नाचरी गाय - (आधारित) |
चित्रा |
9 |
.. |
प्रियाली |
15 |
(बस्स्स नकोस आता) |
विशाल कुलकर्णी |
7 |
घाट चढा आता |
पाषाणभेद |
3 |
सफरचंदाच्या हंगामातली गाय - रॉबर्ट फ्रॉस्ट |
धनंजय |
8 |
पाउस २- शिघ्र |
नाद्खुळा |
3 |
व्यवसायभिमुख शिक्षण |
सुवर्णमयी |
10 |
सोनसाजिरी पौणिमा.. |
प्राजु |
12 |
रेडिओ |
पाषाणभेद |
7 |
ग्रेव्हयार्ड - लिटरेचर |
अनुप्रिया |
2 |
समर्थ |
क्रान्ति |
19 |
आदाब अर्ज है ! |
अश्फाक |
8 |
धन्य ! धन्य ते मरण ! ! ! |
निरन्जन वहालेकर |
0 |
पांढरी |
केशवसुमार |
1 |
हिशेब पाप-पुण्ण्याचा ! ! |
निरन्जन वहालेकर |
3 |
करप्शन |
श्रीराम पेंडसे |
2 |
व्यथा |
विनायक प्रभू |
7 |
ज्येष्ठ आषाढ |
धनंजय |
23 |
मला पुन्हा एकदा |
विश्वेश |
2 |
सांगू काय, सांगू काय? |
निमिष सोनार |
1 |
उषा.. |
प्राजु |
14 |
त्यानंतर सगेळ्च थांबले आहे ... |
सुवर्णमयी |
15 |
दु:ख |
सुवर्णमयी |
11 |
आभारी वेदनांचा ! |
विशाल कुलकर्णी |
8 |
रस्ता ओलांडता |
sur_nair |
5 |
( बे ) शरम ! ! ! |
निरन्जन वहालेकर |
0 |
प्रेमात तुझ्या...संपलो मी...!! |
निमिष सोनार |
0 |
मला मेघदुताचा पुढील दुवा हवा आहे.....विदग्ध वरील . |
डावखुरा |
6 |
आशावाद... |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
1 |
खरडवाद... |
केशवसुमार |
5 |
अबे राडे राजा |
विजुभाऊ |
6 |
आमच्या सम आम्हीच ! ! ! |
निरन्जन वहालेकर |
4 |
घर |
sur_nair |
12 |
अंतर |
sur_nair |
5 |
खेळ दोन ओळींचा - ५ |
राघव |
18 |
काही बाही |
दीप्या |
1 |
जबरा नशीला ! ! ! |
निरन्जन वहालेकर |
1 |
खेळ दोन ओळींचा - ३ |
राघव |
40 |
खेळ दोन ओळींचा - १ |
राघव |
43 |
काठावरती तुम्ही उभे (बैठकीची लावणी) |
पाषाणभेद |
5 |
(आज अचानक गाठ पडे) |
चतुरंग |
38 |
बेघर |
बेसनलाडू |
22 |
टारझण मला खास वाटत नाहीत |
उग्रसेन |
20 |
~ गुढीपाडवा ~ |
निमिष सोनार |
2 |
)तुझ्या रेशमी केसांनी( |
sur_nair |
0 |
तुझ्या रेशमी केसांनी |
विजुभाऊ |
4 |
))तुझ्या रेशमी केसांनी(( |
तुका म्हणे |
0 |
)तुझ्या रेशमी केसांनी( |
राजेश घासकडवी |
2 |
न्युड पोर्ट्रेट |
विशाल कुलकर्णी |
13 |
परम सन्तोश |
निरन्जन वहालेकर |
5 |
कोल्हापुर |
नाद्खुळा |
2 |
पहिला पाउस |
नाद्खुळा |
5 |
रातराणी |
निरन्जन वहालेकर |
6 |
पाठलाग |
निरन्जन वहालेकर |
0 |
रस्त्यात मामा आडवा येतो जेंव्हा... |
Navigator |
2 |
..... पुन्हा पुन्हा ! |
जयवी |
7 |
आठव |
आमोद |
5 |
(....पुन्हा पुन्हा!) |
चतुरंग |
19 |
भग्न किनारे |
जयवी |
10 |
नजर |
प्रभो |
5 |
जातो म्हणतोस..... |
Dhananjay Borgaonkar |
7 |
स्वप्ने |
फ्रॅक्चर बंड्या |
0 |
जाते म्हणतेस................... |
मंगेशपावसकर |
18 |
आज पुन्हा गपचूप घरी येऊन गप्प बसलो ............. |
मंगेशपावसकर |
7 |
कारण ती माझी चांगली मैत्रीण होती......... |
मंगेशपावसकर |
6 |
चला खवैय्ये, खादाडीवर खरडू काही ..! |
विशाल कुलकर्णी |
4 |
स्त्री - पुरुष |
मंगेशपावसकर |
15 |
जाणीव |
तुका म्हणे |
1 |
जन्मा येण्या कारण तू.. |
प्राजु |
27 |
चला जोडीनं तण हे काढू, चला ठिबकसिंचन करू |
पाषाणभेद |
0 |