वाटे मज अपार सुख |
पाषाणभेद |
0 |
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आस “ नाविन्याची “ |
निरन्जन वहालेकर |
1 |
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??? |
प्रमोद देव |
27 |